उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन लंबी ट्रेन यात्रा करना पसंद करते हैं। उनके घर में तीन पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है। चाहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हों या चीन के शी जिनपिंग और अमेरिका के ट्रंप, किम जोंग उन सभी से मिलने अपनी लग्जरी बख्तरबंद ट्रेन से जाते हैं। चाहे टाइम 2 दिन लगे या 20 दिन। किम जोंग उन को कोई फर्क नहीं पड़ता। उत्तर कोरिया की यह हरे रंग वाली ट्रेन किम जोंग उन के आधिकारिक वाहन का पर्याय बन चुकी है। आज जानेंगे कि किम जोंग उन का परिवार ट्रेन से ही सफर करना क्यों पसंद करता है, यह परंपरा कितनी पुरानी है, क्या किम जोंग उन ने कभी हवाई सफर किया या नहीं। ट्रेन के अलावा वे कौन-कौन से वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। ट्रेन में इतना क्या खास है, जिस पर किम परिवार को इतना भरोसा है?
 
किम जोंग उन 2 सितंबर को अपनी आधिकारिक यात्रा पर चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे। यहां उन्होंने चीन की सैन्य परेड में हिस्सा लिया। शी जिनपिंग, व्लादिमीर पुतिन के साथ किम की मुलाकात के इतर उनकी ट्रेन की दुनियाभर में खूब चर्चा हुई। माना जाता है कि किम जोंग उन की यह विशेष ट्रेन बुलेटफ्रूफ है। इसमें कई अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। बेडरूम, लिविंग रूम और बैठक का अलग कक्ष है।

 

यह भी पढ़ें: लग्जरी होटल, यॉट, रियल स्टेट; किसको मिलेगी अरमानी की अरबों की संपत्ति

 

किम जोंग उन की विशेष ट्रेन में करीब 15 डिब्बे हैं। कुछ टीमें सिर्फ तानाशाह की खातिर आरक्षित हैं। अन्य टीमों में सुरक्षाबल, डॉक्टर और अन्य साजो-सामान होता है। इस ट्रेन को चलता-फिरता किला माना जाता है। यह अधिकतम 60 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ही चलती है। माना जाता है कि किम जोंग उन के पास ऐसी कई रेलगाड़ियां हैं। सुरक्षा कारणों से इनका वे अदल-बदल कर इस्तेमाल करते हैं।

किस-किस नेता से ट्रेन से मिलने पहुंचे किम?

साल 2023 में किम जोंग उन ने रूस की यात्रा की थी। वह ट्रेन से लंबी यात्रा करके रूसी शहर व्लादिवोस्तोक पहुंचे। जहां उनकी मुलाकात पुतिन से हुई थी। लगभग 20 घंटे में किम की ट्रेन ने 1180 किमी की दूरी तय की थी। किम जोंग उन ने 2019 में वियतनाम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। उस वक्त किम ने अपनी ट्रेन से यात्रा की। उत्तर कोरिया की सीमा से उनकी ट्रेन को चीनी इंजन ने खींचा और वियतनाम तक पहुंचाया था। अगर किम जोंग जहाज से वियतनाम जाते तो सिर्फ 5 घंटे का समय लगता है। मगर उन्होंने 5 घंटे के बदले ढाई दिन की यात्रा करना ज्यादा मुनासिब समझा।

क्यों बदलने पड़ते हैं पहिये और इंजन?

2023 में जब किम जोंग उन अपनी ट्रेन से रूस पहुंचे तो बॉर्डर पर ट्रेन के पहियों को बदलना पड़ा। इसकी वजह यह है कि रूस और उत्तर कोरिया अलग-अलग रेल गेज का इस्तेमाल करते हैं। साधारण भाषा में कहें तो दोनों देशों की पटरियां छोटी-बड़ी हैं। जब किम जोंग चीन जाते हैं तो पहियों को बदलना नहीं पड़ता है। लेकिन यहां इंजन बदलना पड़ता है, क्योंकि उत्तर कोरिया का ड्राइवर चीन के संकेतों को नहीं जानता है। इस कारण सीमा पर चीनी इंजन लगाया जाता है और चीन का ड्राइवर ही आगे गाड़ी ले जाता है। 

ट्रेन से यात्रा क्यों पसंद करते हैं किम जोंग उन?

