नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के एक बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में शुक्रवार को उन्होंने कहा कि 1990 में कश्मीरी पंडितों की जघन्य हत्याएं और पलायन उनके कार्यकाल में नहीं हुआ था लेकिन अगर ऐसा होता तो 'हो जाता'। इंटरव्यू में फारूक ने कहा, 'मैंने जगमोहन को राज्यपाल नियुक्त किए जाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया। अगर मुझे पता होता कि 19 जनवरी, 1990 को क्या होने वाला है, तो मैं भारत सरकार को सूचित करता। मैंने सरकार को हिंसा के बारे में चेतावनी देने के बाद इस्तीफा दे दिया। आप सारा दोष मुझ पर डाल रहे हैं। आप मुझे नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं। यहां तक ​​कि हमने उस नरसंहार में 1,500 लोगों को खो दिया था।'

 

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अमित मालवीय ने साधा निशाना

1990 में फारूक की सरकार पर सवाल उठाए जाने पर उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप मुझे 1990 के नरसंहार के लिए जवाबदेह ठहराना चाहते हैं, तो मुझे अदालत में ले जाइए। आप एकतरफा हैं। आप मुझे फांसी पर लटकाना चाहते हैं। अगर नरसंहार मेरे कार्यकाल में हुआ, तो ऐसा ही हो - मैं क्या कर सकता हूं?' फारूक की इस टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने निशान साधा और कहा, 'कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार - 'यह हुआ, तो क्या हुआ': फारूक अब्दुल्ला। कल तक वह पाकिस्तानियों के निर्वासन पर आंसू बहा रहे थे, अब वह कश्मीरी हिंदुओं की त्रासदी के प्रति असंवेदनशीलता दिखा रहे हैं।'

 

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'फारूक का बयान बेशर्मी भरा'

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा, 'फारूक का बयान बेशर्मी भरा है। हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को एक-एक करके मारा जाएगा। भारत ऐसे देशद्रोहियों का बोझ नहीं उठाएगा। उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए।' बता दें कि 500,000 से अधिक कश्मीरी पंडितों ने अपना घर छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा था।

 

उनकी अनगिनत संपत्तियों को लूटा गया, नष्ट किया गया या उन पर कब्जा कर लिया गया, सैकड़ों मंदिरों में तोड़फोड़ की गई और क्रूर हमले में लगभग 1,500 समुदाय के सदस्यों की जान चली गई। अब्दुल्ला ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या करने वाले आतंकवादियों को पकड़ने में सुरक्षा एजेंसियों और भारतीय सेना की विफलता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर निकालने के केंद्र के फैसले का भी विरोध किया।