ऊपर दी गई तस्वीर को देखिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अवॉर्ड ले रहे ये दोनों लोग IAS अफसर हैं। चश्मा पहने हुए हैं आईएएस ऋषभ गुप्ता, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के कलेक्टर हैं और उनके साथ खड़े हैं IAS नागार्जुन गौड़ा, यह खंडवा जिला पंचायत के CEO हैं। दोनों आईएएस अफसरों को नवंबर 2025 में राष्ट्रपति से 2 करोड़ रुपये का नैशनल वॉटर अवॉर्ड मिला था। यह पुरस्कार 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' के तहत दिया गया, जिसका मकसद पानी बचाना, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और पारंपरिक जलस्रोतों के पुनर्जीवन को बढ़ावा देना था। खंडवा जिला देशभर में टॉप पर था। नतीजतन कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को सम्मानित भी किया गया।
हाल ही में इस अवॉर्ड को लेकर दावे किए गए कि इसे धोखेबाजी से हासिल किया गया है। क्या आईएएस ऋषभ गुप्ता और IAS नागार्जुन गौड़ा ने AI से बनी तस्वीरों को अपलोड करके खंडवा को जल शक्ति अभियान का बनाया है? दैनिक भास्कर की एक के बाद से सोशल मीडिया पर लोग तमाम तस्वीरें शेयर कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि ये AI से बनाई गई हैं और ग्राउंड पर कोई काम ही नहीं हुआ है। लोग दोनों अफसरों को हटाने की मांग भी कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि यह इस साल की सबसे बड़ी सरकारी लूट है। खंडवा जिला प्रशासन ने एक्स पर ऐसे दावों को फेक न्यूज बताया है और प्रशासन ने सफाई भी दी है। इसी मामले पर खबरगांव ने IAS नागार्जुन गौड़ा से भी बात की है।
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क्या है मामला?
18 नवंबर 2025 को दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति ने 2014 बैच के आईएएस ऋषभ गुप्ता और 2019 बैच के आईएएस नागार्जुन बी गौड़ा को सम्मानित किया। यह पुरस्कार छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में दिया गया था। दरअसल, जल शक्ति मंत्रालय ने जल संचय जन भागीदारी यानी JSJB नाम का एक अभियान शुरू किया था। जिला स्तर पर यह अभियान चलाया गया था। इसका मकसद था कि पानी बचाने, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और पानी के पारंपरिक स्रोतों को बेहतर बनाने के लिए जल संरचनाएं बनाई जाएंगी। इन जल संरचनाओं में कुओं की मरम्मत, पाइपलाइन में सुधार, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए सेटअप लगाने जैसे काम शामिल थे और हर जिले को एक ऑनलाइन पोर्टल पर इन निर्माणों की तस्वीरें अपलोड करनी थीं।
जब पुरस्कार का एलान हुआ तो बताया गया कि खंडवा जिले ने देश भर में पानी बचाने और संजोने के लिए सबसे ज्यादा 1 लाख 29 हजार 46 जल संरचनाएं बनाई थीं यानी इतने काम किए थे और इसके लिए दिया गया 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार लेकिन इस अवॉर्ड मिलने के एक महीने से ज्यादा वक्त के बाद भास्कर ने एक रिपोर्ट छापी और खंडवा जिला कलेक्टर और जिला पंचायत CEO पर गंभीर आरोप लगाए। रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन तस्वीरों को पोर्टल पर अपलोड करके खंडवा को पुरस्कार मिला है, उनकी सच्चाई ग्राउन्ड पर कुछ और ही है। कहीं 2 फीट के गड्ढे को कुआं बता दिया गया है, कहीं पुल बनाने का दावा है मगर असल में बनाया ही नहीं है और कुछ तस्वीरों के बारे में दावा है कि वे असली हैं ही नहीं बल्कि एआई से बनी हैं। दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, 'प्रशासन ने 1.29 लाख कामों के मुकाबले, जिले से मात्र 1714 तस्वीरें ही अपलोड कीं, यानी कुल कामों का महज 1.3%। हैरानी की बात यह है कि इस 1% सबूत में भी भारी गोलमाल है। दैनिक भास्कर ने जब इन तस्वीरों की जांच की, तो पाया कि अधिकांश में जियो-टैगिंग नहीं थी।'
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इसके अलावा वॉटर हार्वेस्टिंग की जितनी तस्वीरे हैं, उनमें से दर्जन भर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस यानी एआई से बनाई गई हैं, वाटरमार्क तक हटाया नहीं गया है। आईएएस अफसरों पर लगे ये आरोप गंभीर हैं। दावा यह भी है कि कई जगहों पर तो पहले से हो रखे निर्माण पर ही नया बोर्ड चिपका दिया गया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे सबसे बड़ी सरकारी लूट बता रहे हैं। खंडवा प्रशासन का इसपर क्या कहना है यह भी जान लीजिए। एक्स पर कई पोस्ट्स का जवाब देते हुए खंडवा कलेक्टर के अकाउंट से यह स्पष्टीकरण लिखा गया है। कहा गया है कि सोशल मीडिया पर जो बातें लिखी जा रही हैं वे फेक न्यूज हैं।
क्या बोले नागार्जुन गौड़ा?
