अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के चावल पर टैरिफ लगा सकते हैं। अमेरिका में ट्रंप की अप्रूवल रेटिंग लगातार गिर रही है। उन्हें अपना कोर वोटर बेस खोने का डर सता रहा है। किसानों को ट्रंप का प्रमुख समर्थक माना जाता है। अब उन्हीं को खुश करने की खातिर ट्रंप भारत से आने वाले चावल पर टैरिफ लगा सकते हैं, क्योंकि अमेरिकी किसानों की शिकायत है कि सस्ते आयात के कारण स्थानीय बाजार में उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना बेहद मुश्किल है। इस बीच ट्रंप ने किसानों को 12 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने का ऐलान भी किया।

 

अभी भारत पर 50 फीसद अमेरिकी टैरिफ लागू है। अगर ट्रंप चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगाते हैं तो दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर खटास आना तय है। मगर अमेरिका के इस कदम का भारत के चावल निर्यात और किसानों पर क्या असर होगा? भारत कितना चावल किस देश को बेचता है और अमेरिकी टैरिफ के बाद उसके सामने नए अवसर क्या है? आइये जानते हैं।

 

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भारत सबसे बड़ा चावल निर्यातक 

चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा धान पैदा करने वाला देश है। मगर निर्यात के मामले में चीन भारत से पीछे है। भारत में साल दर साल जहां धान की पैदावार बढ़ रही तो वहीं उसके निर्यात में भी इजाफा हो रहा है। वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका सबसे अधिक बासमती चावल भारत से खरीदता है, जबकि भारत अपने बासमती निर्यात का मामूली हिस्सा ही अमेरिका भेजता है। अमेरिका भारत के बाद सबसे अधिक बासमती चावल पाकिस्तान से खरीदता है।

भारत के चावल निर्यात में अमेरिका की मामूली हिस्सेदारी

आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 ने भारत ने अपने कुल बासमती निर्यात का करीब 5.20 फीसद हिस्सा अमेरिका को बेचा। 2022-23 में इसमें कमी देखने को मिली। आंकड़ा घटकर 5 फीसद रह गया। 2023-24 में भारत ने 5.22 फीसद बासमती चावल अमेरिका को भेजा। इसकी कीमत 0.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही। अमेरिका भले ही बासमती खरीदने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल है, लेकिन उसकी हिस्सेदारी उतनी नहीं, जितनी ईरान और सऊदी अरब जैसै देशों की है।

सऊदी सबसे बड़ा बाजार

भारत से सबसे अधिक बासमती चावल सऊदी अरब खरीदता है। भारत के कुल बासमती निर्यात का करीब 21.47 फीसद हिस्सा सऊदी जाता है। 15.19 फीसद की हिस्सेदारी के साथ इराक दूसरे और 11.65 प्रतिशत के साथ ईरान तीसरे स्थान पर है। अमेरिका (5.22%) से अधिक बासमती चावल संयुक्त अरब अमीरात (5.71%) और यमन (5.86%) खरीदते हैं। भारत से बासमती चावल खरीदने वाले टॉप 10 देशों की सूची में कुवैत, यूनाइटेड किंगडम, ओमान और कतर का भी नाम शामिल है। भारत अपना 77.54 फीसद बासमती चावल इन्हीं 10 देशों को बेचता है। इसके अलावा 22.46 प्रतिशत बासमती चावल दुनिया के अन्य देशों को बेचता है।

सबसे अधिक गैर-बासमती चावल किसे बेचता है भारत?

भारत गैर-बासमती चावल अमेरिका को न के बराबर करता है। 2023-24 में भारत ने सबसे अधिक गैर-बासमती चावल बेनिन (11.21) को बेचा। इसके बाद गैर-बासमती चावल के कुल निर्यात का करीब 8.17 फीसद निर्यात गुयाना को किया। 6.10 फीसद की हिस्सेदारी के साथ टोगो तीसरे स्थान पर है। भारत वियतनाम को 5.79%, कोटे डी आइवर को 5.40, सेनेगल 5.12, सोमालिया को 5.53, केन्या को 4.50, जिबूती को 2.68 और यूएई को 2.63 फीसद गैर-बासमती चावल निर्यात करता है। चावल के निर्यात के मामले में भारत की मध्य पूर्व और अन्य एशियाई देशों पर निर्भरता अधिक है। अफ्रीका देशों में भारत अपना गैर-बासमती चावल निर्यात बढ़ा रहा है। 

भारत के आगे कौन-कौन से अवसर?

भारत के चावल पर पूरी दुनिया की निर्भरता है। यही कारण है कि अगर अमेरिका ने भारतीय चावल पर टैरिफ लगाया तो उसका भारत के किसानों पर कुछ खास नहीं होगा। साल 2023 में भारत ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस वक्त पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया था। 2022 में चावल की कीमतों में करीब 20 फीसदी का उछाल देखने को मिला, क्योंकि इसी साल भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर बैन लगाया था। चावल के निर्यात मामले में भारत इतना बड़ा खिलाड़ी बन गया है कि अगर वह कोई कदम उठाता है तो इसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिलता है। 

 

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आईएफपीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 42 देश अपने कुल चावल आयत का 50 फीसद से अधिक हिस्सा भारत से खरीदते हैं। अफ्रीका के कई देशों का 80 फीसद चावल भारत से आता है। अगर अमेरिका भारतीय चावल पर टैरिफ बढ़ता है तो भारत रूस और जापान जैसे देशों में अपना निर्यात बढ़कर इसकी भरपाई आराम से कर सकेगा। 

 

यूक्रेन युद्ध के बाद रूस में चावल की कमी के कारण कीमतें करीब 34 फीसद तक बढ़ चुकी हैं। जापान में भी चावल की कीमतें आसमान छू रही हैं। लोगों को घंटों लाइन में लगने के बाद चावल मिल रहा है। जापान सरकार भी भारत के साथ चावल का आयात बढ़ाने पर विचार कर रही है। उधर, चेन्नई व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा के माध्यम से भारत रूस को बड़ी मात्रा में चावल निर्यात कर सकता है। 

चावल निर्यात के बड़े खिलाड़ी कौन?

दुनिया में सबसे अधिक चावल का निर्यात भारत करता है। दुनियाभर में हर 10 में से चार आदमी भारत का चावल खाते हैं। 2021 से 2023 तक चावल के कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 38.58 फीसद रही। वहीं यूएन कॉमट्रेड डेटाबेस के मुताबिक 2022 में भारत की हिस्सेदारी करीब 46 फीसद रही। 9.17 फीसद चावल निर्यात के साथ पाकिस्तान दूसरे स्थान पर है। 9.13 फीसद एक्सपोर्ट के साथ थाईलैंड तीसरे, वियतनाम (7.75%) चौथे, अमेरिका (7.06) पांचवें, चीन (3.82%) छठवें, इटली (3.12%) सातवें, म्यांमार (2.75%) आठवें, ब्राजील (2.05%) नौवें और उरुग्वे (1.85%) 10वें स्थान पर है।