ग्लोबल पावर इंडेक्स के मुताबिक भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी सैन्य महाशक्ति है। अमेरिका, रूस और चीन ही उससे आगे हैं। वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट की रिपोर्ट के अनुसार भारत की वायुसेना अमेरिका और रूस के बाद विश्व में तीसरी सबसे बड़ी ताकत है। चीन की एयरफोर्स चौथे नंबर पर आती है। मिलिट्री खर्च के मामले में भारत का स्थान पहुंचा है। 

 

2023 में भारत सरकार ने करीब 83.6 बिलियन डॉलर रक्षा पर खर्च किया था। वहीं भारत से अधिक रक्षा खर्च जर्मनी (86.3 बिलियन डॉलर) ने किया था। ग्लोबल फायर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में सबसे अधिक 895 बिलियन डॉलर अमेरिका, उसके बाद चीन 266.85 और रूस ने 126 बिलियन डॉलर खर्च किया था।

 

मगर भारत रक्षा अनुसंधान में अपने रक्षा बजट का मामूली सा हिस्सा खर्च करता है। जबकि दुनियाभर के तमाम देश रिसर्च और डेवलपमेंट में अधिक धनराशि खर्च करते हैं। यही कारण है कि अमेरिका, चीन, रूस और जर्मनी जैसे देश तकनीक के मामले में भारत से काफी आगे हैं। अगर भारत को आत्मनिर्भर और तकनीक का महारथी बनना है तो आर एंड डी पर खर्च को बढ़ाना होगा। हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने भी इस पर चिंता जताई है। आइये आज जानते हैं कि दुनिया की टॉप पांच सैन्य महाशक्तियां आर एंड डी पर रक्षा बजट का कितना खर्च करती हैं औ भारत का कहां टिकता है?

 

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अमेरिका: दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति के अलावा अमेरिका मिलिट्री सुपरपावर भी है। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक 2025 में अमेरिका ने 895 बिलियन डॉलर का रक्षा बजट घोषित किया। अमेरिकी सरकार अपने कुल खर्च का करीब 13 फीसद रक्षा पर खर्च करती है। 2024 में जीडीपी का लगभग 3.4 फीसद हिस्सा डिफेंस को दिया गया। डिफेंस बजट का 38 फीसद हिस्सा ऑपरेशन और रखरखाव में खर्च हुआ। 22 प्रतिशत बजट सैनिकों पर खर्च हुआ। 17 फीसद बजट खरीद-फरोख्त में काम आया। बजट का 16 प्रतिशत हिस्सा रिसर्च और डेवलपमेंट में खर्च किया गया। 

 

चीन: 2025 में चीन ने 266 बिलियन डॉलर से अधिक की रकम रक्षा पर खर्च की। चीन अपने सैन्य खर्च करीब 10-15% फीसद मिलिट्री आर एंड डी पर खर्च करता है। मतलब करीब 44 बिलियन डॉलर। अगर जीडीपी की बात करें तो चीन अपनी जीडीपी का 1.7 से 2.3 फीसद हिस्सा आर एंड डी पर खर्च करता है। चीन आज अंतरिक्ष युद्ध, हाइपरसोनिक तकनीक, साइबर और एआई पर फोकस कर रहा है।

 

रूस: अमेरिका के बाद रूस दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य महाशक्ति है। हालांकि रक्षा बजट के मामले में तीसरे स्थान पर आता है। 2024 में रूस ने 126 बिलियन डॉलर का रक्षा बजट घोषित किया।  रूस अपने रक्षा बजट का करीब 10 फीसद हिस्सा आर एंड डी पर खर्च करता है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस अपने जीडीपी का 7 फीसद हिस्सा सैन्य खर्च पर कर रहा है।


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दक्षिण कोरिया: ग्लोबल फायर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया की सेना पांचवीं सबसे बड़ी ताकत है। हालांकि रक्षा खर्च के मामले में 14वें स्थान पर आता है। 2024 में दक्षिण कोरिया का रक्षा बजट 44 बिलियन डॉलर रहा है। उत्तर कोरिया से निपटने के खातिर दक्षिण कोरिया आर एंड डी पर रक्षा बजट का लगभग 10 फीसद हिस्सा खर्च कर रहा है। दक्षिण कोरिया टोही और मिसाइल हमलों को रोकने वाली तकनीक पर फोकस कर रहा है।

 

भारत: भारत सरकार रक्षा रिसर्च और डेवलपमेंट पर अधिकांश खर्च डीआरडीओ के माध्यम से करती है। 2023-24 के रक्षा बजट में 23,264 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई। चीन के मुकाबले भारत आर एंड डी पर बहुत कम खर्च करता है। आकंड़ों के मुताबिक भारत का रिसर्च और डेवलपमेंट पर कुल खर्च जीडीपी का 0.65 फीसद है। अगर सैन्य अनुसंधान और विकास की बात करें तो उसका हिस्सा सिर्फ 0.05-0.07% है। यही कारण है कि आज भारत नई तकनीक के विकास के मामले में चीन समेत दुनिया के अन्य देशों से काफी पीछे है।

डीआरडीओ प्रमुख ने क्या चिंता जाहिर की?

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष समीर वी कामत ने सोमवार को कहा कि हमें अपने रिसर्च और डेवलपमेंट बजट को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहते हैं। मगर आप हमारे आर एंड डी बजट को देखें तो यह बहुत कम है। हम आर एंड डी पर केवल 0.65 प्रतिशत बजट खर्च करते हैं, जबकि हमारे प्रतिस्पर्धी 2 प्रतिशत से ज्यादा खर्च करते हैं। रक्षा बजट का सिर्फ 5.75% हिस्सा ही आर एंड डी पर खर्च होता है। दूसरी तरफ अमेरिका 10 प्रतिशत से अधिक खर्च करता है।'