फ्लैट और घरों के निर्माण और उनकी डिलीवरी में देरी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर और बैंक के बीच के नेक्सस की जांच सीबीआई करे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चंडीगढ़, मोहाली और कोलकाता के संबंध में यह आदेश दिया है। इस तरह की जांच जिन बिल्डरों के खिलाफ की जानी है उसमें प्रमुख नाम सुपरटेक लिमिटेड का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस केस की निगरानी करेगा और हर महीने इस पर सुनवाई भी होगी। 

 

दरअसल, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रोजेक्ट बनकर पूरा नहीं होता, डिलीवरी नहीं मिलती लेकिन बैंक लोन का 60 से 70 पर्सेंट पैसा बिल्डरों को मिल जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि बिना कब्जा मिले ही खरीदार EMI चुकाने के लिए मजबूत हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि 6 शहरों में सुपरटेक के 21 से ज्यादा प्रोजेक्ट हैं जिनमें बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां लिप्त हैं। मांग की गई है कि सुपरटेक और 8 बैकों के नेक्सस की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जाएगी। 

 

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कई शहरों में होगी जांच

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई इस मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सीबीआई की ओर से दाखिल एफिडेविट का संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश, हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के लिए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी), निरीक्षक, कांस्टेबल की सूची CBI को देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट इस केस की निगरानी करेगा और हर महीने इस पर सुनवाई भी होगी। प्राथमिक तौर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बन रहे प्रोजेक्ट्स की जांच करने के आदेश दिए हैं।

 

इसके अलावा, मुंबई, चंडीगढ़, मोहाली और कोलकाता के भी कुछ बिल्डरों की जांच करके अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)/प्रशासकों, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया कि वे SIT को जरूरी मदद देने के लिए एक हफ्ते के भीतर अपने वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक नोडल अधिकारी को नामित करें।

 

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सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि हजारों खरीदार सब्सिडी योजना से प्रभावित हुए हैं, जहां बैंकों ने निर्धारित समय के भीतर प्रोजेक्ट पूरे किए बिना बिल्डरों को हाउस लोन की राशि का 60 से 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया। तब सुप्रीम कोर्ट ने CBI को इस मामले की तह तक जाने के लिए एक खाका प्रस्तुत करने का आदेश दिया था कि वह किस तरह बिल्डर और बैंकों के गठजोड़ को बेनकाब करने की योजना बना रहा है, जिसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हजारों आवास खरीदारों को धोखा दिया। सुप्रीम कोर्ट कई आवास खरीदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे। उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद बैंकों की ओर से उन्हें EMI का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।