पुणे समेत अन्य राज्यों में गुलियन बेरी सिंड्रोम अपने पैर पसार रहा है। इस बीमारी ने लोगों के बीच में हंडकप मचा दिया है। ये एक न्यूरोलॉजिक्ल डिसॉर्डर है। ये बीमारी उन लोगों को ज्यादा होती है जिन्हें पहले से कोई संक्रमण होता है। इस बीमारी में शरीर के सेल्स अपने ही कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगते हैं।
इस बीमारी में मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी, बैलेंस बनाने में कमी, सांस लेने में दिक्कत होना, हाथों और पैरों का सुन्न पड़ जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा पैरालिसिस होने का खतरा भी रहता है। क्या आप जानते हैं कुछ ऐसी बीमारियां जिनके लक्षण लगभग गुलियन बेरी सिंड्रोम की तरह होते हैं।
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- हाइपोकैलेमिक पैरालिसिस
- एक्यूट ट्रांसवर्स मायलाइटिस
- क्रिटिकल इलनेस न्यूरोपैथी
- बॉट्यूलिज्म
- टिक पैरालिसिस
- मायस्थेनिया ग्रेविस
- स्पाइनल कॉर्ड इंजरी
हाइपोकैलेमिक पैरालिसिस में मांस पेशियों में कमजोरी महसूस होती है। ये बीमारी शरीर में पोटेशियम की कम मात्रा की वजह से होती है।
एक्यूट ट्रांसवर्स मायलाइटिस- इस बीमारी में भी आपको मांस पेशियों में कमजोरी महसूस होगी, साथ ही पीठ दर्द और ब्लैडर डिस्फक्शन की समस्या होगी। इस बीमारी की पुष्टि करने के लिए रीड की हड्डी का एमआईआर करवाया जाता है।
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क्रिटिकल इलनेस न्यूरोपैथी- ये बीमारी उन मरीजों में आमतौर पर होती है जिनके कई अंग फेल हो चुके होते हैं।
बॉट्यूलिज्म- ये एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जिसमें कमजोरी, विजन कमजोर होना, निगलने में कठिनाई और कभी-कभी सांस संबंधी बीमारियां भी हो सकती है।
टिक पैरलिसिस- टिक पैरलिसिस में चेहरे की मांस पेशियां कमजोर हो जाती है और कभी कभी सांस लेने में भी दिक्कत होती है। जिन लोगों को टिक ने काटा होता है उन्हें ये बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है।
मायस्थेनिया ग्रेविस-ये मांस पेशियों से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी में नवर्स सिस्टम के सेल्स, टिशूज और शरीर की मांस पेशियों में ब्लड सर्कुलेशन कम होने लगता है। ये ऑटो इम्यून बीमारी है। इस बीमारी की पुष्टि सीरोलॉजिकल टेस्ट के बाद होती है।
स्पाइनल कॉर्ड इंजरी- स्पाइनल कॉर्ड इंजरी में आपके हाथ -पैर की मसल्स कमजोरी हो जाती है।
टॉक्सिक न्यूरोपैथी- टॉक्सिन की वजह से ऑप्टिक नर्व को होने वाली क्षति।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने की डॉक्टर की सलाह लें।