तानाशाह किम जोंग उन के साथ हमेशा एक बड़ी टीम चलती है। इसमें सैनिक, डॉक्टर, अधिकारी, सहयोगी और परिवार के लोग शामिल होते हैं। विशेष कारें भी काफिले में शामिल होती हैं। इन सबकों एक ट्रेन से ले जाना आसान और सुरक्षित है। किम ट्रेन में दो बख्तरबंद मर्सिडीज के अलावा कई अन्य कारों की रखने की जगह है। ट्रेन के अंतर ही एक रेस्तरां और किम का ऑफिस भी बना है। एक मीटिंग रूम है। इसमें बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हैं। सैटेलाइट फोन से ट्रेन लैस है। ट्रेन के एक डिब्बे पर मच बना है। किम जोंग उन कभी भी गाड़ी रोकर लोगों को इसी मंच से संबोधित कर सकता है।

किम परिवार को ट्रेन से कितना लगाव?

साल 1950-53 में कोरियाई प्रायद्वीप का विभाजन हुआ तो उत्तर कोरिया अस्तित्व में आया। किम जोंग उन के दादा किम इल सुंग इसके संस्थापक थे। उन्होंने 1994 तक देश पर शासन किया। बाद में उनके बेटे किम जोंग इल ने गद्दी संभाली। 2011 तक वह सत्ता में थे। इस दौरान जोंग इल ने तीन बार ट्रेन से रूस की यात्रा की। 2001 में तो 20 हजार किमी का सफर ट्रेन से किया। 2011 में ट्रेन में ही दिल का दौरा पड़ने से किम इल का निधन हो गया। उनकी ट्रेन आज भी समाधि स्थल पर खड़ी है। उनके पिता किम इल सुंग की ट्रेन भी उनकी समाधि का हिस्सा है।

 

यह भी पढ़ें: 'डब्बों में भरकर रखें बाढ़ का पानी', पाकिस्तान के मंत्री का अजीब बयान

किसने शुरू की ट्रेन यात्रा?

पिता के निधन के बाद किम जोंग उन ने 2011 में सत्ता संभाली। तब से वह उत्तर कोरिया के भीतर और विदेशी दौरों पर ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने चीन, रूस और वियतनाम की यात्रा कई बार ट्रेन से की। ट्रेन से विदेश यात्रा की शुरुआत किम जोंग उन के दादा ने की थी। आज यह तानाशाह उसी परंपरा को निभा रहा है। दादा किम इल सुंग ने वियतनाम से पूर्वी यूरोप की तक का सफर अपनी ट्रेन से किया था। किम जोंग के पिता किम जोंग इल हवाई सफर करने से डरते थे। उन्होंने 10 दिन की ट्रेन यात्रा के बाद साल 2001 में पुतिन से मुलाकात की थी।

क्या हवाई सफर से डरते हैं किम जोंग उन?

किम जोंग उन के पिता भले ही हवाई सफर से डरते थे लेकिन वह नहीं। वे कई बार फ्लाइट से उड़ान भर चुके हैं। स्विट्जरलैंड में पढ़ाई के दौरान किम जोंग उन कोकई बार हवाई सफर करना पड़ा। उनके पास रूस में बना एक निजी विमान है। 2018 में अपनी पहली विदेश यात्रा में किम जोंग उन ने इसी विमान का इस्तेमाल किया था। चीन के डालियान शहर में किम का विमान उतरा और इसके बाद शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात हुई। 2014 में तानाशाह को एक यूक्रेनी विमान एंटोनोव-148 में भी देखा गया। इसके अगले साल किम जोंग उन स्वदेशी लाइट विमान को उड़ाते दिखे।