साईं बाबा फेम सुधीर दलवी सेप्सिस नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। वह 86 साल के हैं। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। उनके परिवार ने लोगों से इलाज के लिए मदद मांगी है। सुधीर को साईं बाबा के किरदार से घर-घर में पहचान मिली थी। उन्होंने मनोज कुमार की फिल्म 'शिरडी के साईं बाबा' में साईं बाबा का लीड रोल प्ले किया था। फैंस उनके जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं। आइए जानते हैं क्या होता है सेप्सिस? इस जानलेवा बीमारी के लक्षण क्या है और इससे कैसे बचाव कर सकते हैं।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 2020 में सेप्सिस के कारण 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को मौत हुई थी। यह एक ऐसी कंडीशन है जिसमें इम्यून सिस्टम हमारे शरीर को ही डैमेज करने लगता है। इंफेक्शन से लड़ने की बजाय शरीर के टिशूज को डैमेज करने लगता है। यह एक मामूली इंफेक्शन से शुरू होता है जो बाद में जानलेवा बन सकता है। यह इंफकेशन शरीर में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस की वजह से होता है। इस बीमारी में इम्यून सिस्टम ओवररिएक्ट करता है। 

 

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इम्यून सिस्टम ओवररिएक्ट क्यों करता है?

इम्यून सिस्टम ओवररिएक्ट होने पर प्राइमरी इंटेलीजेंस खो जाता है। प्राइमरी इंटेलीजेंस से मतलब है कि शरीर को पता है कि दुश्मन कौन है और कौन दोस्त है। इम्यून सिस्टम इस कारण दोस्त और दुश्मन में फर्क नहीं कर पाता है और हेल्दी सेल्स को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।

सेप्सिस के लक्षण

  • त्वचा पर दाग-धब्बे
  • लाल रैशेज
  • पेशाब कम या बार बार आना
  • लो बॉडी टेंपरेचर
  • कंपकंपी या ठंड लगना
  • बहुत कमजोरी महसूस होना
  • बुखार
  • बहुत पसीना आना
  • दिल का तेज धड़कना
  • लो ब्लड प्रेशर
  • बेचैनी
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • शरीर में दर्द

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किन लोगों को सेप्सिस का खतरा?

  • 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को इस बीमारी का खतरा रहता है।
  • प्रेग्नेंसी
  • डायबिटीज
  • कैंसर
  • मोटापा
  • गंभीर चोट
  • किडनी डिजीज
  • कमजोर इम्यूनिटी
  • बड़े घाव
  • जलने की चोट
  • किडनी डिजीज

सेप्सिस से बचने के उपाय

  • साफ-सफाई रखें।
  • साबुन से हाथ धोएं।
  • घाव को साफ रखें।
  • शुगर को कंट्रोल में रखें।
  • इम्यूनिटी को मजबूत रखें।
  • संक्रमण होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
  • जरूरी वैक्सिनेशन करवाएं।

इलाज

 

इस बीमारी की जांच के लिए सबसे पहले ब्लड प्रेशर, ब्रीदिंग रेट के जरिए डॉक्टर qsofa (क्विक सीक्वेंशियल ऑर्गन फेल्योर एसेसमेंट) टेस्ट करता है जो पहचानने में मदद करता है कि मरीज का सेप्सिस किस स्टेज में है। इसके बाद ब्लड टेस्ट, ब्लड कल्चर, यूरिन टेस्ट, एक्स रे और सीटी स्कैन से पता लगाया जाता है कि संक्रमण कहां है और किन अंगों पर क्या प्रभाव पड़ा है।

 

सेप्सिस के मरीज को डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देता है ताकि इंफेक्शन को फैलने से रोका जाए। इसके साथ में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की दवाएं दी जाती है। अगर शरीर का कोई अंग डैमेज हुआ है तो उसके हिसाब से इलाज किया जाता है। डॉक्टर की सलाह लिए बिना किसी प्रकार की दवा न लें।

 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।