प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून को जम्मू-कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया। यह पुल एक बहुत ही खास और अनोखा इंजीनियरिंग का नमूना है। चिनाब ब्रिज, चिनाब नदी के ऊपर बना है और यह नदी से 359 मीटर (यानि 1,178 फीट) ऊंचा है। इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ज्यादा है। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसका मकसद है कश्मीर घाटी को पूरे देश से हर मौसम में रेल के जरिए जोड़ना। पहले यहां सर्दियों में बर्फबारी या बारिश के कारण सड़क मार्ग बंद हो जाते थे लेकिन अब यह पुल और रेल लाइन हर मौसम में संपर्क बनाए रखने में मदद करेंगे। अब यह पुल कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक मजबूत, ऊंचा और शानदार रेलवे पुल है। 

 

पुल बनाने का काम बहुत मुश्किल था क्योंकि वहां की जमीन बहुत ही पथरीली और कठिन थी। इस वजह से इंजीनियरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन रॉक इंजीनियरिंग के एक माहिर ने इस मुश्किल काम में बड़ी मदद की। उन्होंने पूरे 17 साल दिए ताकि 1,315 मीटर लंबा यह पुल बन सके। अब सवाल यह है कि यह शख्स कौन है? चलिए, इसके बारे में और जानते हैं। 

 

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माधवी लता की क्या थी भूमिका?

चिनाब ब्रिज के निर्माण में प्रोफेसर माधवी लता की भूमिका बहुत अहम रही। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) में सिविल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर माधवी लता ने इस प्रोजेक्ट पर करीब 17 साल तक काम किया। वह भू-तकनीकी सलाहकार (geotechnical advisor) हैं, यानी जमीन, चट्टानों और नींव से जुड़ी तकनीकी सलाह देने वाली विशेषज्ञ। उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि उन्हें चट्टानों और जमीन की बनावट की बहुत अच्छी समझ है। उनकी जिम्मेदारी थी यह सुनिश्चित करना कि जिस जमीन पर पुल बन रहा है, वो मजबूत और स्थिर हो। इसके साथ ही उन्होंने यह भी देखा कि पुल के चारों ओर की ढलानें सुरक्षित रहें और खिसकें नहीं।

 

चिनाब ब्रिज को ऐसे डिजाइन किया गया है कि वो बहुत मुश्किल मौसम और हालात में भी मजबूत बना रहे। यह पुल 220–260 किमी/घंटा तक की तेज हवाओं को झेल सकता है, भारी बारिश, बाढ़, भूकंप और बहुत गर्म या ठंडे मौसम का सामना कर सकता है। इसकी उम्र करीब 120 साल मानी गई है। इस पुल को अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर, दक्षिण कोरिया की एक कंपनी और वीएसएल इंडिया ने मिलकर बनाया है। विदेशी कंपनियां स्टील से बना आर्च बनाने में लगी थीं, जबकि माधवी लता और उनकी टीम ने जमीन और नींव से जुड़ी सलाह दी। 

 

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चिनाब नदी ब्रिज के निर्माण में माधवी लता की भूमिका 

माधवी लता ने चिनाब ब्रिज के निर्माण में 17 साल तक सलाहकार के रूप में काम किया। जब ब्रिज बनाया जा रहा था, तब जमीन के नीचे की चट्टानों की स्थिति हर जगह एक जैसी नहीं थी। कहीं चट्टानें टूट चुकी थीं, कहीं अंदर खाली जगहें थीं, और कहीं चट्टानों की ताकत अलग थी। इसलिए उन्होंने और उनकी टीम ने 'डिजाइन-एज-यू-गो' नाम की रणनीति अपनाई। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे उन्हें काम करते हुए जमीन की असली हालत पता चलती गई, वैसे-वैसे उन्होंने डिजाइन और निर्माण की योजना में बदलाव किया। यानी पहले से तय किया हुआ एक सख्त प्लान नहीं था। सब कुछ जमीन की स्थिति देखकर समय-समय पर बदला गया।

 

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कौन हैं माधवी लता?

माधवी लता एक जानी-मानी सिविल इंजीनियर और प्रोफेसर हैं, जो अभी IISc बेंगलुरु के सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज की अध्यक्ष हैं। उन्होंने IIT मद्रास से पीएचडी की और पहले IIT गुवाहाटी में पढ़ाया। जब वह IISc में पहली महिला फैकल्टी बनीं, तो वहां महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं था, जिसे बनवाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा।

 

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने जब चिनाब पुल का उद्घाटन किया, तो माधवी लता और उनकी टीम के योगदान की खूब सराहना हुई। उन्होंने पुल की नींव, ढलान की मजबूती और अन्य तकनीकी कामों में अहम भूमिका निभाई। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं, और 2022 में उन्हें भारत की STEAM क्षेत्र की टॉप 75 महिलाओं में चुना गया था।