अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 50 % टैरिफ लगाने की जो घोषणा की थी, उसे बुधवार से लागू कर दिया गया है। लागू होने के बाद योगगुरु रामदेव ने इस फैसले पर अपनी टिप्पणी की है। रामदेव ने इस फैसले को 'राजनीतिक धौंस, गुंडागर्दी और तानाशाही' बताया। रामदेव ने लोगों से कहा है कि सभी लोग पेप्सी, कोका-कोला, सबवे, केएफसी या मैकडॉनल्ड्स आउटलेट्स से अमेरिकी खाने का सामान खरीदना बंद कर दें।
रामदेव ने कहा है, 'भारतीय नागरिकों को अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 % टैरिफ का कड़ा विरोध करना चाहिए। अमेरिकी ब्रांड्स के काउंटर पर एक भी भारतीय नहीं दिखना चाहिए। इनका व्यापक बहिष्कार होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका में अराजकता फैल जाएगी। अमेरिका में महंगाई इतनी बढ़ जाएगी कि खुद ट्रंप को भी ये टैरिफ वापस लेने पड़ सकते हैं। ट्रंप ने भारत के खिलाफ जाकर बहुत बड़ी गलती की है।'
यह भी पढ़ें- मिनियापोलिस अटैक: न्यूक इंडिया, किल ट्रंप के नारे, हमलावर ने क्या लिखा
रामदेव ने कहा-एप्पल फोन न खरीदें
रामदेव ने कहा, 'लोग एप्पल के फोन खरीदना बंद करें। अगर हमने भी अमेरिकी सामान खरीदना बंद कर दिया तो वहां भी मंहगाई बढ़ेगी जिससे अमेरिका को इस फैसले को वापस लेना पड़ेगा। हमें नए रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए। हमें तमाम तरह के टैक्स में छूट देनी चाहिए जिससे यहां के छोटी कंपनी इसका फायदा पहुंच सके और उन्हें काम करने में आसानी हो। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत इस चुनौती से जरूर उभरेगा। भारत कोई छोटा देश नहीं, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यहां बहुत बड़ा बाजार है।'
यह भी पढ़ें- 'भारत-US साथ आ जाएंगे', टैरिफ टेंशन के बीच ट्रंप के मंत्री ने क्या कहा
इसके पहले भी रामदेव कई बार लोगों से विदेशी सामानों का बहिष्कार करने और इनके इस्तेमाल न करने का आग्रह कर चुके हैं। जैसे विदेशी ब्रांड के कपड़े, खाने के सामान, रोजमर्रा की चीजों में इसके प्रयोग का विरोध हमेशा से किया है।
ट्रंप के इस फैसले का क्यों हो रहा विरोध?
ट्रंप ने भारत पर बीते दिनों कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया था। यह फैसला दो हिस्सों में लिया गया था। पहली बार 25 प्रतिशत का टैरिफ साउथ एशियाई देशों से आयात पर लगाया गया था। दूसरी बार 25 प्रतिशत भारत का रूस से कच्चे तेल की खरीद पर दंडात्मक टैरिफ के रूप में लगाया गया था।
इस फैसले के मायने
अमेरिका का 50 प्रतिशत टैरिफ वाला फैसला जो अब तक सबसे ज्यादा है। इससे न केवल दोनों देशों के बीच के रिश्तों पर असर पड़ेगा बल्कि भारत को सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने से भी रोकेगा।
यह भी पढे़ं- 'ट्रंप के PM मोदी को 4 कॉल', छापने वाले जर्मन अखबार की कहानी क्या है?
इसके अलावा इस टैरिफ का असर कपड़े, ज्वेलरी, जूते, फर्नीचर और केमिकल जैसी कई तरह की चीजों पर दिखेगा। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच का व्यापार कुल 212 अरब डॉलर का था।
भारत को नुकसान
भारत को इस फैसले से कई मायनों में नुकसान हो सकता है। जैसे देश की कुल निर्यात में कमी आ सकती है, अमेरिका में भारत में बनी वस्तुएं बहुत मंहगी मिलने लगेगी, चीन के साथ बाजार के मुकाबले में भारत पिछड़ सकता है।
अभी फिलहाल दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की कोई भी बातचीत होने के आसार दिख नहीं रहे हैं और न ही कोई बदलाव होने की उम्मीद हैं। बाकी यह देखना होगा कि भारत इस फैसले के बाद अपनी आर्थिक नीति में क्या-क्या बदलाव करता हैं। वैसे प्रधानमंत्री मौदी ने कई बार बड़े मंचों से यह संकेत दिया है कि इसके आगे भारत घुटने नहीं टेकेगा।