पोलैंड में एक दर्जन से अधिक रूसी ड्रोन की घुसपैठ ने न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है। यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद यह पहली बार है जब पोलैंड के क्षेत्र में रूसी ड्रोन दिखाई पड़े। बेलारूस की सीमा से दाखिल होने वाले इन ड्रोन ने पोलैंड की सेना और नाटो को अलर्ट मोड पर ला दिया है। संयुक्त राष्ट्र से यूरोप तक बैठक और बातचीत का दौर जारी है। चिंता इस बात की है कि क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के बाद यूरोप में जंग का एक नया मोर्चा खोलने को बेताब है?

 

पोलैंड की सेना और नाटो ने कई रूसी ड्रोन को मार गिराने का दावा किया। इसके बाद पोलैंड ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया। नाटो के विमान आकाश में उड़ रहे हैं। पोलैंड की सेना अलर्ट पर है। पूरे यूरोप में फोन कॉल और बातचीत का दौर जारी है। पोलैंड में रूस की इस आक्रामकता को नाटो इतिहास की सबसे बड़ी घुसपैठ कहा जा रहा है।

 

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पोलैंड के पीएम ने क्या कहा?

पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने आरोप लगाया कि भारी संख्या में ड्रोन बेलारूस की सीमा से घुसे। पोलैंड के अन्य अधिकारियों ने इस घुसपैठ को रूस की जानबूझकर की गई हरकत बताया। देश की संसद में पीएम टस्क ने जानकारी दी कि देश युद्ध की स्थिति में है, ऐसा कहने का अभी कोई कारण नहीं है। मगर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संघर्ष के सबसे करीब है। पोलैंड ऐसे दुश्मन का सामना कर रहा है, जो अपने शत्रुतापूर्ण इरादों को छिपा नहीं पाता।

रूस पर हमला करने का आरोप

पोलैंड ने रूस पर हमला करने का आरोप लगाया है। इसके बाद उसने तत्काल प्रभाव से नाटो का अनुच्छेद-4 एक्टिव कर दिया है। इसके तहत सभी नाटो सदस्य एक बैठक में रूसी आक्रामकता पर चर्चा करेंगे। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क का आरोप कि पोलैंड के हवाई क्षेत्र का 19 बार उल्लंघन किया गया। हालांकि ड्रोनों की सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया।

पहली बार नाटो ने की गोलीबारी

फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच जंग की शुरुआत हुई। युद्ध के साढ़े तीन साल में पहली बार नाटो ने रूसी आक्रामकता के खिलाफ गोलीबारी की। पोलैंड के गृह मंत्रालय का दावा है कि देशभर में अलग-अलग स्थानों पर 16 ड्रोन बिखरे मिले हैं। बताया जा रहा है कि ये ड्रोन ईरान के शाहेद ड्रोन जैसे हैं। इन ड्रोनों को लॉन्च करने से पहले ही एक सटीक लक्ष्य को भेदने की खातिर प्रोग्राम किया जाता है।

क्या है अनुच्छेद-4 ?

नाटो का एक बेसिक सिद्धांत है। उसी पर यह पूरा संगठन काम करता है। अगर किसी एक सदस्य देश पर हमला हुआ तो यह पूरे नाटो पर हमला माना जाएगा। अनुच्छेद-4 के तहत कोई भी नाटो देश किसी भी मुद्दे को उत्तरी अटलांटिक परिषद के ध्यान में लाना चाहता है। इसके बाद सभी सहयोगियों के साथ बैठक में बातचीत होगी। अगले कदम पर चर्चा होगी। उत्तरी अटलांटिक परिषद नाटो के अहम निर्णय लेने वाली बॉडी है।

 

क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता या सुरक्षा को खतरा होने पर अनुच्छेद 4 का इस्तेमाल किया जाता है। सलाह मशविरा इसमें सबसे अहम है, क्योंकि फैसला सर्वसम्मति से होता है। पोलैंड ने बुधवार को बेल्जियम के ब्रुसेल्स में उत्तरी अटलांटिक परिषद की बैठक बुलाई थी।

