जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए 23 अप्रैल को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में पांच बड़े फैसले लिए। इन फैसलों से पाकिस्तान को राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चों पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। नीचे इन फैसलों और उससे होने वाले प्रभावों को लेकर पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

 

भारत के 5 बड़े फैसले और पाकिस्तान पर प्रभाव

सिंधु जल संधि (1960) को निलंबित करना

 

भारत का पहला फैसला: भारत ने 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह बंद नहीं करता। 

 

पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?
इस संधि के तहत, पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का पानी मिलता है, जो उसकी कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ हैं। भारत द्वारा पानी की आपूर्ति रोकने से पाकिस्तान में सिंचाई और पेयजल की भारी कमी हो सकती है। इसके अलावा पाकिस्तान की लगभग 50% से अधिक कृषि इन नदियों पर निर्भर है। पानी की कमी से फसल उत्पादन घटेगा, जिससे खाद्य संकट और महंगाई बढ़ सकती है। जल की कमी से औद्योगिक गतिविधियां और बिजली उत्पादन भी प्रभावित होंगे, क्योंकि कई जलविद्युत परियोजनाएं इन नदियों पर निर्भर हैं।

 

अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा

यह कदम विश्व बैंक जैसे मध्यस्थों के लिए चुनौती पैदा करेगा, क्योंकि संधि की शर्तों का उल्लंघन होने पर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिकायत कर सकता है लेकिन भारत का सख्त रुख इसे कठिन बना सकता है। 

 

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अटारी चेक पोस्ट तत्काल प्रभाव से बंद करना


भारत का दूसरा फैसला: भारत ने एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया, जो भारत-पाकिस्तान के बीच प्रमुख व्यापार और आवागमन का रास्ता है।

 

पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?
अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार होता है, जिसमें कृषि उत्पाद, कपड़ा, और अन्य सामान शामिल हैं। इस बंदी से पाकिस्तान का निर्यात प्रभावित होगा, विशेष रूप से पंजाब प्रांत की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, क्योंकि वैकल्पिक व्यापार मार्ग महंगे और समय लेने वाले हैं। इसके अलावा यह कदम दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पारिवारिक संपर्क को और सीमित कर देगा, जिससे पाकिस्तान में भारत विरोधी भावनाएं बढ़ सकती हैं।

 

SAARC वीजा योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों पर रोक

 

भारत का तीसरा फैसला: भारत ने SAARC वीजा योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में प्रवेश करने से रोक दिया है। भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया और उनके सभी वीजा रद्द कर दिए गए। 

 

पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?


यह कदम दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) में पाकिस्तान की भागीदारी को कमजोर करेगा, जिससे उसका क्षेत्रीय प्रभाव घटेगा। पाकिस्तानी छात्रों, कलाकारों  और पेशेवरों को भारत में अवसरों से वंचित होना पड़ेगा, जिससे दोनों देशों के बीच संपर्क कम हो जाएगा। यह कदम पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर और अलग-थलग कर सकता है, क्योंकि भारत इसे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के रूप में पेश कर सकता है।

 

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पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों का निष्कासन


भारत का चौथा फैसला: नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, सैन्य, नौसेना, और वायुसेना सलाहकारों को 7 दिनों के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया, साथ ही कर्मचारियों की संख्या कम करने को कहा गया।

 

पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?
यह कदम दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण कूटनीतिक संबंधों को और खराब करेगा। पाकिस्तान को भारत में अपनी खुफिया और कूटनीतिक गतिविधियां सीमित करनी पड़ेंगी। पाकिस्तान भी भारत के उच्चायोग कर्मचारियों को निष्कासित कर सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीति पूरी तरह ठप हो सकती है। यह कदम भारत के सख्त रुख को दर्शाता है, जिससे पाकिस्तान को पश्चिमी देशों से समर्थन जुटाने में मुश्किल होगी।

 

राजनयिक कर्मियों की संख्या में कमी


भारत का पांचवां फैसला: भारत ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग की कुल संख्या में कमी करने की घोषणा की है। इस्लामाबाद में राजनयिक कर्मियों की संख्या 01 मई 2025 तक मौजूदा 55 से घटाकर 30 कर दी जाएगी।

 

पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?

यह कमी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत के दायरे को और सीमित कर देगी।

 

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भारत के इस 5 फैसले से पाकिस्तान पर असर

आर्थिक संकट: पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर इन फैसलों का गहरा असर पड़ेगा। जल संकट, व्यापार की बंदी, और कूटनीतिक अलगाव से उसकी GDP और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ेगा।

राजनीतिक अस्थिरता: इन कदमों से पाकिस्तान में भारत विरोधी भावनाएं बढ़ सकती हैं, जिससे सरकार और सेना पर आंतरिक दबाव बढ़ेगा। साथ ही, आतंकवाद को समर्थन देने की नीति पर सवाल उठ सकते हैं।

क्षेत्रीय तनाव: भारत के इन कदमों से दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ेगा और SAARC जैसे मंचों पर सहयोग कमजोर होगा। चीन जैसे देश पाकिस्तान का समर्थन कर सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय भू-राजनीति और जटिल हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत इन कदमों को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के रूप में पेश करेगा, जिससे पाकिस्तान पर वैश्विक मंचों, जैसे FATF और संयुक्त राष्ट्र में दबाव बढ़ेगा।