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स्पाइवेयर इस्तेमाल करने में गलत क्या, SC ने पेगासस केस में क्यों कहा?

पेगासस स्पाइवेयर केस में भारत सरकार हमेशा कानूनी रूप से वैध इंटरसेप्शन की दुहाई देती रही है। अब कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान अहम बात कही है। पढ़ें रिपोर्ट।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस स्पाइवेयर केस की सुनवाई के दौरान कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के किसी देश के लिए स्पाइवेयर रखने में कोई बुराई नहीं है, सबसे गौर करने वाली बात यह है कि यह किसके के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में साल 2019 में सामने आए पेगासस केस की सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से यह कहा है।

जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह साल 2021 में दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहे हैं। याचिका में दावा किया गया था कि कुछ पत्रकारों, राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर सरकार ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए निगरानी की। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इसके निष्पक्ष जांच का आदेश दे।

याचिकाकर्ता की चिंता क्या है?
सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश हुए हुए थे. उन्होंने कहा, 'बुनियादी मुद्दा यह है कि भारत सरकार के पास पेगासस स्पाइवेयर था या नहीं। उन्होंने इसे खरीदा है या नहीं। अगर यह उनके पास है तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें इसके इस्तेमाल से रोके।'

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'इस्तेमाल करने में बुराई क्या है?' SC ने कहा
जस्टिस सूर्य कांत ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा, 'इसमें क्या गलत है कि कोई देश अगर स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है। स्पाइवेयर रखने में कुछ भी गलत नहीं है। सवाल यह है कि किसके खिलाफ इसका इस्तेमाल हो रहा है। हम किसी देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं।

'गोपनीयता का अधिकार आतंकियों के लिए नहीं'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'आतंकी, गोपनीयता के अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं। एक नागरिक जिसके पास गोपनीयता का अधिकार है, उसी रक्षा संवैधानिक दायरे में की जाएगी।' कोर्ट ने इस केस की सुनवाई 30 जुलाई 2025 तक के लिए टाल दी है।

पेगासस केस कैसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा?
2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाइवेयर से जुड़े दावों के संबंध में जांच के आदेश दिए। टेक्निकल पैनल में साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल फॉरेंसिक और नेटवर्क-हार्डवेयर विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। समिति का काम यह जांचना था कि कहीं लोगों के फोन में जासूसी के लिए इसका इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है। 

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3 सदस्यीय पैनल में नवीन कुमार चौधरी, प्रबहरण पी और अश्विन अनिल शामिल थे। जस्टिस आरवी रवींद्रन इस पैनल की अध्यक्षता कर रहे थे। पूर्व IPS आलोक जोशी और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट संदीप ओबरॉय जांच में शामिल थे। जांच में यह सामने आया कि जिन 29 सेलफोन्स में स्पाइवेयर होने के दावे किए जा रहे हैं, उनमें यह मौजूद नहीं था। कोर्ट इस केस की अगली सुनवाई 30 जुलाई को करेगा।

पेगासस क्या है?
पेगासस एक तरह का स्पाइवेयर है, जिसे इजरायली कंपनी NSO ने विकसित किया है। इसे इजरायल, दुनियाभर की सरकारों को बेचता है। इसे लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं।

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