144 वर्षों बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ लग रहा है। पौष पूर्णिमा के मौके पर महाकुंभ की शुरुआत आज से हो चुकी है और कल यानी मंगलवार को मकर संक्रांति के दिन महाकुंभ का पहला राजसी स्नान होगे। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु संगम की रेती पर बसे अस्थायी शिविरों में पहुंच चुके हैं। इस बार प्रयागराज में गंगा नदी की तीन धाराओं को उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग ने एक कर दिया है। कई नालों को नदी में गिरने से रोका भी जा रहा है। नालों के गिरने को लेकर कई तरह के दावे भी किए जा रहे हैं। इस सबके बीच नदी के पानी का प्रदूषण लंबे समय से चर्चा का विषय है। दिल्ली में यमुना नदी जितनी प्रदूषित होती है, वह सारा कचरा लेकर आखिर में गंगा में ही मिल जाती है और संगम बनाती है।

 

नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं, एसटीपी, सीईटीपी और अन्य तरह के ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। इस सबके बावजूद अगस्त 2024 में खुद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने माना कि गंगा नदी जिन क्षेत्रों से होकर बहती है उनमें से ज्यादातर क्षेत्रों में गंगा नदी का जल नहाने के लायक ही नहीं है। 7 अगस्त 2024 को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के समक्ष दायर अपनी स्नान करके बताया कि उत्तर प्रदेश में 114 में से 97 जगहों पर गंगा और उसकी सहायक नदियों का पानी सन्ना के लायक नहीं है।

 

ऐसे में हमने यह जानने की कोशिश की है कि मौजूदा समय में गंगा और यमुना के पानी की स्थिति क्या है। इसके लिए हमने CPCB की ओर से तय किए गए मानक, मौजूदा समय के डेटा और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) की नवंबर महीने की रिपोर्ट का विश्लेषण किया है। साथ ही, CBCB के रियल टाइम डेटा का भी इस्तेमाल किया है। आइए समझते हैं कि मौजूदा समय में गंगा और यमुना के पानी की स्थिति क्या है...

 

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मानक क्या हैं?

 

UPPCB के मुताबिक, पानी में घुली ऑक्सीजन यानी डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम या उससे ज्यादा होनी चाहिए। इसके अलावा, पानी का pH 6.5 से 8.5 के बीच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 3 मिलीग्राम प्रति लीटर या उससे कम और कुल कॉलीफॉर्म 500 MPN/100 मिली होना चाहिए। यह अधिकतम 2500 तक ही हो सकता है। नदी में नहाने के मामले में मुख्य रूप से BOD और टोटल कॉलीफॉर्म को देखा जाता है। BOD- 2 से कम होने का मतलब है कि पानी को बिना साफ किए भी पिया जा सकता है। BOD 2 से 3 के बीच होने का मतलब है कि पानी में नहाया तो जा सकता है लेकिन इसे पिया नहीं जा सकता। वहीं, 3 से ऊपर BOD होने पर इसमें नहाना भी ठीक नहीं है।

 

गंगा की स्थिति क्या है?

 

गंगा में प्रदूषण देखने के लिए हमारे पास दो डेटा सेट हैं। पहला है- UPPCB की ओऱ से जारी की जाने वाली मासिक रिपोर्ट। आखिरी रिपोर्ट नंवबर महीने की है। इसके मुताबिक, उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में डिजॉल्व ऑक्सीजन मानक 5 से ऊपर ही है। BOD की बात करें तो बिजनौर में तो यह 1 है जो कि अच्छा है लेकिन जैसे-जैसे गंगा नदी प्रयागराज की ओर बढ़ती है, वैसे-वैसे प्रदूषण बढ़ता जाता है। जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि 3 से ऊपर BOD वाला पानी नहाने के लायक नहीं है। कानपुर में कुल 9 जगहों से सैंपल लिए गए, इनमें 5 जगहों पर BOD 3 या उससे ज्यादा था। यानी पानी नहाने के लायक नहीं था।

 

