तुर्की के किसान शायद मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी से जूझ रहे हैं। जिन खेतों में वह वर्षों और पीढ़ियों से काम कर रहे हैं, वही खेत अचानक गायब होने लगे हैं। 'खेत गायब' होने की घटना एक-दो किसानों तक सीमित नहीं है। हजारों किसान इसका शिकार हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अचानक 'खेत गायब' होने की घटना से दहशत और चिंता है। तुर्की का अनातोलिया इलाका सबसे अधिक प्रभावित है। मध्य अनातोलिया के कोन्या में करापिनार जिले में भूस्खलन की समस्या सबसे विकराल है। यहां किसानों के खेत धरती ही निगल रही है। 

 

भूस्खलन की गति काफी तेज है। हाल ही में सैटेलाइट और ड्रोन फुटेज से सामने आया है कि कोन्या में 684 बड़े सिंकहोल (गड्ढे) बन गए हैं। यह गड्ढे 100 फुट चौड़े और सैकड़ों फुट गहरे हैं। अगर 2025 की बात करें तो इस साल कोन्या में बने 20 नए गड्ढों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। एक-एक गड्ढे में कई किसानों की जमीन जा चुकी है। कोन्या बेसिन में अब हर साल दर्जनों गड्ढे बन रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें: अब अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में गोलीबारी, 2 छात्र की मौत और 9 घायल

रातोंरात गायब हो रहे खेत

ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की के किसान इन सिंकहोल से बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि रातोंरात उनके पूरे के पूरे खेत गायब हो रहे हैं। परिवारों को अपनी पुश्तैनी जमीनें छोड़नी पड़ रही हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी है कि आने वाले समय में तुर्की का कोन्या मैदान हजारों हेक्टेयर उपजाऊ भूमि खो सकता है। खास बात यह है कि यह सिंकहोल अचानक बनते हैं। मतलब आज सबकुछ सही है और अगली सुबह खेत गायब और उसकी जगह विशाल गड्ढा होता है।

चार साल में 2000 से अधिक सिंकहोल बने

कोन्या तकनीकी विश्वविद्यालय के सिंकहोल अनुसंधान केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में कुल 299 सिंकहोल थे। चार साल बाद 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,550 हो गया। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि मध्य अनातोलिया को तुर्की के अन्न का भंडार कहा जाता है। यहां गेहूं की खेती खूब होती है। अगर समय रहते इन सिंकहोल का बनना नहीं रुका तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। तुर्की के कृषि अधिकारियों को भी इसकी चिंता सता रही। उनका कहना है कि कृषि योग्य भूमि अगर लगातार घटी तो यह तुर्की की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा होगा। इससे देश के गेहूं उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।

भूजल दोहन से बन रहे सिंकहोल

तुर्की के अनातोलिया इलाके में व्यापक स्तर पर खेती होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिंचाई के लिए जमीन से अधिक पानी निकालने से सिंकहोल बन रहे हैं। इस इलाके में पहले परंपरागत रूप से खेती होती थी। मगर 1960 के दशक में यहां बड़े पैमाने पर व्यावसायिक खेती शुरू हुई। गहरे-गहरे कुएं खोदे गए और इनसे भूजल का खूब दोहन किया गया। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां 90 फीसद पानी का इस्तेमाल सिर्फ खेती के कामों में होता है। इसमें से आधा पानी जमीन से निकाला जाता है।

20 मीटर तक गिरा जलस्तर

कोन्या विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक अभियांत्रिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यहां 2000 के बाद भूजल स्तर में 1 से 2 मीटर सालाना की गिरावट आई है। वहीं कुछ कुओं में पानी प्रतिवर्ष 20 मीटर तक नीचे चला गया है और यही घटते जलस्तर के कारण सिंकहोल बन रहे हैं।

कैसे होता है सिंकहोल का निर्माण?

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब जमीन से अधिक मात्रा में पानी निकाला जाता और इलाके में सूखा होता है तो धरती के नीचे एक खाली जगह बन जाती है। जब पानी जमीन के अंदर रिसता है तो वह अंदर ही अंदर गुफाओं का निर्माण करता है। समय के साथ यह गुफाएं अपने ऊपर की धरती का भार नहीं सह पाती हैं और जमीन बैठने लगती है। इससे सिंकहोल का निर्माण होता है। तुर्की के कोन्या मैदान के नीचे जलस्तर काफी नीचे चला गया है। इस कारण जमीन के अंदर खाली स्थान बन गया है। हाल ही में रिमोट सेंसिंग डेटा से 1,850 ऐसी जगहों की पहचान की गई है, जहां सिंकहोल बन सकते हैं।

 

यह भी पढ़ें: सिडनी हमले के आरोपी की हुई पहचान, एक शख्स ने बहादुरी से बचाई कई जान

क्या सूखा भी एक वजह?

सिंकहोल बनने के पीछे सूखा और कम बारिश भी जिम्मेदार है। दरअसल, जमीन से जो पानी निकाला जाता है, बारिश न होने के कारण वह रिचार्ज नहीं हो पाता है। दूसरी तरफ सूखे से निपटने के लिए किसान अधिक मात्रा में भूजल का दोहन करते हैं। इससे जमीन के नीचे अधिक खाली जमीन तैयार होती है। बाद में इसी जमीन के धंसने से सिंकहोल का निर्माण होता है। हाल ही में नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने बताया कि कोन्या क्षेत्र में जल आपूर्ति करने वाले प्रमुख जलाशय पिछले 15 वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर हैं।

किसानों ने खुदा अपने बर्बादी का कुआं

एक रिपोर्ट के मुताबिक अनातोलिया इलाके में अवैध कुओं ने भी समस्या को और बढ़ाया है। अनुमान के मुताबिक कोन्या करापिनार में 35,000 स्वीकृत कुएं हैं। मगर यह सिर्फ सरकारी आंकड़े हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यहां एक लाख से अधिक अवैध कुएं हैं, जो अधिक भूजल दोहन के जिम्मेदार हैं। तुर्की की यह समस्या पूरी दुनिया के सामने सबक है। अगर भूजल प्रबंधन पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में यह समस्या दुनिया के अन्य देशों में भी आम होगी। अभी तुर्की के अलावा अमेरिका, इजरायल और ऑस्ट्रेलिया में सिंकहोल बनने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।