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स्लीप एपनिया कैसे बिगाड़ती है पुरुषों की सेहत? एक्सपर्ट से समझिए

पुरुषों को लेकर चौंकाने वाला शोध सामने आया है। शोध में कहा गया कि स्लीप एपनिया की वजह से पुरुषों की फर्टिलिटी कम हुई है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

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पुरुषों की प्रजनन क्षमता को लेकर नई स्टडी आई है। इस स्टडी में बताया गया कि पहाड़ों में हाइकिंग, स्लीप एपनिया (सोते समय ऑक्सीजन की मात्रा शरीर में कम हो जाती है) और अन्य कारणों की वजह से पुरुषों के टेस्टिस में ऑक्सीजन कम हो जाता है। इसकी वजह से पुरुषों में इनफर्टिलिटी के मामले बढ़े हैं।

 

नेचर रिव्यू यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्यन में पता लगाया गया है कि कम ऑक्सीजन स्तर के संपर्क में आने से स्पर्म की क्वॉलिटी और पुरुषों की प्रजनन तंत्र (रिप्रोडक्टिव हेल्थ) पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन में पता चला कि टेस्टिस हाइपोक्सिया की वजह से पुरुषों की प्रजनन (फर्टिलिटी) क्षमता में गिरावट देखने को मिली है।

 

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पुरुषों में क्यों बढ़ रही है इनफर्टिलिटी

 

पुरुषों में इनफर्टिलिटी का मतलब है कि 12 महीने तक बिना किसी के प्रोटेक्शन रेगुलर सेक्सुअल इंटरकोर्स करने के बाद भी महिला के कनसीव होने का चांस बहुत कम हो। टेस्टिस में ऑक्सीजन की कमी या टेस्टिस हाइपोक्सिया किसी पुरानी बीमारी की वजह से हो सकता है। ये आपके प्रजनन स्वास्थ्य के लिए निरंतर खतरा हो सकता है। अध्य्यन के प्रोफेसर Tessa Lord ने बताया, स्क्रोटम यानी (अंडकोश) में बढ़ी हुई नसें, एक सामान्य असामान्यता है जो 45 प्रतिशत पुरुषों में इनफर्टिलिटी का मुख्य कारण होता है। 

 

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (एक स्लीपिंग डिसऑर्डर) है जिसमें गले की मांसपेशियां नींद के दौरान वायुमार्ग को संक्रीण कर देती हैं जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है और इससे आपके बल्ड में ऑक्सीजन के स्तर पर भी असर पड़ता है। इन मामलों के बढ़ने का मुख्य कारण मोटापा है।

 

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उन्होंने आगे बताया, मौजूदा शोध में हम जानते हैं कि टेस्टिस हाइपोक्सिया हार्मोन उत्पादन और जीन एक्सप्रेशन को बाधित करके स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

 

लॉर्ड ने आगे कहा, 'हाइकिंग की वजह से टेस्टिस में ऑक्सीजन की कमी का कारण बन सकती हैं। इन चीजों का प्रजनन क्षमता पर कुछ ही समय के लिए प्रभाव पड़ता है लेकिन जब आप अपनी डेली रूटीन में वापस आ जाते हैं तो ठीक होने में कुछ महीने लग जाते हैं'। उन्होंने आगे बताया, सबूतों से पता चलता है कि पिताओं में टेस्टिस हाइपोक्सिया का असर उनके बच्चों पर भी दिखता है। वे बच्चे बड़े होकर प्रजनन संबंधी समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।

 

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