अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए मध्यस्थता की पेशकश की। 6 मई को ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को शर्मनाक बताते हुए कहा कि वह दोनों देशों के नेताओं को अच्छी तरह जानते हैं और इस मामले को सुलझाने में मदद करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह दोनों देशों के साथ मिलकर काम करते हैं और तनाव के जल्द समाप्त होने की उम्मीद करते हैं। 

 

ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, 'यह बहुत भयानक है। मैं दोनों देशों के साथ अच्छा व्यवहार करता हूं। मैं दोनों को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। मैं उन्हें इस पर काम करते हुए देखना चाहता हूं, मैं उन्हें इसे रोकते हुए देखना चाहता हूं। उम्मीद है कि अब वे इसे रोक देंगे। हमारे दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं, तो मैं ज़रूर करूंगा।'

 

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2019 में भी ट्रंप ने दिया था ऑफर

हालांकि, भारत ने पहले भी ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को ठुकराया है। 2019 में, जब ट्रंप ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को कहा था, भारत ने स्पष्ट रूप से इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं हो सकती। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने पहले ट्रंप मध्यस्थता की पेशकश का स्वागत किया था। 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि यह क्षेत्र शांति के लि महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि वह कश्मीर और अन्य मु्द्दों पर पाकिस्तान के साथ केवल द्विपक्षीय बातचीत को बढ़ावा देता है।

 

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद टेंशन

पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस हमले में 26 भारतीय टूरिस्ट की मौत हो गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया। ट्रंप ने इस बार मध्यस्थता की पेशकश दोहराई लेकिन भारत की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है क्योंकि भारत लगातार द्विपक्षीय समाधान पर जोर देता रहा है।