एक केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोपी के वकील को ही नोटिस भेज दिया था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय सारी हदें पार कर रहा है। चीफ जस्टिस बी आर गवई ने यह भी कहा है कि इस बारे में दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत है। यह टिप्पणी सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन किए जाने के बाद आई है। वकीलों ने चिंता जताई है कि अगर ऐसा ही होता रहा तो वकील स्वतंत्र तरीके से किसी को सलाह ही नहीं दे पाएंगे। ईडी की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेकंटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्वाकीर किया है कि यह गलत है। उन्होंने यह भी कहा है कि एजेंसी को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वकीलों को इस तरह के नोटिस न जारी किए जाएं।

 

इस केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई ने कहा, 'एक वकील और मुवक्किलों के बीच का संवाद विशेषाधिकार प्राप्त संवाद होता है और उनके खिलाफ नोटिस कैसे जारी किए जा सकते हैं? वे (ईडी) सारी हदें पार कर रहे हैं।' इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया था कि सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार जैसे प्रोफेशनल्स को हाल ही में ईडी की ओर से नोटिस जारी किया गया था। चिंता जताई गई थी कि इससे कानून के पेशे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस पर CJI गवई ने कहा, ‘इस संबंध में दिशा-निर्देश तैयार किए जाने चाहिए।'

 

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क्या बोले अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल?

 

ईडी की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे को उच्चतम स्तर पर उठाया गया है और जांच एजेंसी को वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए नोटिस जारी नहीं करने के लिए कहा गया है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए तलब नहीं किया जा सकता।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि झूठे विमर्श गढ़कर संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। वकीलों ने जोर देकर कहा कि वकीलों को खासकर कानून संबंधी राय देने के लिए तलब करना एक खतरनाक नजीर तय कर रहा है।

 

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इसी मामले पर एक वकील ने कहा, 'अगर यह जारी रहा तो यह वकीलों को ईमानदार और स्वतंत्र सलाह देने से रोकेगा।' उन्होंने कहा कि जिला अदालतों के वकीलों को भी बेवजह परेशान किया जा रहा है। अटॉर्नी जनरल ने चिंताओं को स्वीकार किया और कहा, 'जो हो रहा है वह निश्चित रूप से गलत है।' चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि अदालत भी इस तरह की रिपोर्ट से हैरान है। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने मीडिया की खबरों के आधार पर राय बनाने के ख़िलाफ आगाह किया। उन्होंने कहा, 'संस्थाओं को निशाना बनाने की एक सुनियोजित कोशिश चल रही है। कृपया इंटरव्यू और खबरों पर भरोसा न करें।'

CJI गवई ने जताई चिंता

 

दरअसल, पिछले हफ्ते तबीयत न ठीक होने के कारण चीफ जस्टिस कोर्ट के कामकाज से दूर थे। सॉलिसिटर जनरल की इस बात पर उन्होंने कहा, 'हम खबरें नहीं देखते, न ही यूट्यूब पर साक्षात्कार देखते हैं। पिछले हफ्ते ही मैं कुछ फिल्में देख पाया।' जब सॉलिसिटर जनरल ने घोटालों में आरोपी नेताओं की ओर से जनमत को प्रभावित करने का प्रयास किए जाने का जिक्र किया, तो चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमने कहा था, इसका राजनीतिकरण नहीं करें।'

 

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'जैसे ही मैंने अरविंद दातार के बारे में सुना, इसे तत्काल सर्वोच्च कार्यपालक अधिकारी के संज्ञान में लाया।' इस बेंच ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) सहित सभी पक्षों को इस मुद्दे पर विस्तृत लिखित नोट दाखिल करने का निर्देश दिया और हस्तक्षेप आवेदनों को स्वीकार किया। इसका प्रतिनिधित्व SCBA अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह कर रहे थे। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 29 जुलाई को होगी।

 

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चीफ जस्टिस गवई ने आगे कहा, ‘आखिरकार, हम सभी वकील हैं। अदालत में दलीलों को प्रतिकूल नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। बता दें कि ईडी ने 20 जून को कहा कि उसने अपने जांच अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी वकील को उनके मुवक्किलों के खिलाफ जारी मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में समन जारी न करें। ईडी ने यह भी कहा है कि अपवाद के रूप में केवल एजेंसी के निदेशक के अनुमोदन पर ही ऐसा किया जा सकता है। मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों से निपटने के लिए नियुक्त ईडी ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के मार्गदर्शन के लिए एक परिपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि किसी भी वकील को भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA), 2023 की धारा 132 का उल्लंघन करने के आरोप में कोई समन जारी नहीं किया जाना चाहिए। 21 जून को ही यह समन वापस भी ले लिया गया था।

किस केस से जुड़ा है मामला?

 

इस पूरे मामले की शुरुआत होती है रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सलूजा से जुड़े मामले से। रश्मि सलूजा को अरविंद दातार ने कानूनी सलाह दी थी और इसी मामले में उन्हें ही ईडी ने नोटिस भेज दिया था। दरअसल, ईडी ने सितंबर 2024 में रश्मि सलूजा और दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का केस दर्ज किया था।

इस केस में अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) की धारा 50 के तहत समन भेजा गया था। हालांकि, अरविंद दातार ने ईडी को जवाब दिया था कि वह इसके जवाब में पेश नहीं हो सकते क्योंकि यह मामला 'एडवोकेट-क्लाइंट प्रिविलेज' के अंतर्गत आता है।