लोकसभा ने गुरुवार को विकसित-भारत जी राम जी विधेयक 2025 को पास कर दिया है। विपक्ष के हंगामे, विरोध और बिल की कॉपियां फाड़े जाने के बावजूद यह बिल लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गए। बिल पर अपनी बात रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने महात्मा गांधी के आदर्शों को मार दिया जबकि मोदी सरकार ने उन्हें जिंदा रखा है। दूसरी तरफ, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा है कि इस बिल से कुछ ही महीनों में मनरेगा खत्म हो जाएगा। उन्होंने आशंका जताई है कि जैसे ही राज्यों पर इस योजना का खर्च उठाने से का बोझ पड़ेगा, यह योजना दम तोड़ देगी।
मनरेगा योजना की जगह नया विधेयक लाने और उसमें से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार महात्मा गांधी के आदर्शों को लागू करने और विकसित गांव की बुनियाद पर विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रही है। इससे पहले बुधवार को सदन में इस विधेयक पर देर रात तक चर्चा हुई और विपक्ष के अधिकतर सदस्यों ने इसे विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति को विचार-विमर्श के लिए भेजने की मांग की। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने बृहस्पतिवार को मंत्री के जवाब से पहले यह मांग फिर से उठाई जिसे स्पीकार ने स्वीकार नहीं किया।
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इसके बाद विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच शिवराज सिंह चौहान ने अपना जवाब पूरा किया और उनके उत्तर के बाद सदन ने विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया।इस दौरान स्पीकर के आसन के पास हंगामा कर रहे कुछ विपक्षी सदस्यों ने मंत्री के सामने कागज भी उछाले। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में 1960-61 में ग्रामीण जनशक्ति कार्यक्रम बनने से लेकर मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) तक समय-समय पर विभिन्न योजनाएं बनती रही हैं। उन्होंने कहा कि इनसे उद्देश्य पूरा नहीं होता या थोड़ा ही लक्ष्य पूरा होता है तो नई योजनाएं लाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के नाम में पहले महात्मा गांधी का नाम नहीं था और इसका नाम नरेगा था लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले वोटों के कारण कांग्रेस को बापू याद आ गए और उनका नाम जोड़ा गया।
'राज्यों के पास इतना पैसा नहीं है'
यह बिल पास होने के बाद कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, 'इसका हम पूरी तरह से विरोध करेंगे। सभी पार्टियां इस पर सहमत हैं। इस बिल से मनरेगा खत्म होने जा रहा है। आप किसी भी तरह से इसे देखें। यह जो 100 दिन से 125 दिन वाली बात है यह चालाकी है। यह साफ समझ आएगा कि इस बिल से यह योजना आने वाले कुछ महीने में खत्म हो जाएगी क्योंकि जैसे ही यह बोझ प्रदेश की सरकारों पर पड़ेगा कि इतना पैसा राज्य सरकारों को देना है तो यह योजना आस्ते-आस्ते खत्म हो जाएगी। प्रदेश की सरकारों के पास इतना पैसा है नहीं। जिन राज्यों में लोगों के पास कुछ नहीं है, उन्हें 100 दिन के इस रोजगार का सहारा था। कोविड के समय भी सहारा था। यह श्रमिकों के खिलाफ है। इसका हम सख्त से सख्त विरोध करेंगे।'
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चर्चा के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘कांग्रेस सरकार ने मनरेगा को भी ताकत के साथ लागू नहीं किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सही से लागू किया।’ उन्होंने UPA और NDA सरकार के समय इस योजना की तुलना करते हुए कहा कि कांग्रेस के समय जहां 1660 करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए थे, वहीं मोदी सरकार में 3210 करोड़ श्रम दिवस का सृजन किया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से पहले इस योजना में महिलाओं की भागीदारी 48 प्रतिशत थी, जो इस सरकार के समय 56.73 प्रतिशत हो गई। उन्होंने आगे कहा, 'कांग्रेस पार्टी ने तो गांधी का नाम चुराने का पाप किया है।'
प्रियंका गांधी के आरोपों पर शिवराज का जवाब
इससे पहले प्रियंका गांधी ने कहा था कि यह सरकार 'सनक' में नाम बदल रही है। इस पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'हम सनक में नाम नहीं बदल रहे, अपने परिवार के लोगों पर नाम रखने की सनक तो कांग्रेस की है।' उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की सरकारों के समय सैकड़ों योजनाओं, इमारतों, उत्सवों, संस्थानों आदि के नाम गांधी परिवार के सदस्यों- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर रखे गए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महात्मा गांधी का नाम लेकर ‘ढोंग’ कर रही है और उसने तो देश के बंटवारे के दिन, कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के साथ, इंदिरा गांधी सरकार की ओर से आपातकाल लगाए जाने के दिन ही बापू के आदर्शों की हत्या कर दी थी।
इस योजना को लेकर चर्चा हो रही है कि अब इस पर होने वाले खर्च में राज्य सरकार का योगदान 40 पर्सेंट तक होगा। इस पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'हमने इसमें केंद्र और राज्यों का अनुपात 60:40 रखा है ताकि राज्यों की सहभागिता बढ़े और वे जिम्मेदारी समझें।’
