अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को ऐलान किया कि वह 'थर्ड वर्ल्ड' यानी तीसरी दुनिया से आने वाले प्रवासियों पर स्थायी रोक लगाएंगे। उनका यह बयान व्हाइट हाउस के पास नेशनल गार्ड के दो जवानों पर फायरिंग के एक दिन बाद आया। गोलीबारी की इस घटना को अफगान नागरिक रहमानुल्लाह लकनवाल ने अंजाम दिया था।
बाइडन प्रशासन में लकनवाल को अमेरिका में शरण दी गई थी। उसने तालिबान के खिलाफ जंग में अमेरिकी सेना की मदद की थी। डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा कि वह अमेरिका से सभी 'थर्ड वर्ल्ड' देशों से आने वाले प्रवासियों को स्थायी तौर पर रोकेंगे और सुरक्षा के लिए खतरा बनने वालों को देश से बाहर करेंगे।
ट्रंप का कहना है कि वह हर 'चिंताजनक स्थिति वाले देश' से आए प्रवासियों के सभी ग्रीन कार्ड की समीक्षा करेंगे। उन्होंने तर्क दिया कि सभी 'थर्ड वर्ल्ड' देशों से आने वाले प्रवास को स्थायी रूप से इसलिए रोका जाएगा, ताकि अमेरिका में व्यवस्था पूरी तरह से बहाल की जा सके। अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर ट्रंप ने लिखा, 'मैं बाइडन प्रशासन में लाए गए लोगों के अवैध प्रवेश को खत्म करूंगा। जो हमारे देश से प्यार नहीं करते और अनुपयोगी हैं, उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। प्रवासियों को उनके देश भेजना ही स्थिति को ठीक करेगा।'
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ट्रंप का दावा है कि सोमालिया से आने वाले हजारों शरणार्थियों ने मिनेसोटा राज्य पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर पर हमला बोला और कहा कि वह हमेशा हिजाब में रहती हैं। हो सकता है कि वह भी अमरेकी अवैध तरीके से आई हों। वह नफरत फैलाने वाली शिकायतों के अलावा कुछ नहीं करती हैं। ट्रंप ने अफगान नागरिकों की एक फोटो भी साझा की और कहा कि इन लोगों को बिना किसी जांच के अमेरिका लाया गया है। हम इस चीज को ठीक करेंगे।
इन देशों के नागरिकों की कड़ी होगी जांच
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के निदेशक जोसेफ एडलो ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'हर चिंताजनक स्थिति वाले देश' से आने वाले प्रवासियों के ग्रीन कार्ड की पूरी तरीके से समीक्षा करने का आदेश दिया है। 27 नवंबर या इसके बाद के सभी आवेदनों पर यह लागू हो गया है। जून महीने में अमेरिका ने 19 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था। अब इन्हीं देशों के नागरिकों की जांच को कड़ा करने का आदेश दिया गया। इस सूची में अफगानिस्तान, म्यांमार, बुरुंडी, चाड, कांगो गणराज्य, क्यूबा, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लाओस, लीबिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, सूडान, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला और यमन शामिल हैं।
थर्ड वर्ल्ड पर क्यों सख्त ट्रंप?
अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास बुधवार को नेशनल गार्ड के दो सदस्यों पर फायरिंग की गई थी। इसमें अमेरिकी सेना की विशेषज्ञ सारा बेकस्ट्रॉम की मौत हो गई। वहीं अमेरिका वायु सेना के स्टाफ सॉर्जेंट एंड्रयू वोल्फ की हालत नाजुक है। गोलीबारी को अफगान नागरिक रहमानुल्लाह लकनवाल ने अंजाम दिया था। इस घटना के बाद ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन कार्रवाई तेज कर दी है।
दरअसल, रहमानुल्लाह लकनवाल को जो बाइडन प्रशासन में ‘ऑपरेशन एलाइज वेलकम’ के तहत लाया गया था। इस स्कीम के तहत 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उन अफगान नागरिकों को अमेरिका में बसाना था, जिन्होंने तालिबान के खिलाफ जंग में अमेरिकी सेना की मदद की थी। अब इसी घटना के बहाने ट्रंप तीसरी दुनिया के देशों से आने वाले लोगों पर शिकंजा कसना चाहते हैं।
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क्या है थर्ड वर्ल्ड?
दुनिया के गरीब और पिछड़े देशों के संदर्भ में 'थर्ड वर्ल्ड' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि थर्ड वर्ल्ड की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। यह भी नहीं तय है कि अमेरिका इस श्रेणी में किस-किस देश को शामिल करता है। मौजूदा समय में थर्ड वर्ल्ड में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र में स्थित पूर्व औपनिवेशिक देशों को शामिल किया जाता है। इन देशों को प्रथम और द्वितीय विश्व के देशों की तुलना में गरीब माना जाता है।
शीतयुद्ध के समय अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी देशों को प्रथम विश्व और सोवियत संघ, चीन, क्यूबा के साथ-साथ पूर्वी यूरोप के कुछ देशों को द्वितीय विश्व कहा गया। जिन देशों ने इन दोनों गुटों से अलग राह पकड़ी, उन्हें तीसरी दुनिया कहा गया। इनमें गरीब, गुलाम और औद्योगिक तौर पर पिछड़े देश शामिल थे। सोवियत संघ के पतन के बाद थर्ड वर्ल्ड का इस्तेमाल अल्प विकसित देशों के संदर्भ में किया जाता है। ऐतिहासिक तौर पर भारत थर्ड वर्ल्ड का हिस्सा माना जाता था। मगर अब भारत एक विकासशील देश है। जापान को पहले ही थर्ड वर्ल्ड में शामिल नहीं किया जाता रहा है। इस लिहाज से भारत जापान को आर्थिक मामले में पीछे छोड़ चुका है।
44 दुनिया के सबसे कम विकसित देश
यूएन व्यापार और विकास के मुताबिक दुनिया में 44 देश कम से कम विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं। इनमें सबसे अधिक 32 अफ्रीका, आठ एशिया, एक कैरिबयन और तीन प्रशांत क्षेत्र के देश शामिल है।
- अफ्रीका: अंगोला, बेनिन, बुर्किना फासो, बुरुंडी, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, कोमोरोस, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, जिबूती, इरिट्रिया, इथियोपिया, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, लेसोथो, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मलावी, माली, मॉरिटानिया, मोजाम्बिक, नाइजर, रवांडा, सेनेगल, सिएरा लियोन, सोमालिया, साउथ सूडान, सूडान, टोगो, युगांडा, यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया और जांबिया।
- एशिया: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कंबोडिया, लाओ पीपल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, म्यांमार, नेपाल, तिमोर-लेस्ते और यमन।
- कैरिबियन: हैती
- प्रशांत: किरिबाती, सोलोमन आइलैंड्स और तुवालु।
थर्ड वर्ल्ड पर क्या सोचता विश्व बैंक?
मौजूदा समय में विश्व बैंक भी तीसरी दुनिया शब्द को व्यावहारिक नहीं मानता है। उसका कहना है कि अब एक नए विजन की जरूरत है, जिसमें विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखा जाए। विश्व बैंक के मुताबिक अगर 1989 में साम्यवाद के पतन के साथ दूसरी दुनिया का अंत हुआ तो 2009 में तीसरी दुनिया के रूप में पहचानी जाने वाली वैश्विक व्यवस्था का भी खात्मा हो चुका है। अब हम एक नई तेजी से विकसित हो रही बहुध्रुवीय विश्व अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
