पर्याप्त नींद हमारे सेहत के लिए बेहद जरूरी है। डॉक्टर के मुताबिक, हर व्यक्ति को कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। खराब रूटीन, थकान और तनाव समेत कई कारणों की वजह से रात को नींद नहीं आती है जिस वजह से हम दिन के समय में नींद आती हैं। हालांकि कुछ लोग भी हैं जिन्हें हर पल नींद आती हैं। यह एक बीमारी है जिसे हाइपरसोमनिया कहते हैं। यह एक स्लीपिंग डिसॉर्डर है जिसमें व्यक्ति को दिन के समय में सबसे ज्यादा नींद आती है। इसका असर आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है।
हाइपरसोमनिया होने के पीछे खराब लाइफस्टाइल, स्लीप डिसॉर्डर, तनाव समेत कई कारण हो सकते हैं। हालांकि आप इस डिसऑर्डर को लाइफस्टाइल में बदलाव कर ठीक कर सकते हैं। हाइपरसोमनिया के कारण हर उम्र के व्यक्ति में अलग होते हैं। इस बीमारी में व्यक्ति खुद को नींद में महसूस करता है। हाइपरसोमनिया से पीड़ित व्यक्ति रात में 12 घंटे या उससे अधिक समय गहरी नींद में सो सकता है, इसके बावजूद उसे दिन में झपकी लेने की आवश्यकता महसूस होती है।
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हाइपरसोमनिया के लक्षण
- पूरा दिन थकान महसूस करना
- दिन में नैप लेने की आदत
- पूरा दिन नींद महसूस करना
- सोचन- समझने में परेशानी होना
- ध्यान ना लगना

हाइपरसोमनिया के कारण
- पर्याप्त नींद नहीं लेना- घंटों काम करने की वजह से पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं लेने की वजह से स्लीप साइकिल पर असर पड़ता है।
- मेंटल हेल्थ- एग्जाइटी की वजह से व्यक्ति को रातभर नींद नहीं आती है जिसकी वजह से स्लीप पैटर्न पर असर पड़ता है। डिप्रेशन की वजह से भी हारपरसोमनिया हो सकता है
- स्लीप डिसॉर्डर- स्लीप एपनिया,रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम, स्लीप वॉकिंग की वजह वजह से भी स्लीप पैटर्न पर असर पड़ता है।
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हाइपसोमनिया को कैसे करें ठीक
- सोने से पहले सिगरेट, शराब और कॉफी आदि का सेवन ना करें।
- रेलेक्सेशन रूटीन फॉलो करें ताकि आपको रात में सोने से पहले एंग्जाइटी महसूस ना हो।
- स्वस्थ रहने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करें।
- बैलेंस डाइट का सेवन करें।
- सोने से पहले टीवी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करें।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीकों का अभ्यास करें।
Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।