ट्रंप का टैरिफ अटैक चीन के लिए 'आपदा' तो भारत के लिए 'अवसर' कैसे?
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर 10% टैरिफ लगा दिया है। ट्रंप ने पिछले कार्यकाल में भी चीन पर 10% टैरिफ लगाया था। इस पर चीन ने भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ा दिया है। ऐसे में जानते हैं कि चीन पर लगा ये टैरिफ कैसे भारत के लिए अवसर साबित हो सकता है?

शी जिनपिंग, डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी (File Photo Credit: PTI)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'टैरिफ अटैक' कर नया ट्रेड वॉर शुरू कर दिया है। ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर लगाए 25 फीसदी टैरिफ को फिलहाल तो 30 दिन के लिए टाल दिया है। मगर चीन से आने वाले सामान पर जो 10 फीसदी टैरिफ बढ़ाया था, उस पर कोई रोक नहीं लगाई है।
ट्रंप के टैरिफ अटैक से अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी अमेरिका और चीन के बीच करीब दो साल तक ट्रेड वॉर जारी रहा था। तब चीन को सालाना 200 अरब डॉलर का घाटा हुआ था।
एक नए ट्रेड वॉर की शुरुआत!
टैरिफ बढ़ने का सीधा-सीधा मतलब ये है कि चीन से जो भी सामान अमेरिका जाएगा, उस पर 10 फीसदी एक्स्ट्रा टैक्स भरना होगा। ट्रंप के इस टैरिफ अटैक पर अब चीन ने भी जवाब दिया है। चीन ने भी अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है।
चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री ने बताया है कि अमेरिका से आने वाले कोयले और प्राकृतिक गैस पर 15 फीसदी और कच्चे तेल, खेती-बाड़ी से जुड़े उपकरण और कुछ ऑटो पार्ट्स पर 10 फीसदी टैरिफ वसूला जाएगा।
अमेरिका की ओर से चीन पर लगाया गया टैरिफ 4 फरवरी से लागू हो गया है। वहीं, चीन की ओर से अमेरिका पर लगाया गया टैरिफ 10 फरवरी से लागू होगा। पहले ट्रंप का टैरिफ अटैक और फिर उसपर शी जिनपिंग की जवाबी कार्रवाई को अमेरिका और चीन के बीच नए ट्रेड वॉर की शुरुआत माना जा रहा है।
ये भी पढ़ें-- क्या होता है विकसित देश का पैमाना? भारत कितना है तैयार
चीन की 'आपदा', भारत का 'अवसर'!
ट्रंप का टैरिफ अटैक चीन के लिए 'आपदा' की तरह है लेकिन ये भारत के लिए 'अवसर' साबित हो सकता है। दरअसल, चीन के सामान पर टैरिफ लगने से अब भारत का एक्सपोर्ट बढ़ने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इससे अमेरिकी कंपनियां चीन की बजाय भारत से सामान खरीद सकती हैं।
चीन पर टैरिफ अटैक से भारत के इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में बूस्ट आने की उम्मीद है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन से सामान खरीदने वाली अमेरिकी कंपनी को ये टैरिफ देना होगा। इससे न सिर्फ उस चीज की कीमत बढ़ जाएगी, बल्कि कंपनी के लिए भी ये फायदे का सौदा नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अमेरिकी कंपनियां ऐसी जगहों से सामान खरीदना ज्यादा पसंद करेंगी, जहां बहुत ज्यादा टैरिफ न देना पड़े।
पर ये सब होगा कैसे?
चीन दुनिया का सबसे बड़ा मैनुफैक्चरिंग हब है लेकिन अब भारत धीरे-धीरे उसकी जगह ले रहा है। एपल और मोटोरोला जैसे ग्लोबल ब्रांड पहले ही भारत में अपनी मैनुफैक्चरिंग यूनिट बना चुके हैं।
चीन को झटका लगने से भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट में तेजी आने की उम्मीद है। 2023-24 में भारत में 115 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान बने थे। इनमें से अकेले 52 अरब डॉलर के स्मार्टफोन थे। 2024-25 में 140 अरब डॉलर का उत्पादन होने की उम्मीद है। भारत ने 2030 तक 500 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
इसके अलावा, भारत अब तेजी से मैनुफैक्चरिंग हब बन रहा है। 2014 में मोदी सरकार ने 'मेक इन इंडिया' शुरू किया था। इसका मकसद भारत को मैनुफैक्चरिंग हब में बदलना है। इसके लिए PLI स्कीम लाई गई है, जिसके तहत मैनुफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को इंसेंटिव दिया जाता है। कॉर्पोरेट टैक्स कम किया गया है। MSME सेक्टर को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ये भी पढ़ें-- कब 12 लाख तक की आय पर भी देना होगा टैक्स? दूर करें सारा कन्फ्यूजन
भारत बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स का बादशाह!
