आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के पार्टी अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के आंकड़ों में बड़े पैमाने पर हेरफेर करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले में MCD के टैंकरों का वीडियो जारी कर कहा है कि सरकार जानबूझकर आनंद विहार ISBT जैसे सबसे प्रदूषित इलाके में AQI सेंसर के चारो ओर पानी के टैंकरों से लगातार छिड़काव करवा रही है। उनका दावा है कि सरकार इससे पॉल्युशन को कंट्रोल नहीं बल्कि PM 10 और PM 2.5 की रीडिंग को आर्टिफिशियल तरीके से कम करने की कोशिश है ताकि  AQI कम दिखे और सरकार को कड़े प्रतिबंध लगाने न पड़ें। क्या यह मुमकिन है कि AQI के आंकड़े के साथ खिलवाड़ किया जा सकता है? आइए समझते हैं इसका पूरा सिस्टम--

 

सौरभ ने सरकार पर दीवाली की रात डेटा में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि दीवाली की रात जब प्रदूषण सबसे ज्यादा था तब कई सरकारी एजेंसियों ने मिलकर डेटा में धोखाधड़ी की। उन्होंने आरोप लगाया कि नेहरू नगर जैसे स्थानों पर AQI रीडिंग 1700 तक पहुंचने के बाद कई मॉनिटरिंग स्टेशनों को बंद कर दिया गया और सुबह फिर से चालू किया गया, ताकि 'गंभीर' श्रेणी के आंकड़े दर्ज न हों। समझते हैं कि AQI क्या है?

 

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AQI होता क्या है?

यह एक पैमाना है जिसका इस्तेमाल सरकारी एजेंसियां हवा की गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए करती हैं कि हवा कितनी साफ और प्रदूषित है। साथ ही यह भी बताती है कि यह पॉल्युशन कैसे हेल्थ पर असर कर सकता है। AQI को एक साधारण संख्या और रंग के रूप में डिजाइन किया गया है ताकि आम लोग आसानी से समझ सकें कि उनके आसपास की हवा में जोखिम का स्तर क्या है। AQI हवा में पाए जाने वाले मुख्य प्रदूषक का लेवल मापता है। इसमें शामिल है-  PM 2.5, PM 10, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड। जिस प्रदूषक का लेवल उस दिन सबसे अधिक होता है, AQI का अंतिम नंबर उसी के हिसाब से तय होता है।

 

AQI आमतौर पर 6 अलग-अलग स्तरों में बांटा जाता है। 50 से नीचे अच्छा (हरा), 50 से 100 के बीच में संतोषजनक (पीला), 100 से 200 मीडियम (नारंगी)- जिसमें थोड़ी समस्या होती है, 200 से 300 खराब (लाल) - जिसमें लंबे समय तक रहने से सांस की दिक्कत हो सकती है, 300 से 400 बहुत खराब (डार्क लाल/पर्पल)- जिसमें सांस वाले बीमार लोगों को गंभीर खतरा होता है, 400 से ऊपर होने पर स्वस्थ लोगों के लिए भी गंभीर समस्याएं होती है।  

पानी से कैसे कम हो जाता है AQI?

पानी का इस्तेमाल कई तरीकों से AQI को कम करने में मदद करता है। यह मुख्य रूप से हवा में मौजूद खतरनाक पदार्थ PM 2.5 और PM 10 को कम करने पर काम करता है, जो खराब AQI का सबसे बड़ा कारण होते हैं। पानी से AQI कम होने के दो मुख्य तरीके हैं- एक बारिश और दूसरा आर्टिफिशियल तरीके से पानी का छिड़काव।

 

बारिश होने से अपने आप हवा साफ हो जाती है, जिससे AQI का स्तर तेजी से नीचे आ जाता है। दूसरा होता है आर्टिफिशियल तरीका जिसमें पानी का छिड़काव किया जाता है।  नगर निगम के टैंकर और मशीन सड़कों, कंस्ट्रक्शन साइट और खुले मैदानों पर पानी का छिड़काव करते हैं। इसके और भी तरीके हैं जैसे एंटी-स्मॉग गन, क्लाउड सीडिंग

 

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AQI सेंसर कैसे काम करता है?

  • AQI सेंसर, हवा में मौजूद प्रदूषकों को मापने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं। ये सेंसर हवा की क्वालिटी की जानकारी इकठ्ठा करते हैं, जिसके आधार पर AQI को मापा जाता है।
  •  AQI की गणना के लिए कई अलग-अलग प्रकार के सेंसर की आवश्यकता होती है। जैसे PM 2.5 और PM 10 के लिए लेजर स्कैटरिंग,  गैस के लिए इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर का उपयोग किया जाता है। इसके आसपास पानी के छिड़काव से नंबर में बदलाव किया जा सकता है।
  • AQI सेंसर के पास पानी का छिड़काव करने से आंकड़े तुरंत बदल जाते हैं। यह बदलाव मुख्य रूप से हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर पर पड़ता है। इसके इस्तेमाल से हवा में मौजूद कण नीचे बैठ जाते हैं जिससे हवा में मौजूद उनकी वास्तविक स्थिति में तेजी से कमी आती है। इससे AQI तुरंत गिर जाता है और ऐसा दिखता है कि हवा में तेजी से सुधार हुआ है।
  • पानी के छिड़काव से हवा में मौजूद नमी बढ़ जाती है। जब हवा में नमी बहुत ज्यादा मात्रा में रहती है तो सेंसर कण और बूंद के बीच में अंतर नहीं कर पाते है।
  • AQI सेंसर के पास पानी का छिड़काव करने से रीडिंग केवल एक अस्थायी और बहुत ही लोकल सुधार दिखाती है। जिससे भलें ही कुछ समय के लिए पर AQI में सुधार दिखता है।

 

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हेरफेर कैसे किया जा सकता है?

  • मॉनिटरिंग स्टेशन को कम प्रदूषण वाली जगह जैसे पार्क में रखा जाए तो यह सही AQI को आर्टिफिशियल तरीके से कम दिखाएगा। सेंसर को जानबूझकर खराब कैलिब्रेशन या गलत माप पर ही सेट कर दिया जाए या खराब मौसम में माप को तकनीकी खराबी बताकर डेटा हटाना जिससे खराब आंकड़े दर्ज ही न हों।
  • प्रदूषकों को आमतौर पर 24 घंटे के औसत पर मापा जाता हैयदि कोई अथॉरिटी जानबूझकर इस औसत समय को बदल दे या केवल सबसे अच्छे 4-8 घंटे का औसत दिखाए, तो AQI कम हो सकता है।
  • डेटा प्रोसेसिंग के दौरान, यदि प्रदूषण के पीक ऑवर के डेटा पॉइंट को जानबूझकर असामान्य बताकर हटा दिया जाए, तो रिपोर्ट किया गया AQI कम हो जाएगा।