जून की पहली तारीख को यूक्रेन ने वह किया, जिसके बारे में शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। यूक्रेन ने रूस के 40 से ज्यादा सैन्य ठिकानों पर हमला करने का दावा किया। यह 3 साल 3 महीने से चली आ रही जंग में यूक्रेन का रूस पर अब तक सबसे बड़ा अटैक था। यूक्रेन ने रूस के अंदर हजारों किलोमीटर अंदर जाकर वायुसेना के ठिकानों पर ड्रोन से हमला किया। यूक्रेन ने इसे 'ऑपरेशन स्पाइडर वेब' नाम दिया।
यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने रूस के उन एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया, जिनका इस्तेमाल वह हवाई हमलों के लिए कर रहा था। यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी (SBU) ने दावा किया है कि इस ऑपरेशन में रूस के 41 विमानों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिनमें बॉम्बर और सर्विलांस विमान शामिल हैं।
रूस ने भी माना है कि रूस ने उसके 5 सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। हालांकि, रूस ने दावा किया है कि कई जगहों पर हमलों को नाकाम कर दिया गया।
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रूस में घुसकर किया हमला
यूक्रेन ने रूस में घुसकर उसके सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। हमला इरकुत्स्क रीजन के बेलाया बेस पर भी हुआ, जो यूक्रेन की सीमा से लगभग 4,500 किलोमीटर दूर है।
इसके अलावा, यूक्रेन ने 2 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर मौजूद आर्कटिक सर्किल के पास मुरमांस्क रीजन में ओलेन्या बेस को भी निशाना बनाया। यूक्रेन से 520 किलोमीटर दूर रियाजान ओब्लास्ट के दियागिलेव एयरबेस और 800 किलोमीटर दूर इवानोवो एयरबेस पर भी हमला किया गया।
यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसी SBU की तरफ से साझा किए गए विजुअल में पूर्वी अमूर रीजन में मौजूद एक और सैन्य ठिकाने पर हमला करने का दावा किया गया है। यूक्रेन का दावा है कि इन हमलों में रूस की वायुसेना के 7 अरब डॉलर के विमानों को नुकसान पहुंचाया गया है।
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रूस कैसे नहीं रोक पाया हमला?
रूस ने 5 एयरबेस पर यूक्रेनी अटैक की बात मानी है। रूस ने बताया है कि यूक्रेन ने मुरमांस्क, इर्कुत्स्क, इवानोवो, रियाजान और अमूर रीजन में मौजूद सैन्य ठिकानों पर ड्रोन से हमला किया है। हालांकि, रूस ने इन हमलों को नाकाम करने का दावा किया है।
यूक्रेन ने इन ड्रोन अटैक में रूस को भारी-भरकम नुकसान पहुंचाने का दावा है। दावा है कि इन हमलों में रूसी वायुसेना के Tu-95, Tu-22 और Tu-160 जैसे बॉम्बर एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचाया गया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि यूक्रेन की तुलना में ज्यादा मजबूत होने के बावजूद रूस इन हमलों को रोक क्यों नहीं पाया? इस पर जानकारों का मानना है कि यूक्रेन की सीमा से इतनी बड़ी दूरी कारण के कारण रूस इन एयरबेस की सुरक्षा को लेकर लापरवाह हो गया था।
बेलाया एयरबेस पर रूस के सबसे कीमती विमानों में से एक खुले में पार्क किए जाते थे। सैटेलाइट तस्वीरों से भी इन्हें साफ तौर पर देखा जा सकता है। रूस का मानना होगा कि यूक्रेनी हमलों से विमानों को सुरक्षित रखने के लिए इतनी दूरी काफी है।
इसके अलावा, यूक्रेन के पास ऐसी मिसाइलें भी नहीं हैं, जिनसे रूस के इतने अंदर तक हमला किया जा सके। यूक्रेन के पास अमेरिका की ATACMS और ब्रिटिश-फ्रेंच मिसाइलें हैं, लेकिन इनमें से किसी में भी रूस के इतने अंदर तक हमला करने की क्षमता नहीं है।
यूक्रेन अब रूस के अंदर हमला करने के लिए ड्रोन्स का ही इस्तेमाल कर रहा है। इन ड्रोन्स की स्पीड इतनी कम होती है कि उन्हें रूस का एयर डिफेंस सिस्टम आसानी से गिरा देता है।
CNN ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रूस के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम इतनी कम ऊंचाई और अचानक हुए हमले के लिए तैयार नहीं थे। यूक्रेन ने जो हमला किया है, उसे रोकने का एकमात्र तरीका भारी मशीन गन है। रूस इनका इस्तेमाल ब्लैक सी (काला सागर) में यूक्रेन के ड्रोन के खिलाफ करता रहा है। हालांकि, रविवार को यूक्रेन ने जब हमला किया तो इन्हें जल्दी से तैनात नहीं किया जा सका। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस को ऐसे किसी भी हमले की भनक तक नहीं लगी थी।
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मगर यूक्रेन ने कैसा किया यह हमला?
यूक्रेन ने रूस पर जो अटैक किया है, उसकी तैयारी महीनों से चल रही थी। ऐसा दावा किया जा रहा है कि कम से कम 18 महीनों से इस अटैक की तैयारी चल रही थी।
सवाल उठता है कि जब यूक्रेन के पास इतनी लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता नहीं है तो इस हमले को कैसे अंजाम दिया गया? इसके लिए यूक्रेन ने एक बेहतरीन तरकीब अपनाई। SBU ने बताया है कि ड्रोन्स को लकड़ी के बक्सों में छिपाकर ट्रकों की मदद से रूस पहुंचाया गया था। यह ड्रोन्स रिमोट की मदद से ऑपरेट होते थे। इन ट्रकों को रूस के एयरबेस के नजदीक पार्क किया गया।
ऐसा बताया जा रहा है कि इन ट्रकों को चलाने वाले ड्राइवरों को भी नहीं पता था कि बक्सों में ड्रोन रखे हैं। कुछ ड्राइवरों ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि उन्हें फोन पर बताया गया था ट्रक को कहां पार्क करना है और जब उन्होंने कुछ देर बाद इनसे ड्रोन को निकलते देखा तो वे हैरान रह गए। यूक्रेन के इस अटैक के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें ट्रकों से ड्रोन निकलते हुए दिखाई दे रहे हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया है कि इस हमले के लिए 117 ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने दावा किया कि एयरबेस पर तैनात क्रूज मिसाइल कैरियर्स में से 34% को निशाना बनाया गया है। उन्होंने बताया, 'हमारे लोगों ने तीन अलग-अलग टाइम जोन में काम किया। जिन लोगों ने हमारी मदद की, उन्हें ऑपरेशन से पहले ही रूसी इलाकों से निकाल लिया गया था और अब वे सभी सुरक्षित हैं।'
यूक्रेन ने दावा किया है कि इन हमलों में उसने रूसी सेना के कई Tu-95 और Tu-22M3 बॉम्बर्स और कुछ A-50 जैसे सर्विलांस विमान को तबाह कर दिया है। CNN ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूक्रेन ने 27 Tu-95, 4 Tu-160, 2 Tu-22M3 और 1 A-50 को निशाना बनाया गया था।
कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन हमलों से यूक्रेन को रूस को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। रूस के लिए इन विमानों की मरम्मत कर पाना और ठीक कर पाना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि इनमें से कई का प्रोडक्शन दशकों पहले बंद हो गया था।