क्या हो कि आप सुबह उठें, टीवी चालू करें तो उसमें खबर आए कि जंग छिड़ गई है? आप जल्द से जल्द इसे एक बुरा सपना मानकर भुलाना चाहें, मगर अफसोस कि यही अब आपकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनकर रह जाए। 


24 फरवरी 2022 से यूक्रेन में रहने वाला हर शख्स यही जिंदगी जी रहा है। बस इसी उम्मीद में कि कभी तो जंग खत्म होगी। रूस और यूक्रेन की जंग को तीन साल होने जा रहे हैं। जंग को खत्म करवाने की सारी कवायदें नाकाम हो गईं। 


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब जंग का ऐलान किया था, तब लगा था कि पहले की तरह इस बार भी युद्ध कुछ दिन में खत्म हो जाएगा। यूक्रेन जल्द ही रूस के सामने घुटने टेक देगा। 


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। इस तीन साल की जंग में न कोई जीता। न कोई हारा। शहर के शहर तबाह हो गए। हजारों बच्चे अनाथ हो गए। हजारों महिलाएं विधवाएं हो गईं। हजारों लोग मारे जा चुके हैं। जो बच गए हैं वो शरणार्थी बनकर जिंदगी काट रहे हैं। पुतिन हार मानने को तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की भी सीना ताने खड़े हैं।

 

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लड़ाई मुल्कों की, भुगत रहे लोग

जंग हमेशा दो मुल्कों की होती है लेकिन उसका खामियाजा वहां के लोगों को भुगतना पड़ता है। तीन साल की जंग ने लाखों-करोड़ों जिंदगियां बदल दी हैं।


संयुक्त राष्ट्र की मुताबिक, तीन साल की जंग में 1 करोड़ से ज्यादा यूक्रेनियों को विस्थापित होना पड़ा है। इनमें से 37 लाख यूक्रेनी ऐसे हैं, जो अपना घर छोड़कर यूक्रेन में ही कहीं न कहीं ठिकाना बनाकर रह रहे हैं। वहीं, 69 लाख ऐसे हैं जो यूक्रेन छोड़ चुके हैं और पड़ोसी मुल्कों में बने शरणार्थी कैंपों में गुजर-बसर कर रहे हैं। 20 लाख से ज्यादा घर अब मलबा बन गए हैं।

 


जब भी जंग होती है तो अक्सर कहा जाता है कि इसका खामियाजा सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों को भुगतना पड़ता है। यूएन ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, 24 फरवरी 2022 से अब तक इस जंग में 12,654 आम लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 29,392 लोग घायल हुए हैं। 673 छोटे बच्चे मारे जा चुके हैं। हर 3 में से 1 बच्चे ने किसी न किसी को या तो मरते हुए या फिर गोली या बमबारी से घायल होते देखा है। 


जबकि, इन्हीं तीन सालों में करीह 3,800 महिलाओं या लड़कियां मारी जा चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 67 लाख यूक्रेनी महिलाओं को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है। 

 

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...लड़ने वालों का क्या?

24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में जंग शुरू करने का ऐलान करते हुए पुतिन ने कहा था, 'हमने बहुत कोशिश की। हमारी सारी कोशिशें नाकाम हो गईं। रूस और हमारे लोगों की रक्षा करने के लिए उन्होंने हमारे पास कोई और विकल्प नहीं छोड़ा। सिवाय उस विकल्प के, जिसे हम आज इस्तेमाल करने को मजबूर हैं।'


पुतिन के ऐलान के बाद 2 लाख रूसी सैनिक यूक्रेन में टैंकों और हथियारों के साथ घुस गए। उत्तर में बेलारूस की तरफ से रूसी सेना कीव की तरफ बढ़ी। रूस की सेना हवा से बम बरसाए। मिसाइलें गिराईं। जमीन पर रूसी टैंक यूक्रेनी सेना के ठिकाने कुचलते हुए चले गए। सैनिक गोलीबारी करते हुए आगे बढ़ते गए। शायद पुतिन को उम्मीद थी कि 2014 में जिस तरह से यूक्रेन को क्रीमिया से खदेड़ा था, वैसे ही इस बार भी खदेड़ दिया जाएगा। मगर ऐसा हुआ नहीं।


इस जंग में किसके-कितने सैनिक मारे गए? किसका-कितना नुकसान हुआ? कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। सबके अपने-अपने आंकड़े हैं। 


यूक्रेन की न्यूज वेबसाइट कीव इंडिपेंडेंट का दावा है कि इस जंग में अब तक 8.66 लाख रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। उसका दावा है कि इस जंग में रूसी सेना के 370 विमान, 331 हेलीकॉप्टर, 38 हजार से ज्यादा सैन्य वाहन, 10,161 टैंक और 26,311 ड्रोन्स और 28 जंगी जहाजों को तबाह कर दिया है। 


हालांकि, रूस की तरफ से इस जंग में हुए नुकसान को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा या दावा नहीं किया गया है। रूस ने आखिरी बार सितंबर 2022 में आधिकारिक आंकड़ा जारी किया था। तब रूस ने बताया था कि इस जंग में 5,937 रूसी सैनिक मारे गए हैं।


वहीं, यूक्रेन के नुकसान को लेकर अलग-अलग आंकड़े हैं। 16 फरवरी को यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने 46 हजार से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की बात कही थी। हालांकि, उनसे पहले 24 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस जंग में करीब 7 लाख यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया था।

 

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जंग से मिला क्या?

