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सिर्फ नाम ही बदलेगा या कुछ और भी? MGNREGA से G RAM G तक की पूरी कहानी समझिए

MGNREGA का नाम बदलने की चर्चाएं तेज हो गई हैं क्योंकि लोकसभा सदस्यों को एक विधेयक की कॉपी बांटी गई है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का ढांचा खड़ा करना है।

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मनरेगा में काम करते मजदूर, Photo Credit: PTI

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बहुचर्चित रोजगार योजना यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम और स्वरूप बदले जाने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। चर्चा है कि इसी शीतकालीन सत्र में सरकार एक नया विधेयक ला सकती है जिसके जरिए MGNREGA का नाम और उसका ढांचा बदल दिया जाएगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लोकसभा सांसदों को विधेयक की जो प्रतियां बांटी गई हैं उनमें इस योजना का नाम 'विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार ऐंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' यानी VB- G Ram G रखा जा सकता है। MGNREGA का नाम बदले जाने की संभावनाओं पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने पूछा है कि इसका फायदा क्या है और महात्मा गांधी का नाम हटाने का मकसद क्या है?
 
प्रस्तावित बिल का उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के मुताबिक, ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है, जिसके तहत अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने वाले हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को हर वित्त वर्ष में 125 दिन के रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी। मौजूदा वक्त में MGNREGA के तहत साल भर में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। इसका लक्ष्य सशक्तीकरण और विकास को बढ़ावा देकर समृद्ध और सक्षम ग्रामीण भारत का निर्माण करना है। लोकसभा की सोमवार की कार्यसूची में यह विधेयक सूचीबद्ध किया गया है।

 

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क्या बदल जाएगा?

 

इस विधेयक के उद्देश्यों के कथन में ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि MGNREGA ने पिछले 20 साल से ज्यादा समय तक ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी दी है। उन्होंने कहा है, ‘हालांकि, सामाजिक सुरक्षा के बड़े पैमाने पर कवरेज और बड़ी सरकारी योजनाओं को पूरी तरह लागू करने से ग्रामीण इलाकों में जो बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाव आया है, उसे देखते हुए इसे और मज़बूत करना ज़रूरी हो गया है।' हालांकि, संसद के लिस्ट ऑफ बिजनेस में यह नहीं कहा गया है कि यह योजना MGNREGA की जगह पर लाई जा रही है।

 

MGNREGA में जहां आजीविका सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित था, वहीं नए विधेयक में कहा गया है कि इसका मकसद समृद्ध और लचीले ग्रामीण भारत के लिए सशक्तीकरण, विकास, तालमेल और संतृप्ति को बढ़ावा देना है और विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक पर जोर देना है। विधेयक के अनुसार, खेतिहर मज़दूरों की उपलब्धता को आसान बनाना ज़रूरी है। बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हुआ था, जो 19 दिसंबर को समाप्त होगा।

 

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प्रियंका गांधी ने क्या कहा?

 

इस बारे में जब कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'जब भी किसी योजना का इस तरह से नाम बदला जाता है तो आप सोचिए कि कितने ऑफिस, कितनी स्टेशनरी है जिसमें खर्च होता है। इसका फायदा क्या है, किसलिए किया जा रहा है? महात्मा गांधी जी का नाम क्यों हटा रहे हैं? महात्मा गांधी जी तो इस देश के इतिहास में सबसे बड़े नेता हैं, पता नहीं मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि उनका नाम हटाने का मकसद क्या है। सदन चल नहीं रहा है, फालतू में हम चर्चा भी पता नहीं कैसी-कैसी चीजों पर कर रहे हैं।'

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