हमने इसके बाद जिला पंचायत सीईओ नागार्जुन बी गौड़ा से बात की। खबरगांव को उन्होंने बताया कि जिस पोर्टल की तस्वीरों को भास्कर ने दिखाया है वह एक अलग पोर्टल है, इस पोर्टल के आधार पर अवॉर्ड नहीं मिला है। उन्होंने एक स्पष्टीकरण हमको भेजा है। इसके अनुसार अवॉर्ड मिला जल संचय जन भागीदारी अभियान को लेकर और उसके लिए एक पोर्टल बनाया गया था, मगर जल संचय जन भागीदारी अभियान 6 महीने पहले 31 मई 2025 को ही पूरा हो चुका है जिसके बाद फोटो अपलोड किया जाना संभव नहीं है। सारे फोटोग्राफ नेशनल वॉटर मिशन के जल शक्ति अभियान केच द रैन से जुड़े हैं जो जल संचय जनभागीदारी से अलग है।
इसके अलावा नागार्जुन गौड़ा का कहना है कि रिपोर्ट छपने के बाद जांच की गई और जो भी कमियाँ हैं, उनको लेकर प्रशासन की तरफ से नोटिस भी भेजा गया है। स्पष्टीकरण के दस्तावेज़ में खंडवा प्रशासन ने बताया है कि दैनिक भास्कर डिजिटल (भास्कर इन्वेस्टिगेंशन) द्वारा प्रकाशित खबर जनसुनवाई मे जो शिकायतें आई थीं उनके आधार पर की गई है। प्रशासन का यह भी कहना है कि जनसुनवाई की इन शिकायतों में पहले ही जांच कराकर कार्रवाई की जा चुकी है। दैनिक भास्कर की खबर के बारे में लिखा गया है कि यह खबर, पूर्णत भ्रामक, तथ्यहीन और जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने हेतु की गई है, इस संपूर्ण खबर का जल संचय जनभागीदारी अभियान 1.0 के पुरस्कार से कोई संबंध नहीं है।
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इसके अलावा नागार्जुन गौड़ा ने हमें बताया कि जो 'कैच द रेन' पोर्टल है, भास्कर की रिपोर्ट के बाद उसकी जांच की गई तो 20 तस्वीरें AI जेनरेटेड मिलीं, जिसको लेकर जिला प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। यानी प्रशासन का कहना यह है कि जितनी तस्वीरें भास्कर ने दिखाई हैं, उन तस्वीरों या उस पोर्टल के आधार पर अवॉर्ड नहीं मिला है।
इस मामले पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा है, 'जहां बीजेपी सरकार को हमारे बच्चों को AI का सदुपयोग सिखाना चाहिए, वहीं वह खुद AI से भ्रष्टाचार कर रही है। खंडवा में बीजेपी सरकार के अधिकारियों ने जल संरक्षण के नाम पर दो फीट के गड्ढों को AI से कुआं बना दिया और पूरे क्षेत्र में तरह तरह के विकास कार्यों की AI से बनाई गई तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड कर दीं। इन्हीं तस्वीरों के आधार पर माननीय राष्ट्रपति से पुरस्कार भी ले लिया गया। जब ज़मीनी हकीकत सामने आई, तो वहां खेत और खाली मैदान निकले। साफ है कि यह जल संरक्षण नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से बनाई गई तस्वीरों का खेल था। बीजेपी के राज में भ्रष्टाचार भी स्मार्ट हो गया।'
IAS ऋषभ गुप्ता और नागार्जुन बी गौड़ा कौन हैं?
आईएएस ऋषभ गुप्ता 2014 बैच के आईएएस अफसर हैं, मध्य प्रदेश काडर से आते हैं। UPSC क्रैक करने से पहले ऋषभ सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। उन्होंने UPSC की परीक्षा में 37वीं रैंक हासिल की थी। उनकी पत्नी भव्या मित्तल भी 2014 बैच की ही आईएएस अफसर हैं और खरगोन की कलेक्टर हैं।
बात नागार्जुन बी गौड़ा की करें तो वह भी मध्य प्रदेश काडर के ही अधिकारी हैं। 2019 में UPSC पास करके IAS अफसर बने थे। इससे पहले वह डॉक्टर थे, MBBS कर चुके हैं। फिलहाल खंडवा के जिला पंचायत CEO हैं।
