महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) ने हडकंप मचा दिया है। इस बीमारी से 100 से ज्यादा लोग पीड़ित है। 16 लोग वेंटिलेटर पर हैं और इस बीमारी एक व्यक्ति के मरने की खबर भी सामने आई है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज सोलापुर में है। क्या आप जानते हैं कि 2023 में गुलियन बेरी सिंड्रोम ने पेरू में अपना कहर बरपाया था। इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार ने 90 दिनों के लिए हेल्थ इमरजेंसी लगानी पड़ी थी।
पुणे में भी लगातार इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। आइए जानते हैं कि कितनी खतरनाक है ये बीमारी? विश्व स्तर पर इस बीमारी से प्रभावित 7.5 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।
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ये एक रेयर न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम डिसऑर्डर है जो नर्वस सिस्टम को अटैक करता है। हमारा नर्वस सिस्टम दो हिस्सों में बंटा हुआ है। पहला सेंट्रल नर्वस सिस्टम जिसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन वाला पार्ट शामिल है। दूसरा पेरिफेरल नर्वस सिस्टम है जिससे पूरे शरीर की नर्वस जुड़ी हुई है। गुलियन बेरी सिंड्रोम हमारे नवर्स सिस्टम के दूसरे पार्ट को अटैक करता है।
कैसे होती है ये बीमारी
गुलियन बेरी सिंड्रोम कैसे होता है। इसके बारे में कोई खास कारण नहीं पता चला है लेकिन ये सिंड्रोम किसी संक्रमण या सर्जरी के बाद होता है। ज्यादातर ये सिंड्रोम सांस या पाचन तंत्र के संक्रमण के बाद दिखता है।
क्या है इस बीमारी के लक्षण
- हाथों और पैरों में झुनझुनी होना
- हाथ और पैर की मांस पेशियों में दर्द होना
- सांस लेने में दिक्कत होना
- लकवा भी हो सकता है।
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बीमारी का इलाज
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन लक्षणों को कम करने और रिकवरी को तेज करने के लिए इलाज है।
प्लाज्मा एक्सचेंज- इसमें बल्ड के प्लाज्मा को बदला जाता है ताकि शरीर से टॉक्सिन पदार्थों को बाहर निकाला जाए और नर्वस सिस्टम को राहत मिले।
इम्यूनोग्लोबिन थेरेपी- इम्यून सिस्टम के खिलाफ एंटीबॉडी की खुराक दी जाती है जो नवर्स सिस्टम को अधिक नुकसान से बचाती है।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने की डॉक्टर की सलाह लें।