कश्मीर को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने जो बयान दिया, उस पर जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया आ गई है। जयशंकर ने कहा था कि PoK मिलते ही कश्मीर का मुद्दा हल हो जाएगा। इस पर सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 'किसने रोका है?' वहीं, पाकिस्तान ने इसे निराधार बताया है।
- जयशंकर ने क्या कहा था?: ब्रिटेन में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा था, 'हमने कश्मीर के ज्यादातर मुद्दों का हल निकाल लिया है। मुझे लगता है कि हम जिस हिस्से का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर के उस हिस्से की वापसी है, जिसे पाकिस्तान ने चोरी से अपने पास रखा है। उस हिस्से के भारत में आते ही कश्मीर समस्या का हल हो जाएगा।'
- उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा था?: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बोलते हुए सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा था, 'क्या हमने कभी उन्हें रोका है? कारगिल युद्ध के दौरान उनके पास PoK को वापस लाने का मौका था लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। अगर वे इसे अब वापस ला सकते हैं तो उन्हें ऐसा करना चाहिए।'
- पाकिस्तान ने क्या कहा?: पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा, 'कश्मीर को लेकर निराधार दावे करने के बजाय भारत को जम्मू-कश्मीर के उस हिस्से को छोड़ देना चाहिए, जिस पर वह कब्जा करके बैठा है। भारत ने सेना के दम पर कश्मीर की स्थिति बदलने की कोशिश की है लेकिन इससे कश्मीरियों की मुश्किलें हल नहीं होगी।'
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अब जब कश्मीर पर इतनी बात हो रही है तो जान लेते हैं कि कश्मीर की पूरी कहानी क्या है? पाकिस्तान के पास कितना कश्मीर है? और चीन के पास कितना?
क्या है कश्मीर का इतिहास?
1947 में आजादी और बंटवारे के बाद जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भी आजाद रहने का ही फैसला लिया। नतीजा यह हुआ कि 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान से हजारों कबायलियों से भरे ट्रक कश्मीर में घुस गए। इन कबायलियों को पाकिस्तानी सेना और सरकार का समर्थन हासिल था। यह कबायलिये धीरे-धीरे कश्मीर के इलाकों पर कब्जा करते चले गए।
राजा हरि सिंह से जब हालात नहीं संभले तो उन्होंने भारत से मदद मांगी। 27 अक्टूबर 1947 को राजा हरि सिंह ने भारत से विलय के दस्तावेज पर साइन कर दिए। अगले ही दिन भारतीय सेना ने मोर्चा संभाल लिया और कश्मीर से पाकिस्तानी कबायलियों को खदेड़ना शुरू कर दिया।
तब हालात बहुत नाजुक थे। ऐसा कहा जाता है कि भारत में तब के गवर्नर जनरल माउंटबेटन की सलाह पर 1 जनवरी 1948 को जवाहरलाल नेहरू कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले गए।
1948 में संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को लेकर तीन प्रस्ताव आए। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर तो हो गया लेकिन तब तक पाकिस्तानी कबायलियों ने कश्मीर के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसे ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK कहा जाता है।
दिसंबर 1948 में संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को लेकर आयोग की एक रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट में कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात भी थी। हालांकि, सीजफायर के बाद भी पाकिस्तानी सेना कश्मीर से हटी नहीं, इसलिए भारत ने भी जनमत संग्रह करवाने से मना कर दिया।
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कैसा है PoK?
PoK असल में दो हिस्सों में बंटा है। एक हिस्से को पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है। यह हिस्सा कश्मीर से सटा है। दूसरा हिस्सा गिलगित बल्टिस्तान है, जो लद्दाख की सीमा से लगा है।
PoK की सीमा कई देशों से लगती है। पश्चिम में इसकी सीमा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और खैबर-पख्तूनख्वाह से लगती है। उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान के वखां कॉरिडोर, उत्तर में चीन और पूर्व में भारत के जम्मू-कश्मीर से सीमा जुड़ी हुई है।
साल 1949 में आजाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं और पाकिस्तानी सरकार के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे कराची समझौता कहा जाता है। इसके तहत आजाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान को सौंप दिया।
PoK में अपनी सरकार है। यहां का अपना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री है। चौधरी अनवरुल हक यहां के प्रधानमंत्री हैं और सुल्ताम महमूद चौधरी राष्ट्रपति। यहां अलग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी है। विधानसभा भी है। हालांकि, यहां की सरकार कुछ भी फैसला लेने के लिए पाकिस्तान की सरकार पर निर्भर है।
पाकिस्तान और चीन के पास कितना कश्मीर?
पाकिस्तान ने कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के इलाके पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसके अलावा, 2 मार्च 1963 को एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने PoK का 5,180 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा चीन को सौंप दिया था। इसके अलावा, चीन का लद्दाख की 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी अवैध कब्जा है, जिसे अक्साई चीन कहा जाता है।