कई बार उपवास के पीछे धार्मिक उद्देश्य होता है और कई बार टीनेजर वजन कम करने के लिए भी कभी-कभी खाना-पीना कम कर देते हैं या छोड़ देते हैं। हालांकि, लंबे समय तक ऐसा सही है या नहीं इस पर कई डॉक्टर और शोधकर्ता अपने-अपने स्तर पर सुझाव देव चुके हैं। बता दें कि हाल ही में हुई एक शोध में यह पाया गया कि एक किशोर को इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी रुक-रुक कर व्रत रखने से पहले किसी चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
स्टडी में ये बताया गया है कि छोटे समय का उपवास सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित हो सकता है लेकिन यदि इसे लंबे समय तक जारी रखा जाए, तो टीनेजर्स में यह इंसुलिन से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है, जो टाइप 1 डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों से मिलती-जुलती हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग किसके लिए फायदेमंद
उपवास पर किए गए स्टडी को जर्मनी के हेल्महोल्ट्ज म्यूनिख और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के वैज्ञानिकों ने किया, जिसमें उन्होंने अलग-अलग उम्र के चूहों पर उपवास का प्रभाव देखा। शोध में पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वयस्कों और बुजुर्गों के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन टीनेजर्स के लिए यह हानिकारक साबित हो सकता है। यह इसलिए क्योंकि किशोरावस्था में शरीर का विकास तेजी से होता है और इस दौरान पोषण की कमी या गलत खानपान से पाचन तंत्र और शरीर के अन्य चीजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग उम्र के चूहों के समूहों पर स्टडी किया—एक युवा समूह (जो इंसानों के किशोरावस्था के समान था), एक मध्यम आयु वर्ग और एक बुजुर्गों के समूह पर। इन सभी समूहों को एक पैटर्न के अनुसार 24 घंटे उपवास और फिर 48 घंटे सामान्य आहार दिया गया था। पांच सप्ताह तक इस प्रक्रिया में सभी चूहों ने अपने शुगर मेटाबोलिज्म में सुधार दिखाया। हालांकि, जब इस प्रक्रिया को दस सप्ताह तक जारी रखा गया, तो नतीजे चौंकाने वाले थे।
इस स्टडी से क्या मिला?
बुजुर्ग और वयस्क चूहों में तो इंटरमिटेंट फास्टिंग से इंसुलिन पैदा होने में सुधार हुआ लेकिन युवा चूहों में यह ठीक इसके विपरीत हुआ। उन्होंने कम इंसुलिन को पैदा किया, जिससे उनकी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हुई। इसका मतलब यह हुआ कि लंबे समय तक उपवास टीनेजर्स के पैंक्रियास पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, जिससे इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को बाधित करती है।
स्टडी के प्रमुख वैज्ञानिक स्टेफन हर्जिग ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग बड़े-बुजुर्गों के लिए तो फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन 13 से 19 साल के बच्चों के लिए यह जोखिम भरा हो सकता है। इस शोध के निष्कर्षों से यह साफ होता है कि अलग-अलग उम्र के लोगों पर उपवास का अलग प्रभाव पड़ता है।
इसलिए, टीनेजर्स के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे बिना किसी चिकित्सकीय सलाह के लंबे समय तक उपवास न करें। इस आयु वर्ग के लिए संतुलित आहार ही सबसे अच्छा उपाय है, जिससे उनके शरीर को सभी जरूर पोषक तत्व मिलते रहें और उनका विकास सुचारू रूप से होता रहे।