भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्या कांत के नाम की सिफारिश की है। जस्टिस गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसके बाद जस्टिस सूर्या कांत 53वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। उनकी नियुक्ति सरकार की मंजूरी के बाद होगी। वह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज हैं।
जस्टिस सूर्यकातं का कार्यकाल 9 फरवरी, 2027 को खत्म हो रही है। करीब 14 महीने तक उनका कार्यकाल रहेगा। जस्टिस बीआर गवई ने सोमवार सुबह जस्टिस सूर्या कांत को अपनी सिफारिश का पत्र सौंपा। यह सिफारिश 23 अक्टूबर को केंद्र सरकार के अनुरोध के बाद की गई है। ऐसी परंपरा रही है कि मौजूदा जीफ जस्टिस, अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाते हैं।
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कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
जस्टिस सूर्यकांत 10 फरवरी 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने साल 1981 में हिसार में एक कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया। साल 19894 में उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री हासिल की। उसी साल हिसार जिला अदालत में वकालत शुरू की और 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए चंडीगढ़ चले गए। वह अपने वकालत के करियर में संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों के विशेषज्ञ रहे। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों, बोर्ड, निगमों, बैंकों के लिए भी काम किया। वह हाई कोर्ट में भी रहे।
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जस्टिस सूर्यकांत की उपलब्धियां क्या रहीं?
- 7 जुलाई, 2000 को वह हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। मार्च 2001 में उन्हें सीनियर अधिवक्ता का दर्जा मिला। 9 जनवरी, 2004 को वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के स्थायी जज बने। 2007 से 2011 तक वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के शासी निकाय के सदस्य रहे। 2011 में उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से दूरस्थ शिक्षा के जरिए कानून में एलएलएम की डिग्री हासिल की। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लिया और आयोजन भी किए।
- 5 अक्टूबर, 2018 को वह हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने।24 मई, 2019 को उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वर्तमान में वह 12 नवंबर, 2024 से सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष हैं। भारतीय विधि संस्थान की अलग-अलग समितियों के सदस्य के रूप में भी वह सक्रिय हैं। वह 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।