पहलगाम अटैक और फिर 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव बढ़ा, उसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी एंट्री हो गई। डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच 'सीजफायर' होने का ऐलान कर दिया। इसके कुछ देर बाद भारत के विदेश सचिव ने सीजफायर की जानकारी दी। यहां तक तो तब भी ठीक था लेकिन बाद में ट्रंप ने इस पूरे विवाद पर दो दावे कर दिए।
भारत ने ट्रंप को साफ कर दिया कि कश्मीर के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं है। इसके साथ ही ट्रंप के उस दावे को भी खारिज किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर राजी नहीं होते तो अमेरिका ट्रेड नहीं करता।
ट्रंप के दावे और उनकी सच्चाई
- ट्रंप का दावाः 11 मई को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'मैं दोनों के साथ मिलकर यह देखने कि कोशिश करूंगा कि क्या 'हजारों साल' पुराने कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकाला जा सकता है।'
- सच्चाईः डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर के मुद्दे को 'हजारों साल पुराना विवाद' बताया जबकि सच यह है कि यह 1947 से चल रहा है, जब भारत और पाकिस्तान में बंटवारा हुआ था।
- ट्रंप का दावाः 12 मई को ट्रंप ने कहा, 'मैंने कहा कि आइए व्यापार करते हैं, इसे रोक दीजिए। अगर आप इसे रोकेंगे तो हम व्यापार करेंगे। अगर नहीं रोकेंगे तो हम कोई व्यापार नहीं करेंगे। लोगों ने कभी भी बिजनेस का उस तरह इस्तेमाल नहीं किया, जैसा मैंने किया।'
- सच्चाईः विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, '7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति होने तक, भारत और अमेरिकी नेताओं के बीच उभरते सैन्य हालातों पर बात होती रही। इस दौरान किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।'
क्या ट्रंप झूठ बोलते हैं?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गिनती 'झूठों' में होती है। दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर उन्होंने टाइम मैग्जीन को एक इंटरव्यू दिया था। यह पूरा इंटरव्यू लगभग 50 मिनट का था। वॉशिंगटन पोस्ट ने 30 अप्रैल 2025 को अपनी रिपोर्ट में बताया कि टाइम मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने 32 ऐसे दावे किए थे, जो 'झूठे' या 'भ्रामक' थे।
वॉशिंगटन पोस्ट ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में किए गए दावों पर एक रिपोर्ट जारी की थी। यह रिपोर्ट उनके पहले कार्यकाल यानी दिसंबर 2017 से जनवरी 2021 के बीच किए गए दावों पर तैयार की गई थी। वॉशिंगटन पोस्ट ने बताया था कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 30,573 झूठ बोले थे। अगर इसे देखा जाए तो ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में हर दिन औसतन 21 झूठे दावे किए थे।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के पहले साल हर दिन औसतन 6 झूठे या भ्रामक दावे किए थे। दूसरे साल में हर दिन 16, तीसरे साल में हर दिन 22 और चौथे साल में हर दिन 39 झूठे दावे किए। इसमें बताया था कि ट्रंप को 10 हजार झूठे दावे करने में 27 महीने का समय लगा था। इसके बाद उनके 20 हजार झूठे दावे 14 महीने में ही पूरे हो गए थे। जबकि, 20 से 30 हजार तक पहुंचने में ट्रंप को 5 महीने से भी कम वक्त लगा था। यह दिखाता है कि कार्यकाल खत्म होने के साथ-साथ ट्रंप के झूठे और भ्रामक दावे भी बढ़ गए थे।
2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप के झूठ बोलने की रफ्तार बढ़ गई थी। अक्टूबर 2020 में ट्रंप ने एक महीने में 3,917 झूठे या भ्रामक दावे किए थे। इससे पहले सितंबर में उन्होंने 2,239 झूठे दावे किए थे। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग से एक दिन पहले 2 नवंबर को ट्रंप ने 539 झूठे और भ्रामक दावे किए थे।
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राष्ट्रपति बनते ही झूठ बोलने लगते हैं ट्रंप?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन नेताओं में से हैं, जो अक्सर झूठे और भ्रामक दावे करते रहते हैं। जनवरी 2018 में जब डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो पहले ही दिन उन्होंने 20 बार झूठा और भ्रामक दावा किया था।
इस साल 20 जनवरी को जब ट्रंप ने दूसरी बार शपथ ली तो पहले ही भाषण में उन्हें 8 झूठे और भ्रामक दावे किए थे। न्यूज एजेंसी AP ने ट्रंप के पहले भाषण में किए दावों का फैक्ट चेक किया था। पहले ही भाषण में ट्रंप ने दावा किया था कि पनामा नहर को चीन चला रहा है। ट्रंप ने दावा किया था कि पनामा नहर से गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों से ज्यादा फीस ले जाती है और इस नहर का पूरा काम चीन संभाल रहा है।
ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया गया था। पनामा नहर के एडमिनिस्ट्रेटर रिकॉर्ते वैस्क्वेज ने AP से कहा था, 'नहर से गुजरने वाले हर जहाज से एक ही फीस ली जाती है। फीस को लेकर कोई भेदभाव नहीं है।'
दिसंबर 2018 में वॉशिंगटन पोस्ट ने 'Bottomless Pinocchio' नाम से एक नई कैटेगरी बनाई थी। इस कैटेगरी में शामिल होने ट्रंप एकमात्र नेता थे। उन्हें इसलिए इस कैटेगरी में रखा गया था, क्योंकि उन्हें झूठे या भ्रामक साबित होने के बावजूद 14 दावे उन्होंने बार-बार किए थे। इसका मतलब हुआ कि ट्रंप को पता था कि वे जो बोल रहे हैं, वह झूठ है, तब भी वह दावे करते रहे।
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इतना झूठ क्यों बोलते हैं ट्रंप?
वैसे तो हर राजनेता झूठ बोलता है लेकिन ट्रंप इससे अलग हैं। अमेरिका के इतिहासकार डगलस ब्रिंकले ने एक लेख में लिखा था, 'अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने कभी-कभी झूठ बोला है या देश को गुमराह किया लेकिन कोई भी ट्रंप की तरह 'सीरियल लायर' नहीं था।'
मई 2019 में डोनेल स्टर्न ने साइकोएनालिटिक डायलॉग्स में लिखा था, 'हम राजनेताओं से सच को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की उम्मीद कर सकते हैं लेकिन ट्रंप इससे बिल्कुल अलग हैं। ट्रंप अपने समर्थकों या खुद को खुश करने के लिए कुछ भी कह सकते हैं।'
इतना ही नहीं, जॉर्ज एडवर्ड्स III ने न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा था, 'डोनाल्ड ट्रंप किसी भी पिछले राष्ट्रपति की तुलना में सबसे ज्यादा झूठ बोलते हैं। झूठ बोलने में कोई भी राष्ट्रपति उनके आस-पास भी नहीं है।'
सितंबर 2024 में AP ने एक सर्वे किया था। सर्वे में शामिल 57% अमेरिकियों ने माना था कि ट्रंप और उनका राष्ट्रपति अभियान 'झूठ' पर आधारित था। हालांकि, ट्रंप अक्सर उनके दावों का फैक्ट चेक करने वाली मीडिया को ही 'फेक न्यूज' बता देते हैं।