पुतिन ने जब जंग का ऐलान किया था, तब उन्होंने कहा था कि इसका मकसद यूक्रेन को डिमिलिटराज करना है, न कि 'कब्जा' करना। हालांकि, जब जंग शुरू हुई तो पुतिन की सेना धीरे-धीरे करके यूक्रेन पर कब्जा करने लगी।


जंग की शुरुआत में रूसी सेना ने ताबड़तोड़ बम बरसाए थे। खारकिव में जबरदस्त बमबारी की थी। खेरसान के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से के साथ-साथ मारियूपोल पर भी कब्जा कर लिया था। रूस की सेना को यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ा। जंग की शुरुआत में कुछ दिनों तक रूस की सेना हावी रही। मगर बाद में अमेरिकी समेत पश्चिमी देशों से मिली सैन्य मदद के चलते यूक्रेन की सेना ने कड़ी टक्कर दी और रूसी सेना से अपने इलाके छीनने लगी।


'इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर' की 21 फरवरी 2025 की रिपोर्ट बताती है कि रूसी सेना अब तक यूक्रेन के 20 फीसदी इलाकों पर ही कब्जा कर सकी है। इसका मतलब हुआ कि 80 फीसदी इलाका अब भी यूक्रेन के पास ही है।

 


रिपोर्ट बताती है कि जिस तेजी से रूस की सेना कार्रवाई कर रही है, अगर वही रफ्तार रही तो उसे यूक्रेन के बचे हुए 80 फीसदी इलाके पर कब्जा करने में 83 साल लग जाएंगे। नवंबर 2024 में रूसी सेना हर दिन औसतन 27.94 वर्ग किलोमीटर इलाके पर कब्जा कर रही थी। दिसंबर 2024 में 18.1 वर्ग किलोमीटर इलाके पर हर दिन कब्जा किया। जनवरी में रूसी सेना हर दिन 16.1 वर्ग किलोमीटर इलाका ही कब्जा रही है।


हालांकि, रूस के सामने यूक्रेन के इतने लंबे समय तक टिक पाने की एक बड़ी वजह ये है कि उसे अमेरिका समेत यूरोपीय देशों से भारी भरकम मदद मिल रही है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन (CFR) की 21 फरवरी 2025 की रिपोर्ट बताती है कि 24 जनवरी 2022 से अब तक यूक्रेन को दुनियाभर से 407 अरब डॉलर (लगभग 35.26 लाख करोड़ रुपये) की मदद मिल चुकी है। इसमें से 118 अरब डॉलर (लगभग 10.22 लाख करोड़ रुपये) मदद अकेले अमेरिका से मिली है।

 

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जंग कब खत्म होगी?

अमेरिका में दूसरी बार सत्ता संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि अगर उस वक्त वो राष्ट्रपति होते तो रूस और यूक्रेन में कभी जंग होने ही नहीं देते। ट्रंप इस युद्ध के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को जिम्मेदार ठहराते हैं। 


20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के दो दिन बाद ही ट्रंप ने कहा था कि 'युद्ध को खत्म करने के लिए पुतिन को जेलेंस्की के साथ समझौता करना चाहिए। बातचीत की टेबल पर न आकर पुतिन रूस को बर्बाद कर रहे हैं।' ट्रंप ने ये भी कहा था कि वो दोनों के बीच जंग खत्म करवाने के लिए पुतिन से मिलने के लिए भी तैयार हैं।


पहले ट्रंप ने कहा था कि 'समझौता न करके पुतिन रूस को बर्बाद कर रहे हैं।' हालांकि, अब ट्रंप के सुर बदलने लगे हैं। दो दिन पहले ही ट्रंप ने कहा, 'जेलेंस्की को जल्दी कदम उठाना चाहिए, नहीं तो उनका देश नहीं बचेगा।' ट्रंप ने जेलेंस्की को 'तानाशाह' बताते हुए आरोप लगाया था कि वो विदेशी सहायता की 'मलाईदार व्यवस्था' को जारी रखना चाहते हैं।


बहरहाल, रूस और यूक्रेन की जंग का अब चौथा साल शुरू होने जा रहा है। पुतिन और जेलेंस्की दोनों ही अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं। मगर कहा जाता है कि 'हर जंग का नतीजा सिर्फ एक ही होता है- समझौता।' अब ये समझौता कब होगा? जंग कब खत्म होगी? तीन साल से अपने घरों को छोड़कर शरणार्थी कैंपों में रह रहे लोग कब अपने घर वापस लौटेंगे? बच्चे पहले की तरह जा सकेंगे? इन सारे सवालों के जवाब का इंतजार यूक्रेनियों की तरह ही दुनिया को भी है।