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प्रयागराज में संगम क्षेत्र पहुंचने से पहले कौशांबी में BOD 3.10 था जो कि मानक से ज्यादा था। प्रयागराज के रसूलाबाद घाट पर BOD ठीक 3 और संगम में 3.10 था। यानी यहां पर भी गंगा का पानी स्नान करने के लिए ठीक नहीं था। हालांकि, पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा ठीक थी।

फीकल कॉलीफॉर्म बताता है पानी की गंदगी

 

फीकल कॉलीफॉर्म पानी में ऐसे बैक्टीरिया की मात्रा को बताता है जो इंसानों के मल-मूत्र में पाए जाते हैं। मानक के मुताबिक, इसका स्तर 500 होना चाहिए। बहुत खराब स्थिति में भी यह 2500 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। फीकल कॉलीफार्म की बात करें तो हापुड़ के बाद से ही गंगा नदी में फीकल कॉलीफॉर्म 500 को पार कर जाता है जो लगातार बढ़ता जाता है। कानपुर में फीकल कॉलीफॉर्म की मात्रा 58 हजार थी। आगे बढ़ने पर इसमें थोड़ी कमी जरूर आती है। UPPCB की नवंबर महीने की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रयागराज के रसूलाबाद घाट पर फीकल कॉलीफॉर्म 1400 था और संगम घाट पर 2200 था।

 

 

BOD और फीकल कॉलीफॉर्म दोनों ही पैमानों पर यह पानी नहाने लायक नहीं था। CPCB के मानकों के हिसाब से B कैटगरी का पानी ही नहाने के लायक होता था। C कैटगरी का पानी ट्रीटमेंट के बाद पिया जा सकता है, वहीं D कैटगरी का पानी नहाने लायक नहीं होता और न ही उसे पिया जा सकता है। UPPCB के डेटा के मुताबिक, प्रयागराज में रसूलाबाद घाट पर गंगा नदी का पानी C कैटगरी और संगम घाट का पानी D कैटगरी का था।

गंगा नदी का रियल टाइम डेटा

 

CBCB की वेबसाइट पर गंगा नदी के प्रदूषण का रियल टाइम डेटा भी दिखाया जाता है। इसके लिए गंगा नदी में कई जगहों पर मॉनीटरिंग डिवाइस लगाई गई हैं, जहां से पानी में प्रदूषण की मात्रा नापी जाती है और उसे वेबसाइट पर दर्शाया जाता है। UPPCB का आखिरी डेटा नवंबर का है, इसलिए हमने रियलटाइम डेटा को भी देखा। 

 

इस डेटा के मुताबिक, 13 जनवरी 2024 को, बागपत  औरैया में गंगा नदी का BOD 7.43 था जो कि मानक से ज्यादा है। प्रतापगढ़ के खीरवीर ब्रिज के पास BOD 6.58 है। प्रयागराज के फाफामऊ में लॉर्ड कर्जन ब्रिज के पास आज का BOD 3.33 है। यह भी मानक से ज्यादा ही है। इसी तरह संगम से ठीक पहले यमुना नदी का BOD 4.1 है, जो मानक से ज्यादा है।

 

यमुना नदी का हाल क्या है?

 

प्रयागराज में यमुना और गंगा का संगम होता है। प्रयागराज का किला यमुना नदी के किनारे पर ही है। किले के किनार बने घाट से लेकर संगम घाट तक लोग यमुना नदी में भी नहाते हैं और आगे चलकर यमुना नदी गंगा में ही मिल जाती है। यमुना नदी में प्रदूषण बेहद ज्यादा है। UPPCB की नवंबर महीने की रिपोर्ट के मुताबिक, आगरा में यमुना का BOD 6.80, इटावा में 13.60, मथुरा में 13.00 था। रोचक बात यह है कि मथुरा के बाद और प्रयागराज से पहले किसी भी जिले का डेटा इस रिपोर्ट में नहीं है। प्रयागराज में यमुना का BOD 3.20 था जो कि मानक से ज्यादा है।

 

इसी तरह फीकल कॉलीफॉर्म भी मानक से काफी ज्यादा है। इटावा में यमुना नदी में फीकल कॉलीफॉर्म 13 हजार, मथुरा में 23 हजार और प्रयागराज में 1700 है। यमुना नदी का पानी प्रयागराज में D कैटगरी का है।