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मुस्लिम बहुल कतर से भारत की दोस्ती इतनी गहरी क्यों है?

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी भारत के दौरे पर आए हैं। खुद पीएम मोदी ने उनकी अगवानी की। ऐसे में जानते हैं कि भारत और कतर की दोस्ती इतनी गहरी क्यों है?

qatar amir and pm modi

कतर के अमीर को गले लगाते प्रधानमंत्री मोदी। (Photo Credit: PTI)

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी भारत दौरे पर हैं। सोमवार शाम कतर के अमीर जब नई दिल्ली पहुंचे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद एयरपोर्ट पहुंचकर उनकी अगवानी की। प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर को 'भाई' बताया। 


कतर के अमीर के स्वागत की तस्वीरें पोस्ट करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, 'मेरे भाई कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट गया था। उम्मीद करता हूं कि उनकी भारत यात्रा सफल रहेगी।'

 

भारत और कतर के रिश्ते

भारत और कतर के रिश्ते दशकों पुराने हैं। हालांकि, दोनों के बीच कूटनीतिक रिश्ते 70 के दशक में शुरू हो गए थे। 1973 में भारत ने कतर में दूतावास खोला। अगले साल बाद कतर ने भारत में अपना दूतावास खोल लिया। 


भारत और कतर की दोस्ती की एक वजह कारोबार भी है। भारत को तेल और गैस की जरूरत है तो कतर को कामगारों की। कतर में जैसे-जैसे तेल के भंडार मिलते रहे, वैसे-वैसे उसकी विदेशी कामगारों की जरूरत बढ़ती गई। इस जरूरत को पूरा किया भारतीयों ने। अब आलम ये है कि कतर की आबादी में हर चौथा शख्स भारतीय है। 


विदेश मंत्रालय के फरवरी 2024 के दस्तावेज के मुताबिक, कतर में 8.35 लाख भारतीय रहते हैं, जो उसकी कुल आबादी का 27% है। कतर में ये भारतीय हर क्षेत्र में काम करते हैं। इनके अलावा 45 हजार भारतीय छात्र भी हैं।

 

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भारत के लिए कितना अहम है कतर?

भारत के लिए कतर इसलिए अहम है, क्योंकि उसकी गैस और तेल की ज्यादातर जरूरत यही पूरी करता है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2022-23 में भारत ने कतर से 10.74 मिलियन मीट्रिक टन LNG यानी लिक्विफाइड नैचुरल गैस खरीदी थी। इसकी कीमत 8.32 अरब डॉलर थी। 


भारत का सबसे बड़ा LNG सप्लायर कतर ही है। सबसे ज्यादा LPG भी कतर से ही आती है। 2022-23 में भारत ने कतर से 5.33 मिलियन मीट्रिक टन LPG खरीदी थी, जिसकी कीमत 4.04 अरब डॉलर थी।

 

कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में भारत और कतर के बीच 1.16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था। इसमें से भारत ने कतर से 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आयात किया था। जबकि, कतर को 14 हजार करोड़ रुपये का निर्यात किया था। 


भारत और कतर, दोनों ही एक-दूसरे की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं। कतर में 15 हजार से ज्यादा भारतीय कंपनियां हैं, जिनमें लाखों लोग काम करते हैं। वहीं, कतर की कई कंपनियों ने भारतीय कंपनियों में अरबों डॉलर निवेश किए हैं।

 

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भारत का अच्छा दोस्त है कतर

खाड़ी मुल्कों में कतर को भारत का अच्छा दोस्त माना जाता है। इसे ऐसे समझ लीजिए कि अगस्त 2022 में कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को गिरफ्तार किया और अक्टूबर 2023 में इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर से मुलाकात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मोर्चा संभाला। नतीजा ये निकला की सभी भारतीयों की सजा खत्म कर दी गई। 


दोनों की दोस्ती की एक मिसाल 2016 का वो समझौता भी है, जिसमें कतर ने भारत को बेचे जाने वाली LNG की कीमत आधी कर दी थी। 2016 से पहले कतर, भारत को 12.60 डॉलर प्रति MBTU (मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) की दर से LNG बेचता था। उसके बाद भारत को अब कतर से 6.5 से 6.6 डॉलर प्रति यूनिट की दर से LNG मिलती है।


भारत के लिए कतर इसलिए भी अहम है, क्योंकि कभी गरीब मुल्कों में गिना जाने वाला छोटा सा देश अब खाड़ी देशों की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। कतर आज के समय में सबसे बड़ा 'मध्यस्थ' बनकर उभरा है। बाकी खाड़ी देशों की तुलना में कतर को थोड़ा 'सॉफ्ट इमेज' वाला मुल्क माना जाता है। उसकी वजह ये है कि कतर ने अमेरिका और यूरोपीय देशों में भारी-भरकम निवेश किया है।


ये कतर की बदलती छवि ही थी कि 2022 में उसे FIFA वर्ल्ड कप की मेजबानी मिली। FIFA वर्ल्ड कप की मेजबानी करने वाला कतर पहला अरब और मुस्लिम बहुल देश था।

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