कितनी बार लागू हो चुका अनुच्छेद-4

साल 1949 में नाटो का गठन हुआ। अब तक सिर्फ सात बार ही अनुच्छेद 4 को लागू किया गया। 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पोलैंड ने बुल्गारिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया और स्लोवाकिया के साथ मिलकर इस अनुच्छेद को एक्टिव किया था।

 

2014 में क्रीमिया पर रूसी हमले के बाद पोलैंड ने नाटो के अनुच्छेद 4 को लागू किया था। 2015 में तुर्किये भी इसका इस्तेमाल कर चुका है। नाटो के अनुच्छेद5 का सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया गया। अफगानिस्तान में आतंक के खिलाफ युद्ध में अमेरिका ने अनुच्छेद 5 लागू किया था। अनुच्छेद 5 लागू होने का मतलब नाटो के सभी सदस्य देश युद्ध में कूद पड़ेंगे। 

 

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ट्रंप का रुख क्या?

पोलैंड में रूसी घुसपैठ को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आकस्मिक बताया। उनका कहना है कि यह एक गलती हो सकती है। लेकिन जो भी हो, मैं इस पूरी स्थिति से बिल्कुल खुश नहीं हूं। उम्मीद है कि यह सब खत्म हो जाएगा।

नाटो ने दिखाई नरमी

रूसी आक्रामकता पर नाटो महासचिव मार्क रूट का कहना है कि सभी देश पोलैंड के साथ हैं। रूस के लापरवाह व्यवहार की निंदा की है। घटना का आकलन किया जा रहा है। नाटो के यूरोप के सर्वोच्च सहयोगी कमांडर एलेक्सस ग्रिनकेविच ने कहा कि पोलैंड में ड्रोन घुसपैठ जानबूझकर की गई या अनजाने में, अभी तक इसका खुलासा नहीं हुआ है।

यूरोप को टेंशन क्यों?

डोनाल्ड ट्रंप बार-बार कह चुके हैं कि यूरोप को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी। अब यूरोपीय देशों को चिंता यह है कि अगर रूस ने पोलैंड पर हमला किया तो जंग का एक नया मोर्चा खोल जाएगा। रूस की आक्रामकता सिर्फ पोलैंड तक सीमित नहीं रहेगी। वह आगे जर्मनी तक पहुंचेगा। यही वजह है कि यूरोप के अधिकांश देश जंग की तैयारी में जुट चुके हैं। जर्मनी अपनी सेना को आधुनिक बना रहा है। फ्रांस ने अपने सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया है। ब्रिटेन भी अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने की बात कही है।

तीन राफेल विमान तैनात करेगा फ्रांस

पोलैंड के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन की घुसपैठ के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने तीन राफेल लड़ाकू विमान तैनात करने का ऐलान किया है। मैक्रों ने पोलैंड के प्रधानमंत्री और नाटो महासचिव व ब्रिटिश प्रधानमंत्री से बात भी की। मैक्रों ने कहा कि पोलैंड में रूसी ड्रोन घुसपैठ के बाद मैंने अपने नाटो सहयोगियों के साथ पोलैंड के हवाई क्षेत्र और पूर्वी यूरोप में तीन राफेल लड़ाकू विमान तैनात करने का निर्णय लिया है। उन्होंने आगे कहा कि हम रूस की बढ़ती धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे।

ड्रोन घुसपैठ पर क्या बोला रूस?

रूस ने अपने एक बयान में पोलैंड को निशाना बनाने से इनकार किया। हालांकि यह उसकी एक पुरानी रणनीति है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले से पहले भी रूस ठीक यही भाषा बोलता था। मगर अंत में उसने हमला ही किया। रूस के इस पुराने रुख को देखते हुए पूरे यूरोप की टेंशन बढ़ गई है। रूस के रक्षा मंत्री ने कहा कि उसने पोलैंड के ठिकानों को निशाना नहीं बनाया है। वह इस घटना पर बातचीत करना चाहता।