अमेरिका ने सीरिया में इस्लामिक स्टटे ऑफ ईराक एंड सीरिया (ISIS) के ठिकानों पर बड़ा हवाई हमला किया है। 13 दिसंबर को इस्लामिक स्टेट के हमले में दो अमेरिकी सैनिक और एक अनुवादक की मौत हो गई थी। अमेरिका ने इसी हमले का बदला लिया है।

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि शुक्रवार को करीब 70 से ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन का नाम 'ऑपरेशन हॉकआई' रखा गया है। यह नाम इसलिए क्योंकि मारे गए दोनों सैनिक आयोवा राज्य के थे, जिसे 'हॉकआई स्टेट' कहा जाता है। 

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इस्लामिक स्टेट पर कहर बरपा रहा अमेरिका

अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट के हथियारों के गोदामों को तबाह किया है। जॉर्डन ने भी इस हवाई हमले में अमेरिका की मदद की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे आतंकियों से बदला ले रहे हैं। उन्होंने वादा किया था। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट को खत्म करने से वहां की तकदीर बदल सकती है और सीरिया सरकार, खुद अमेरिका के समर्थन में है।

किन हथियारों का इस्तेमाल कर रहा अमेरिका?

रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने इसे 'बदले की एलान' बताया है। उन्होंने कहा, 'यह युद्ध की शुरुआत नहीं है, बल्कि अपने लोगों की रक्षा के लिए मजबूत कार्रवाई है।' 
अमेरिका ने इस एयर स्ट्राइक में लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया है। 

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किन सैनिकों की मौत पर बौखलाया अमेरिका?

सीरिया में मारे गए सैनिकों के नाम सर्जेंट एडगर ब्रायन टोरेस टोवार और सर्जेंट विलियम नाथनियल हॉवर्ड थे। दोनों आयोवा नेशनल गार्ड के थे। हमले में एक नागरिक ट्रांसलेटर अयाद मंसूर सकात भी मारा गया था। तीन अन्य सैनिक घायल हुए थे।

ISIS पर क्यों भड़का अमेरिका?

अमेरिका सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लंबे समय से अभियान चला रहा है। सैकड़ों अमेरिकी सैनिक वहां तैनात हैं। अभी तक यह साफ नहीं है कि अमेरिका के जिन सैनिकों की मौत हुई है, उन्हें ISIS के लोगों ने ही मारा है लेकिन अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग छेड़ दी है।  

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सीरिया को कितना नुकसान पहुंचा है?

अमेरिका ने अपने F-15 और A-10 लड़ाकू विमानों से सीरिया में बड़ी तबाही मचाई है। अपाचे हेलीकॉप्टर और अन्य हथियारों की मदद से करीब 70 से ज्यादा ठिकाने अमेरिका ने तबाह किए हैं। सीरिया में बशर-अल-असद सरकार की विदाआई के बाद भी सैकड़ों सैनिक तैनात हैं।