देशभर में 10 लाख 13 हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें से 5,149 स्कूलों में एक भी बच्चा नहीं पढ़ रहा है। शून्य दाखिला वाले 70 फीसद स्कूल पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में है। यह जानकारी शिक्षा मंत्रालय ने संसद के पटल पर रखी। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो साल में शून्य या 10 से कम दाखिले वाले स्कूलों की संख्या में 24 फीसद का इजाफा हुआ है। साल 2022-23 में इन स्कूलों की संख्या 52,309 थी। 2024-25 में बढ़कर 65,054 हो गई। यह कुल सरकारी स्कूलों का करीब 6.5 फीसद हैं। देशभर में सरकारी स्कूलों की संख्या भी घट रही है। आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में सरकारी स्कूलों की संख्या 10.32 लाख थी। छह साल में यह घटकर 10.13 लाख हो गई।

 

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और अमरिंदर सिंह राजा वाड़िंग ने संसद में यह मामला उठाया था। केंद्र सरकार ने बताया कि सबसे अधिक शून्य दाखिले वाले स्कूल तेलंगाना में हैं। इनकी संख्या 2,081 है। इसके बाद पश्चिम बंगाल के 1,571 स्कूलों में कोई बच्चा नहीं पढ़ रहा है।

 

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सबसे अधिक शून्य दाखिले वाले स्कूल नलगोड़ा में

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस के मुताबिक देश में सबसे अधिक खाली स्कूल तेलंगाना के नलगोंडा जिले में हैं। यहां 315 ऐसे स्कूल हैं, जहां कोई भी बच्चा नहीं है। इसके अलावा महबूबनगर में 167 और वारंगल में 135 स्कूल खाली हैं। देशभर में नलगोंडा के बाद कोलकाता का दूसरा स्थान है। यहां शून्य दाखिला वाले 211 सरकारी स्कूल है। पूर्वी मेदिनीपुर में 177 और दक्षिण दिनाजपुर में 147 खाली स्कूल हैं।

 

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बच्चे नहीं, मगर हजारों शिक्षक तैनात

शिक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया कि 10 से कम या शून्य दाखिला वाले देशभर के स्कूलों में एक लाख 44 हजार शिक्षक तैनात हैं, जबकि 2022-23 में इनकी संख्या एक लाख 26 हजार थी। केंद्र सरकार ने बताया कि शिक्षकों की भर्ती और सही तैनाती राज्य के अधिकार में आता है। पश्चिम बंगाल के कम नामांकन वाले 6,703 सरकारी स्कूलों में 27,348 शिक्षकों की तैनाती की गई है। मतलब हर स्कूल में करीब 4 शिक्षक तैनात हैं। वही बिहार में औसत 5 टीचर के आधार पर 730 कम दाखिले वाले स्कूलों में कुल 3,600 शिक्षक तैनात हैं।