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जंग के 3 साल 3 महीने, हर सेक्टर ठप, कैसे चल रहा यूक्रेन का दाना-पानी?

यूक्रेन के ज्यादातर हिस्से, खंडहर में तब्दील हो गए हैं। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, मारे गए हैं। यूक्रेन में कारोबार ठप है, पर्यटन से होने वाली थम गई है। इन हालातों में भी कैसे यूक्रेन की सेना, रूस से लड़ पा रही है, पूरी कहानी, विस्तार से।

Russia Ukraine War

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की। (Photo Credit: X/zelenskyy.official)

24 फरवरी 2022 से लेकर अब तक, शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब यूक्रेन में तबाही न मची हो। कीव, लविव, खार्किव, डोनेट्स्क और लुहान्स जैसे शहरों के मकान खंडहरों में तब्दील हो गए हैं। यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 24 फरवरी 2022 से पहले  यूक्रेन में जहां पहले करीब 18 लाख गरीबी रेखा से नीचे जी रहे थे, युद्ध के बाद यह संख्या बढ़कर 90 लाख तक पहुंच गई है। रूस के हवाई और सैन्य हमलों के बाद भी यूक्रेन में बच्चों के स्कूल खुले हैं, स्वास्थ्य सेवाएं चालू हैं और व्यापार चल रहा है। सिर्फ यही नहीं, यूक्रेन ने अपना हिंसक युद्ध अभियान जारी रखा है।

कहां लोग उम्मीद कर रहे थे कि रूस से भिड़ने के 3 दिनों के भीतर यूक्रेन सरेंडर कर देगा, यूक्रेन ने 3 साल से जंग को रोक रखा है, रूस अपनी जीत का ऐलान तक नहीं कर पा रहा है। हजारों रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। यूक्रेन ने रूस के 4 एयरबेस को निशाना बनाया और 30 से ज्यादा फाइटर विमानों को तबाह कर दिया। यूक्रेन में मची तबाही का आलम यह है कि युद्ध के बाद तबाह इमारतों के मलबे को हटाने के लिए कम से कम 13 अरब डॉलर की मदद चाहिए। 

यूक्रेन को 'आबाद' होने में कितने पैसे लगेंगे?
विश्व बैंक का अनुमान है कि यूक्रेन को दोबारा पहले की तरह विकसित होने के लिए 543 बिलियन डॉलर लगेंगे। यह रकम साल 2024 के लिए यूक्रेन की सकल घरेलू आय (GDP) से 2.8 गुना ज्यादा है। विश्व बैंक ने रैपिड डैमेज एंड नीड्स असेसमेंट के हवाले से यह आंकड़े बताए हैं। 

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रूस के हमले में तबाह हुई यूक्रेन की इमारतें (Photo Credit: X/zelenskyy.official)

क्यों गिरती गई यूक्रेन की अर्थव्यवस्था?
रूस के साथ जंग में यूक्रेन के सामने सबसे बड़ी चुनौती, ऊर्जा क्षेत्र में है। यूक्रेन के करीब 17% क्षेत्र पर रूस का कब्जा है, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र जैसे डोनबास, खार्किव, डोनेट्स्क और लुहान्स प्रमुख हैं। यहां बार-बार इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई ही बाधित हो रही है, जिसकी वजह से विश्व बैंक का अनुमान है कि यूक्रेन को 3.2 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत तक घाटा हुआ है। यूक्रेन का  एनर्जी सेक्टर 70 फीसदी तक क्षतिग्रस्त हो चुका है। यूक्रेन में करीब 13 प्रतिशत हाउस स्टॉक तबाह हुए हैं, जिसका असर 20 लाख से ज्यादा लोगों पर पड़ा है।

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किस सेक्टर में संकट से उबरने के लिए कितनी चाहिए मदद

  • हाउसिंग सेक्टर- 84 अरब डॉलर
  • ट्रांसपोर्ट सेक्टर- 87 अरब डॉलर
  • एनर्जी सेक्टर- 64 अरब डॉलर
  • इंडस्ट्री सेक्टर: 68 बिलियन
  • कृषि क्षेत्र: 55 अरब डॉलर 
    (सोर्स: वर्ल्ड बैंक)

यूक्रेन आर्मी (Photo Credit: X/zelenskyy.official)


यूक्रेन क्यों संभल नहीं रहा है?

