गांवों में रोजगार की गारंटी देने वाले विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G बिल पर लोकसभा में देर रात तक चर्चा हुई। इस बिल पर बुधवार को लगभग 14 घंटे तक चर्चा हुई। लंबी चर्चा के कारण रात 1 बजकर 35 मिनट तक लोकसभा चली। अब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को इस पर जवाब देंगे।
यह बिल 20 साल पुराने मनरेगा कानून की जगह लेगा। मनरेगा में ग्रामीणों में 100 दिन की रोजगार की गारंटी थी लेकिन नए बिल में इसे बढ़ाकर 125 दिन की गारंटी का प्रावधान किया गया है। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि यह बिल रोजगार की गारंटी नहीं दिता और 125 दिन की बात सिर्फ 'दिखावा' है।
लोकसभा में बुधवार को चर्चा के दौरान विपक्ष ने इस बिल को स्क्रूटनी के लिए इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की। वहीं, बीजेपी ने इसका बचाव करते हुए कहा कि यह बिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के विजन को हकीकत में बदलेगा।
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हंगामे के साथ हुई चर्चा की शुरुआत
लोकसभा में बुधवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने VB-G RAM G बिल को पेश किया। उन्होंने इसे पेश करते हुए कहा कि यह बिल न सिर्फ ग्रामीणों के लिए रोजगार लेकर आएगा, बल्कि गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के महात्मा गांधी के सपने को भी पूरा करेगा।
बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह बिल गांवों का चौतरफा विकास करेगा और उन्हें गरीबी मुक्त बनाकर उनकी विकास यात्रा को गति देगा।
बहस में हिस्सा लेते हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिल रोजगार की गारंटी नहीं देता और 125 दिनों के रोजगार की बात सिर्फ 'दिखावा' है।
महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह मनरेगा को खत्म करके और योजना कान नाम बदलकर महात्मा गांधी के राम राज्य के विचार और भावना दोनों को नष्ट कर रहा है। उन्होंने मनरेगा का नाम बदलकर महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान करने का आरोप भी लगाया।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'इस बिल ने दिखा दिया है कि सरकार 'न किसी का साथ, न किसी का विकास, न रहीम का, न राम का' में विश्वास करती है।'
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विपक्ष की मांग- स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए बिल
बुधवार को बिल पर चर्चा में 98 सांसदों ने हिस्सा लिया। विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की।
कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा, 'यह बिल काफी अहम है, इसलिए हम इस पर इतनी लंबी चर्चा कर रहे हैं। 98 से ज्यादा सांसदों ने बहस में हिस्सा लिया। विपक्ष बिल का विरोध कर रहा है। इंडिया ब्लॉक की मांग है कि इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए।'
कई कांग्रेस सांसदों ने मनरेगा का नाम बदलने पर भी आपत्ति जताई। कांग्रेस सांसद वामसी कृष्णा गद्दा ने कहा, 'देश में हम सभी महात्मा गांधी से प्यार करते हैं, सिवाय बीजेपी के। यह जानकर दुख होता है कि इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जा रहा है और अब राज्य सरकारें 40% फंडिंग करेंगी जबकि पहले 100% फंडिंग केंद्र की थी।'
हिसार से कांग्रेस सांसद जय प्रकाशन ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम बिल से हटा दिया गया है जो 'सबसे बड़ा अपराध' है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानून 'गरीब विरोधी' और 'दलित विरोधी' है, क्योंकि उसे उस सरकार ने बनाया है जो 'अमीरों की समर्थक' है।
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बीजेपी सांसदों ने बचाव में क्या कहा?
विपक्ष ने इस बिल पर कड़ा विरोध जताया। वहीं, बीजेपी सांसदों ने इसका बचाव किया। बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, 'यह बिल प्रधानमंत्री के विकसित भारत के विजन को हकीकत में लाता है। यह सुनिश्चित करता है कि गांवों में रहने वाले गरीब लोगों को सालभर रोजगार मिले।'
बीजेपी सांसद बसवराज बोम्मई ने कहा, 'हम यहां विपक्ष को संतुष्ट करने के लिए नहीं हैं। वे सिर्फ हर चीज को राजनीतिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह ग्रामीण जनता के विकास के लिए है।'
वहीं, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि मनरेगा 'भ्रष्टाचार का केंद्र' बन गया था। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपिता जैसी हस्तियों का नाम राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं करना चाहिए।
निशिकांत दुबे ने कहा, 'क्या आपने कभी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के नाम पर कोई योजना देखी है? राष्ट्रपिता के नाम पर योजना कैसे हो सकती है?'
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस इसलिए बौखलाई हुई है क्योंकि नया बिल भ्रष्टाचार को रोकेगा। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस बौखलाई हुई है, क्योंकि वह महात्मा गांधी के नाम पर पैसे नहीं कमा पाएगी।'
अब इस बिल पर गुरुवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जवाब देंगे। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा था कि कृषि मंत्री के जवाब के बाद ही बिल पास किया जाएगा।
