देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन का नाम लेते ही डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम अपने आप याद आ जाता है क्योंकि दोनों के नाम में राधाकृष्णन है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति रहे। आज (1 दिसंबर) को राज्यसभा में सभापति के रूप में पदभार संभालने के बाद सदन में उनका पहला दिन था, जहां उनका स्वागत करते हुए सभी नेताओं ने अपनी बातें रखीं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीपी राधाकृष्णन के सामने पहले उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के भाषण को पढ़ा। अब सवाल उठता है कि उपराष्ट्रपति के सामने मल्लिकार्जुन खरगे ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भाषण क्यों पढ़ा?

 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का वह भाषण पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं हैं। उन्होंने यह बात इसलिए कही सीपी राधाकृष्णन के बारे में कुछ लोगों (बीजेपी से जुड़े लोगों) ने दावा किया कि वह (सी पी राधाकृष्णन) उनकी पार्टी से जुड़े हुए हैं।

 

दोनों के नाम मिलना केवल संयोग मात्र नहीं हैसीपी राधाकृष्णन के माता-पिता डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्णन के जीवन से बहुत प्रभावित थेउनकी मां ने बताया था, 'हमने उनका नाम सीपी राधाकृष्णन इसलिए रखा था ताकि वह राष्ट्रपति राधाकृष्णन जैसे बनेंभगवान सुंदरमूर्ति ने उन्हें यह सम्मान दिया है।'

 

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खड़गे ने सदन में क्या कहा?

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'मैं सर्वपल्ली राधाकृष्णन की ये बातें कोट करना सही समझता हूं। 16 मई 1952 को उन्होंने कहा था कि मैं किसी पार्टी से नहीं हूं। मैं यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि बहुत से लोगों ने दावा किया कि आप उनकी (BJP) पार्टी से हैं।'

 

आगे उन्होंने कहा, 'एक डेमोक्रेसी के तानाशाही में बदलने की संभावना है अगर वह विरोधी ग्रुप को सरकार की पॉलिसी की सही, आजादी से और खुलकर आलोचना करने की इजाजत नहीं देती। यह सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भाषण है।'

नेता प्रतिपक्ष ने ऐसा क्यों कहा?

राज्यसभा के पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल विवादों से भरा था। विपक्ष अक्सर उनपर यह आरोप लगता था कि वह बीजेपी की तरफ से बात करते हैं। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जिनके कारण विपक्ष उनपर इस तरह के आरोप लगाया था। राज्यसभा में विपक्ष के आचरण पर पूर्व सभापति के बयानों ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। राज्यसभा की कार्यवाही बाधित होने पर विपक्षी सांसदों के निलंबन के बाद उन्होंने विपक्ष पर सदन को नारेबाजी का अखाड़ा बनाने का आरोप लगाया था और कहा था, 'बहस, न कि अव्यवस्था लोकतंत्र का सार है।'

 

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इसके साथ ही एक बार उन्होंने सार्वजनिक मंचों से सुनियोजित धर्मांतरण को लेकर चेतावनी दे डाली थी। उन्होंने कहा था, 'शुगर कोटेड सोच के जरिए समाज के कमजोर वर्गों को बहकाया जा रहा है, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।' इन बयानों पर विपक्ष का कहना था कि धनखड़ सत्ता पक्ष के प्रति झुकाव रखते हैं।  

 

सीपी राधाकृष्णन के सामने दिया गया यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में SIR जैसे कई मुद्दों को लेकर विवाद जारी है। अब देखना होगा कि उनका कार्यकाल पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ से कितना अलग होता है।