यूक्रेन में सरकारी एजेंसियों को छोड़कर, प्राइवेटाइजेशन सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। टूरिज्म बाधित हुआ है। यूक्रेन में एशियाई देशों से छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए भी जाते थे, अब यह भी बाधित हुआ है, सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में है। यूक्रेन के पावर, गैस प्लांट, सोलर पैनल और बायोगैस प्रोजेक्ट भी अधर में लटके हुए हैं। 

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कौन कर रहा है संकटग्रस्त यूक्रेन की मदद?
यूरोपियन यूनियन, IMF और विश्व बैंक जैसे संगठन यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। अमेरिकी की नजर, मदद के बदले यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर है। सीधे तौर पर अमेरिका सैन्य मदद में शामिल भी नहीं होता है। सिर्फ आर्थिक तौर पर मदद कर रहा है। नाटो के देश भी यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। 

रूस को भी दर्द दे रहा है यूक्रेन
यूक्रेन की सेना ने ऑपरेशन को 'स्पाइडरवेब' के जरिए रूस में तबाही मचाई है। यूक्रेन से सैकड़ों मील दूर ठिकानों को सेना ने निशाना बनया है। यूक्रेन के हमले में रूस के टीयू-95 और टीयू-22एम3 जैसे रणनीतिक बमवर्षक विमानों खत्म हो गए हैं। रूस को करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और उसके 34% रणनीतिक मिसाइल वाहक विमानों को क्षति पहुंची है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि इस ऑपरेशन की योजना डेढ़ साल से बनाई जा रही थी। यूक्रेन के हमले में रूस के बेलाया, ड्यागिलेवो, ओलेन्या और इवानोवो हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया। ये अड्डे यूक्रेन की सीमा से 320 से 4500 किलोमीटर दूर हैं। 

यूक्रेन आर्मी (Photo Credit: X/zelenskyy.official)



यूक्रेन को कितना नुकसान पहुंचा है?
रैपिड डैमेज एंड नीड्स असेसमेंट के आंकड़े बताते हैं कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था युद्ध की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई है। युद्ध ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को 176 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाया है। यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर्यटन, कृषि, और खनिज संसाधनों पर निर्भर थी। युद्ध की वजह से यूक्रेन न तो अपना खनिज बेच पा रहा है, न ही अनाज की सप्लाई कर पा रहा है। आय का एक बड़ा हिस्सा बाधित हुआ है।

यूक्रेन का व्यापार कैसे चलता है?
यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर्यटन, कृषि, इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी, लाइट इंडस्ट्री और मेकेनिकल इंजीनियरिंग पर आधारित है। युद्ध की वजह से ये सभी क्षेत्र बाधित हुए हैं। प्रमुख बंदरगारों पर रूस के हमले की आशंका है या तबाह हो चुके हैं। ऐसे में व्यापार मार्ग भी बाधित हैं। मुश्किल हालातों में भी यूक्रेन ने अपना व्यापार जारी रखा है। 

यूक्रेन आर्मी (Photo Credit: X/zelenskyy.official)



किस संगठन/देश से यूक्रेन ने कितना कर्ज लिया है?

  • G7: 50 अरब डॉलर 
  • रूस: 3 अरब डॉलर
  • कनाडा: 5 अरब डॉलर
  • IMF: 15 अरब डॉलर
  • अमेरिका: 74 अरब डॉलर
  • पोलैंड: 3 अरब डॉलर
  • जापान: 1.7 अरब डॉलर
  • विश्व बैंक: $2.5 अरब डॉलर
    (आंकड़े US डॉलर में, सोर्स: यूक्रेन वित्त मंत्रालय)

  • यूरोपियन यूनियन: यूरोपीय संघ 89 अरब डॉलर
  • जर्मनी: 7.6 अरब पाउंड
  • ब्रिटेन: 6.5 अरब पाउंड
  • नीदरलैंड्स: 2.5 अरब पाउंड
    (सोर्स: यूक्रेन वित्त मंत्रालय)
यूक्रेन आर्मी (Photo Credit: X/zelenskyy.official)


खर्च कैसे चल रहा है?

यूक्रेन को पश्चिमी देशों से सैन्य और आर्थिक मदद मिल रही है। यूक्रेन की बड़ी संख्या, नाटो देशों में शरणार्थी बनी है। यूक्रेन ने 2024 में अपनी सेना पर 43.2 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई थी। यह राशि युद्ध के लिए हथियार, उपकरण और सैनिकों के रखरखाव के लिए थी। यूक्रेन को पश्चिमी और यूरोपीय देशों की ओर से दी रही ज्यादातर मदद, रूस के खिलाफ जंग में आत्मरक्षा के लिए है। साल 2027 तक यह कर्ज ब्याजमुक्त है। 

यूक्रेन की अर्थव्यवस्था युद्ध के बाद अब पश्चिमी देशों की मदद पर टिकी है। यूरोपीय संघ और अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद से यूक्रेन युद्ध भी लड़ रहा है, मरम्मत भी करा रहा है और अपने सैनिकों को वेतन भी दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र और दूसरे वैश्विक संगठन यूक्रेन की मदद के लिए आवाज उठा रहे हैं। यूक्रेन और रूस में संघर्ष विराम समझौते के लिए इस्तांबुल में बैठक होने वाली थी, नए टकराव के बाद इस बैठक पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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