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। स्मार्टफोन मैनुफैक्चरिंग बढ़ती जा रही है। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) की रिपोर्ट बताती है कि 2014-15 में भारत में 18,900 करोड़ रुपये के मोबाइल फोन बने थे। 2023-24 में 4.10 लाख करोड़ से ज्यादा के मोबाइल फोन बने।
इतना ही नहीं, इस दौरान स्मार्टफोन एक्सपोर्ट का मार्केट भी तेजी से बढ़ा है। ICEA की रिपोर्ट बताती है कि 2014-15 में सिर्फ 1,556 करोड़ रुपये के मेड इन इंडिया फोन एक्सपोर्ट हुए थे। जबकि, 2023-24 में 1.20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का एक्सपोर्ट हुआ।
चीन पर टैरिफ बढ़ने से सबसे बड़ा भारत को इसलिए भी होगा, क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा iPhone चीन के बाद भारत में ही बनते हैं। एपल ने 2017 में भारत में iPhone का प्रोडक्शन शुरू किया था। एपल के iPhone बनाने वाली तीनों कंपनियों- फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन के मैनुफैक्चरिंग प्लांट भारत में हैं। फॉक्सकॉन और पेगाट्रॉन का प्लांट चेन्नई तो विस्ट्रॉन का बेंगलुरु में है।
भारत में बनने वाले iPhones को विदेश में भी एक्सपोर्ट किया जाता है। अभी दुनियाभर में बनने वाले 14% iPhones 'मेड इन इंडिया' होते हैं। 2025-26 तक इसे बढ़ाकर 25% करना है। एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में बनने वाले 70 फीसदी से ज्यादा iPhones को एक्सपोर्ट किया गया था।
ऐसे में जब चीन में बनने वाले iPhones को अमेरिका में बेचने पर ज्यादा टैरिफ चुकाना पड़ेगा तो जाहिर है कि भारत पर निर्भरता ज्यादा बढ़ेगी। एक अच्छी बात ये भी है कि अब तक भारत में iPhones के Pro मॉडल नहीं बनते थे। मगर पिछले साल लॉन्च हुए iPhone 16 के Pro मॉडल्स भी भारत में बन रहे हैं।
पर क्या भारत ऐसा कर पाएगा?
चीन को मात देने के लिए भारत को मैनुफैक्चरिंग में ग्रोथ करना बहुत जरूरी है। अभी भारत की GDP में मैनुफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 17% है, जबकि चीन की GDP में 35% है। भारत ने इस साल तक इसे बढ़ाकर 25% तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। अच्छी बात ये है कि भारत की मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। IBEF की रिपोर्ट बताती है कि जून 2022 से जून 2024 के बीच भारत की मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री 40% बढ़ी है।
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़े बताते हैं कि 2023-24 में भारत ने 776 अरब डॉलर से ज्यादा का सामान एक्सपोर्ट किया था। इसमें से 437 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट मैनुफैक्चरिंग सेक्टर से हुआ था। इसके अलावा, भारत के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में FDI भी काफी बढ़ा है। पिछले साल केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि भारत के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में 2014 से 2024 के बीच 165 अरब डॉलर से ज्यादा का FDI का आया था। जबकि, 2004 से 2014 के बीच 98 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था।
भारत के पास चीन को पछाड़ने की पूरी क्षमता है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि चीन की तुलना में भारत में लेबर कॉस्ट काफी कम है। हालांकि, कुछ मामलों में अभी भारत थोड़ा पीछे है। मैनुफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी कम होना जरूरी है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के मुताबिक, भारत में कंपोनेंट्स पर औसतन इंपोर्ट ड्यूटी 18% लगती है, जबकि चीन में ये 7.5% है। इसके साथ ही कस्टम से इंपोर्ट क्लियरेंस मिलने में चीन में 20 घंटे लगते हैं, जबकि भारत में 44 से 85 घंटे तक लग जाते हैं।
इसके अलावा, भारत को चीन ही नहीं बल्कि वियतनाम से भी चुनौती मिल रही है। दुनियाभर की बड़ी कंपनियां मैनुफैक्चरिंग के लिए भारत से ज्यादा वियतनाम को पसंद कर रही हैं।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap