महाराष्ट्र के पुणे शहर में गुलियन बेरी सिंड्रोम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अभी तक इस बीमारी से 72 लोग संक्रमित हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी को लेकर अलर्ट मोड पर है। आइए जानते हैं क्या है दुलर्भ गंभीर बीमारी। इसके क्या लक्षण और इससे कैसे बचाव कर सकते हैं।
गुलियन बेरी सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने नवर्स को नुकसान पहुंचाने लगता है। ये बीमारी किसी वायरस या संक्रमण के अटैक होने के बाद होती है। इस बीमारी में नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचता है जिसकी वजह से हाथों और पैरों में गति कम हो जाती है। इसकी वजह से पैरेलिसिस भी हो सकता है।
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किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
गुलियन बेरी सिंड्रोम से सबसे ज्यादा खतरा बुर्जुर्गों को हैं। खासतौर पर उन लोगों को है जो उम्र के साथ अन्य बीमारियों से पीड़ित है। 50 की उम्र से ज्यादा वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। किसी वायरल या बैक्टीरियल इफेंक्शन के बाद गुलियन बेरी सिंड्रोम होने का खतरा ज्यादा रहता है। खासतौर पर H1N1 इन्फ्लूएंजा और जापानी इंसेफालाइटिस जैसे इंफेक्शन के बाद इस सिंड्रोम के होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में अक्सर शरीर के नवर्स सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।
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गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण
- मांसपेशियों में कमजोरी
- झुनझुनी
- बैलेंस बनाने में कमी
- सांस लेने में दिक्कत होना
- हाथों और पैरों का सुन्न पड़ जाना
गुलियन बेरी सिंड्रोम का बचाव
- इस बीमारी से बचने के लिए अपने आसपास साफ सफाई रखें
- फ्लू, H1N1 और अन्य वायरल इंफेक्शन से बचने टीकाकरण जरूर करवाएं।
- हाथ धोए, मास्क पहने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें।
- अगर मांस पेशियों में दर्द, कमजोरी, सुन्नता महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
- विटामिन सी और एंटी ऑक्सिडेंट से भरपूर वाली चीजों का सेवन करें।