एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के 23 राज्यों के 416 जिलों में एक अभियान चलाकर 1,351 बाल विवाह रोके गए हैं। इसके अलावा कानून का सहारा लेकर 2024-25 में 1.2 लाख बाल विवाह को रोका गया। यह रिपोर्ट स्वैच्छिक संगठनों के एक ग्रुप ने तैयार की है।   

 

अंबिका पंडित ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन मामलों में 779 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इसमें सबसे ज्यादा 170 एफआईआर पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई हैं। बंगाल के बाद तमिलनाडु (146) और बिहार में 114 एफआईआर दर्ज की गई है। 

 

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250 से ज्यादा संगठनों का एक नेटवर्क है जेआरसी

दरअसल, 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन' (जेआरसी) 250 से ज्यादा संगठनों का एक नेटवर्क है। जेआरसी के आंकड़ों से पता चलता है कि जिन 1,351 मामलों में बाल विवाह रोके गए उनमें पुलिस स्टेशनों में 737 मामले, बाल कल्याण समितियों ने 593 मामले और कोर्ट से मिले आदेश के बाद 21 मामले दर्ज किए गए।

 

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कानूनी हस्तक्षेप के बाद विवाह रोका

 

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन ने बताया है कि 1.2 लाख में से ज्यादातर मामलों में परिवार द्वारा अपनी नाबालिग बेटी की शादी करने की योजना बनाई जा रही थी, जिसके बाद कानूनी हस्तक्षेप के बाद विवाह को रोक दिया गया। इसके अलावा 66,000 से ज्यादा मामलों में माता-पिता से शपथ-पत्र लिए गए, जहां जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन से जुड़े सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निवेदन करके संभावित बाल विवाह को रुकवाया।