ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से एक देश के रूप में मान्यता देने की घोषणा की। तीनों देश, इजरायल के अभिन्न सहयोगी रहे हैं। इजरायल की स्थापना में भी इन देशों की अहम भूमिका रही है। साल 1948 से जिस रुख पर ये देश कायम थे, उसमें अब अप्रत्याशित बदलाव देखे जा रहे हैं। जिस बेंजामिन नेतन्याहू के लिए इन देशों ने रेड कॉर्पेट बिछाया था, अब उन्हीं देशों ने इजरायल को बड़ा झटका दिया है।
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त रूप से इजरायल के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। गाजा में इजरायल की सेना हमास के खिलाफ अभी तक ऑपरेशन खत्म नहीं किया है। 40 हजार से ज्यादा मासूम लोग इस जंग में मारे जा चुके हैं। फिलिस्तीन पर हो रहे अत्याचार से नाराज पश्चिमी देशों ने इजरायल विरोधी रुख अख्तियार किया है। इजरायल के खिलाफ जाने की एक वजह यह भी है कि इन देशों की ही युवा पीढ़ी ने फिलिस्तीन के प्रति नरमी दिखाई है।
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क्यों इन देशों ने मान्यता दी है?
- टू स्टेट सॉल्यूशन पर इजरायल का बदलते रुख
- फिलिस्तीन की आम जनता की युद्ध में हो रही मौतें
- गाजा में IDF का हमास के खिलाफ अभियान, जिसमें आम नागरिक मरे
- गाजा में गहराता मानवीय संकट
पुर्तगाल ने भी फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की और कहा कि दो-राष्ट्र समाधान ही 'न्यायपूर्ण और स्थायी शांति' लाने का इकलौता रास्ता है।

फ्रांस दे सकता है मान्यता, कई देश भी हैं कतार में
ऐसा नहीं है कि इजरायल को सिर्फ इन देशों से झटका लगा है। फ्रांस और कई अन्य देश इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में फिलिस्तीन को मान्यता दे सकते हैं। इजरायल वैश्विक तौर पर अब अलग थलग पड़ रहा है। यह कदम इजरायल के प्रमुख सहयोगी, अमेरिका, के साथ भी मतभेद पैदा कर सकता है। अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इजरायल के साथ तनकर खड़े रहे हैं, अब अचानक पश्चिमी देशों के बदलते रुख की वजह से उन्हें भी नई नीति तय करनी पड़ सकती है।
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इजरायल ने क्या कहा है?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पश्चिमी देशों के इस रुख पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है, 'कोई फिलिस्तीनी राष्ट्र नहीं बनेगा। हमारी जमीन के बीच में आतंकी राज्य थोपने की इस कोशिश का जवाब मैं अमेरिका से लौटने के बाद दूंगा। जिन नेताओं ने 7 अक्टूबर के भयानक नरसंहार के बाद फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी है, मेरा उनसे साफ कहना है कि वे आतंक को बड़ा इनाम दे रहे हैं।' इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने भी इन देशों के रुख पर नाराजगी जाहिर की है।
फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों ने क्या कहा है?
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि उनका देश फिलिस्तीन को मान्यता दे रहा है। कनाडा चाहता है कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया जा सके और हमास को अलग-थलग किया जा सके। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी अपनी घोषणा में कहा कि यह कदम मध्य पूर्व में शांति की संभावना को जीवित रखने के लिए उठाया गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी सोमवार को फिलिस्तीन को मान्यता देने की बात कही है। उन्होंने शर्त रखी है कि बंधकों को पहले रिहा किया जाए।
फिलिस्तीन, इजरायल पर भारी कैसे पड़ रहा है?
फिलिस्तीन को देश की मान्यता, अब तक 140 से ज्यादा देशों ने दे दी है। गाजा में इजरायल के रुख की वजह से यह संख्या लगातार बढ़ रही है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इजरायल की सैन्य कार्रवाई में 65,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं। कई देशों में अब आवाजें उठने लगीं हैं कि इजरायल नरसंहार कर रहा है, जिसे रोकने की जरूरत है।
फिलिस्तीन का क्या कहना है?
फिलिस्तीन अथॉरिटी के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने इन घोषणाओं का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि यह टू स्टेट सॉल्यूशन की दिशा में अहम कदम है। टू-स्टेट सॉल्यूशन इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का एक प्रस्तावित समाधान है, जिसमें दो अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्रों की स्थापना की जाएगी, एक इजरायल के लिए और दूसरा फिलिस्तीन के लिए। इसका लक्ष्य दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापित करना, क्षेत्रीय विवाद सुलझाना और स्वायत्तता देना है।
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फिलिस्तीन क्यों नहीं बन पाएगा पूर्ण सदस्य?
फिलिस्तीन इन मान्यताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य नहीं बन पाएगा। संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनने के लिए सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम 9 सदस्यों का समर्थन चाहिए। फिलिस्तीन को किसी स्थाई सदस्य के वीटो करने से बचना होगा। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका हैं। अमेरिका अभी तक इजरायल के साथ खड़ा है।
अमेरिका, इजरायल के पक्ष में फिलिस्तीन के खिलाफ वीटो कर सकता है। कनाडा और ब्रिटेन G7 देशों में पहले हैं ऐसे देश हैं, जिन्होंने फिलिस्तीन को मान्यता दी है। जापान, इटली और जर्मनी नहीं चाहते हैं कि फिलिस्तीन को देश की मान्यता मिले। इजरायल के खिलाफ पश्चिमी देशों के बदलते हुए से बेंजामिन नेतन्याहू परेशान तो हैं लेकिन उन्हें फिर भी यह भरोसा है कि अमेरिका, फिलिस्तीन को देश नहीं बनने देगा।
