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गुलियन बेरी सिंड्रोम से हुई 5 मौतें, डॉक्टर से समझिए इसका कारण

गुलियन बेरी सिंड्रोम ने पुणे के बाद अब अन्य राज्यों में भी अपने पैसार रहा है। अभी तक इस बीमारी से 5 लोगों की मौत हो चुकी है। आइए डाक्टर से जानते हैं क्यों हो रही है इस बीमारी में मौतें?

Guillain Barre Syndrome

गुलियन बेरी सिंड्रोम (Photo Credit: Freepik)

गुलियन बेरी सिंड्रोम पुणे के बाद अब अन्य राज्यों में भी पैर परसाने लगा है। पुणे के बाद असम और झारखंड में भी एक-एक मामले सामने आए हैं। अभी तक इस मामले में 5 मौतें हो चुकी है। लगातार इस बीमारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक 149 लोग इस बीमारी से पीड़ित हो चुके हैं। 28 लोग अब भी वेंटिलेटर पर हैं।

 

ऐसे में सवाल उठता है कि इस बीमारी में मौतें किस वजह से हो रही है। इसके बारे में हमने दिल्ली के मौलाना आजाद के सीनियर प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर आरके कौशिक से बात की। उन्होंने बताया कि ये रेयर ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है जिसमें कोशिकाएं अपनी ही सेल्स को डैमेज करने लगती है।

 

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किन लोगों को है ज्यादा रिस्क

 

डॉक्टर कौशिक ने बताया कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीड़ित 35 से 50 साल की उम्र के लोग होते हैं। खासतौर पर 50 साल की उम्र में वाले इस बीमारी की चपेट में जल्दी आते हैं लेकिन मौतों का रिस्क सबसे ज्यादा बच्चों में और यंग लोगों में है। दरअसल बच्चों की इम्यूनिटी अच्छी होती है तो वो खुद ठीक हो जाते हैं वरना बहुत ज्यादा बीमार पड़ जाते हैं। इस बीमारी का लक्षण सबसे पहले पैरों में दिखाई देता है। 

 

गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण

  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • झुनझुनी
  • बैलेंस बनाने में कमी
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • हाथों और पैरों का सुन्न पड़ जाना

 

उन्होंने आगे बताया कि शरीर की कोशिकाएं अपनी ही सेल्स को डैमेज करने लगती है क्योंकि हमारे और बैक्टीरिया के कुछ प्रोटीन मैच हो जाते हैं। हमारी नसों का काम सांस लेने के लिए भी होता है। इस वजह से लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होती है।

 

इस बीमारी का मृत्यु दर कितना है

 

डॉक्टर कौशिक ने कहा कि इस बीमारी में मृत्यु दर 5 से 12 प्रतिशत के बीच हो सकता है। किसी भी बीमारी का मृत्यु दर कम तभी होता है जब वो 2 प्रतिशत तक हो। हालांकि अलग-अलग डेटा में अलग बातें कही जाती है। उन्होंने कहा कि भारत इस बीमारी से अच्छी तरह से लड़ रहा है। अभी इस मामले में बहुत कम मौतें हुई है।

 

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इस बीमारी में किस वजह से होती है मौतें
 
प्रोफेशर आरके कौशिक ने बताया कि इस बीमारी में सबसे ज्यादा मौतें रेस्पिरेटरी फेलियर की वजह से होती है। इसके अलावा कार्डियक अरेस्ट, निमोनिया, सुपर रेड इंफेक्शन के कारण हो सकता है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन रिकवरी को तेज करने के लिए प्लाज्मा एक्सचेंज और इम्यूनोग्लोबिन थेरेपी दी जाती है।

 

क्या इस बीमारी का कोई प्रिवेंशन है? उन्होंने बताया कि इस बीमारी के लिए कोई खास प्रिवेंशन नहीं है। ये बीमारी बैक्टीरियल इंफेक्शन से होती है इसके लिए आप हाईजीन मेंटेन रखें। दूसरा वैक्सीनेशन है बच्चों को सभी जरूरी वैक्सीन लगवाएं। इसके अलावा पोषक आहार लें क्योंकि अगर किसी की हालत गंभीर है तो उसे पौष्टिक आहार खाना है ताकि वो व्यक्ति जल्दी ठीक हो।

 

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने की डॉक्टर की सलाह लें।

 

 

 

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