हम सभी जानते हैं कि कोई भी बच्चा एक बार ही पैदा होता है लेकिन डॉक्टर्स की वजह से एक इंसानी बच्चे को दो बार पैदा होने का सौभाग्य मिला है। यह चमत्कार यूके में हुआ है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सफोर्ड में पढ़ाने वाली शिक्षिका लूसी इसाक जब 20 हफ्ते की प्रेग्नेंट थीं तब डॉक्टर्स ने उनकी 5 घंटे की ओवेरियन कैंसर की सर्जरी की। सर्जरी के दौरान कुछ समय के लिए उनके गर्भ को शरीर से बाहर निकाल दिया गया था जिसमें उनका बेटा रैफर्टी पल रहा था। सर्जरी के बाद गर्भ को लूसी के अंदर वापस लाया गया। जनवरी में रैफर्टी का जन्म हुआ और वह बिल्कुल स्वस्थ है।

 

सर्जरी के कुछ समय बाद लूसी अपनी और बच्चे की जान बचाने के लिए डॉक्टर सोलेमानी माजद का धन्यवाद देने अस्पताल पहुंची थी। डॉक्टर ने भी अपने अनुभव को शेयर करते हुए कहा, 'उन्हें बच्चे के प्रति अपनेपन का एहसास हुआ'।

 

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क्यों दो बार पैदा हुआ लूसी का बच्चा

 

32 साल की लूसी जब रूटीन चेकअप के लिए अल्ट्रासाउड करवाने गई थी तब उन्हें पता चला कि वह ओवेरियन कैंसर से पीड़ित हैं। डॉक्टर ने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद अगर कैंसर का इलाज किया जाएगा तो इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। प्रेग्नेंसी की वजह से कैंसर के स्टैंर्ड तरीके को अपनाया नहीं जा सकता था। ऐसे में डॉक्टर सोलेमानी ने कैंसर के सेल्स को हटाने का एक दुलर्भ तरीका अपनाया। लूसी की जान बचाने के लिए सर्जरी गर्भवस्था के दौरान ही हुई।

 

डॉक्टर सोलेमानी ने बताया, 'यह अब तक सबसे मुश्किल केस था क्योंकि लूसी का कैंसर एडवांस स्टेज में था। हालांकि सर्जरी सफल रही और रैफर्टी का जन्म भी सुरक्षित रूप से हुआ। रेफर्टी का जन्म उसके परिवार के लिए बहुत ही भावुक कर देने वाला पल था क्योंकि लूसी के पति एडम ने साल 2022 में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था'। 

 

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कैसे हुई थी सर्जरी

 

डॉक्टर सोलेमनी ने आगे बताया, 'इस सर्जरी के दौरान 15 अन्य डॉक्टर भी शामिल थे। सर्जरी में लूसी के गर्भाशय को अस्थायी रूप से शरीर से हटाया था लेकिन उस दौरान सभी महत्वपूर्ण रक्त वाहिकाओं को जोड़े रखा गया ताकि रैफर्टी की सुरक्षित रखा जा सके। सर्जरी के दौरान, लूसी के गर्भाश्य को गर्म सैलाइन पैक में सावधानीपूर्वक लपेटा गया और दो मेडिकल स्टाफ उसकी निगरानी कर रहे थे। हर 20 मिनट पर पैक को बदला गया ताकि गर्भ के तापमान में गिरावट न हो। मेडिकल टीम ने जांच के लिए एक ट्यूमर का सैंपल निकाला जिसमें ग्रेड 2 के कैंसर की पुष्टि हुई। कैंसर वाले सेल्स को हटाने के बाद गर्भाश्य को दोबारा से उस स्थिति में वापस रखा गया और लूसी के पेट को सील दिया गया'। उन्होंने आगे कहा, 'लूसी के शरीर से बाहर गर्भाशय को दो घंटे तक रहा गया'।

 

हर साल यूके में लगभग 7,000 महिलाएं ओवेरियन कैंसर से प्रभावित होती हैं, जिनमें से दो-तिहाई मामलों में बीमारी का देर से पता चलता है और हर साल 4,000 से अधिक मौतें होती हैं।