अब 5वीं जनरेशन के स्टील्थ लड़ाकू विमान भारत में ही बनेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी मंजूरी दे दी है। उन्होंने मंगलवार को एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को डिजाइन करने और बनाने के लिए 'एग्जीक्यूशन मॉडल' को मंजूरी दी। इसका मतलब यह हुआ कि अब सबसे एडवांस्ड 5वीं जनरेशन के लड़ाकू विमानों को भारत में ही बनाया जाएगा।
यह इसलिए खास है क्योंकि भारत अपने दम पर 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने की तैयारी कर रहा है। पहले रूस के साथ मिलकर विमान को बनाने की तैयारी थी लेकिन बात नहीं बन सकी।
- सरकार का प्लान क्या?: पहले रूस के साथ बनाना चाहता था। फिर भारत ने खुद का AMCA प्रोजेक्ट शुरू किया। अब भारत देसी तकनीक से 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाएगा।
- क्यों जरूरी है यह?: भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी। वायुसेना के पास अभी 5वीं जनरेशन का लड़ाकू विमान नहीं है। सिर्फ 4.5 जनरेशन का राफेल विमान ही है। तेजस के बाद यह दूसरा स्वदेशी तकनीक से बना लड़ाकू विमान होगा।
- खर्चा कितना आएगा?: इस तरह के विमान में हजारों करोड़ रुपये खर्च होते हैं। रक्षा मंत्रालय ने इस विमान की शुरुआती लागत 15 हजार करोड़ रुपये आंकी है। हालांकि, बाद में इसका खर्च लाखों करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।
- बनाएगा कौन इसे?: अभी तय नहीं है। इस लड़ाकू विमान की तैयारी का सारा काम एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) की देखरेख में होगा। इस प्रोजेक्ट में पहली बार प्राइवेट कंपनियां भी जुड़ेंगी।
- कब तक डिलीवर होगा?: बताया जा रहा है कि शुरुआत में 5वीं पीढ़ी के 120 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया जाएगा। 2035 से इनकी डिलीवरी शुरू हो जाएगी। बाद में ऐसे और भी लड़ाकू विमान बनाए जा सकते हैं।
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5वीं पीढ़ी में क्या होगा खास?
हर नई पीढ़ी का विमान पिछली पीढ़ी से ज्यादा बेहतर और आधुनिक होता है। इसमें नई तकनीक होती है और कई खास फीचर्स होते हैं।
पहली पीढ़ी के लड़ाकू विमान में पिस्टल इंजन थे। दूसरी पीढ़ी में रडार चेतावनी रिसीवर और स्विफ्ट विंग्स लगाए गए थे। तीसरी पीढ़ी में शक्तिशाली टर्बोफेन इंजन था और यह पल्स डॉप्लर रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस था। चौथी पीढ़ी में फ्लाई बाय वायर की तकनीक के साथ-साथ रडार से बचने की तकनीक और हेड अप डिस्प्ले था।
ADA ने इस साल फरवरी में एयरो इंडिया 2025 में AMCA का नया प्रोटोटाइप दिखाया था। यह विमान 25 टन वजनी होगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इसमें 7 हजार किलो तक के पेलोड तैनात किए जा सकेंगे। यह अब तक का सबसे एडवांस्ड विमान होगा।
इस विमान में सबसे उन्नत ऑटो पायलट मोड होगा। इसमें मल्टी सेंसर डेटा फ्यूजन, पायलट डिसीजन सपोर्ट सिस्टम, ऑटोमैटिक टारगेट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम और लो विजिबिलिटी में नेविगेशन के लिए कंबाइंड विजन सिस्टम होगा। ADA का कहना है कि यह दुनिया के सबसे उन्नत 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में से एक होगा।
5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान में सबसे खास बात यह होगी कि इसमें 'अनमैन्ड सिस्टम' भी होगा। इसकी मदद से लड़ाकू विमान से ही ड्रोन को ऑपरेट किया जा सकेगा। इसका मतलब यह हुआ कि लड़ाकू विमान अपने साथ-साथ ड्रोन को भी कंट्रोल कर लेगा। उदाहरण के लिए अगर दुश्मन के रडार को भटकाना है तो विमान से ही ड्रोन को भेजकर उसे कन्फ्यूज किया जा सकता है। इसके अलावा, विमान में बैठे-बैठे ही ड्रोन से हमला किया जा सकता है।
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किन देशों के पास है 5वीं पीढ़ी के विमान?
- अमेरिकाः F-35 और F-22 जैसे 5वीं पीढ़ी की लड़ाकू विमान हैं। 6वीं पीढ़ी के विमानों पर काम चल रहा है।
- चीनः इसके पास भी J-20 और J-35 जैसे विमान है। चीन ने 6वीं पीढ़ी के विमानों के लिए दो प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिए हैं।
- रूसः इसके पास Su-57 विमान है, जो 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट है। Su-57 का इस्तेमाल भी लड़ाई में हो चुका है।
भारत के लिए क्यों था जरूरी?
जानकार मानते हैं कि अब जंग में भारी वही पड़ेगा, जिसकी हवाई ताकत मजबूत होगी। भारत के दो पड़ोसी- चीन और पाकिस्तान, ऐसे हैं जिनसे खतरा लगातार बना रहता है। हाल ही में अमेरिका के डायरेक्टर ऑफ इंटेलिजेंस (DOI) की रिपोर्ट में सामने आया था कि चीन की मदद से पाकिस्तान अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। इसमें यह भी कहा गया था कि भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव बढ़ने की आशंका भी बनी रहती है।
ऐसे में चीन और पाकिस्तान जैसों से निपटने के लिए वायुसेना को मजबूत करना काफी जरूरी है। भारत के लिए यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि वायुसेना के स्क्वॉड्रन की संख्या भी घट रही है। वायुसेना के पास 42 स्क्वॉड्रन होनी चाहिए लेकिन अभी 31 ही हैं। एक स्क्वॉड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जब चीन तेजी से अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है, तब भारत को भी अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ाने की जरूरत है। चीन के पास आधुनिक लड़ाकू विमान हैं और उसकी मदद से पाकिस्तान भी वायुसेना की ताकत बढ़ा रहा है। पाकिस्तान की वायुसेना के पास चीन के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक J-10 भी है।
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प्राइवेट कंपनियों का क्या रहेगा रोल?
यह पहली बार है जब लड़ाकू विमानों के प्रोडक्शन में सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों का रोल भी होगा। अभी भारत में सिर्फ सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ही लड़ाकू विमान बनाती है। HAL ने लाइट कॉम्बैट फाइटर जेट 'तेजस' को बनाया है।
हालांकि, अब 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को बनाने में सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को भी बराबर मौका मिलेगा। बताया जा रहा है कि जल्द ही ADA इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EOI) जारी करेगा, जिसमें सरकारी के साथ-साथ निजी कंपनियां भी बोली लगा सकती हैं। प्राइवेट और पब्लिक कंपनियां या तो अकेले या फिर एक साथ मिलकर बोली लगा सकती हैं। बोली जीतने वाली कंपनी इस प्रोजेक्ट को लीड करेगी।
इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस प्रोजेक्ट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और अडानी डिफेंस जैसी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इनके अलावा, लार्सन एंड टुब्रो (L&T) भी इसमें शामिल हो सकता है।