सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की वीडी सावरकर पर की गई टिप्पणियों पर नाराजगी जताई। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में लखनऊ की कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी लेकिन चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में उन्होंने फिर ऐसी कोई टिप्पणी की तो स्वतः संज्ञान लेते हुए ऐक्शन लिया जाएगा।


दरअसल, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर वीडी सावरकर को लेकर विवादित टिप्पणी की थी, जिसे लेकर लखनऊ की कोर्ट में केस चल रहा है। इस पर रोक लगाने की मांग को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 


इसी पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपाकंर दत्ता और जस्टिस मनमोहन ने सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस दत्ता ने 'सावरकर को अंग्रेजों का सेवक' बताने वाली राहुल की टिप्पणी पर आपत्ति जताई। जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'क्या महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का सेवक सिर्फ इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने वायसराय को लिखी अपनी चिट्ठी में 'आपका वफादार सेवक' लिखा था।'

 

यह भी पढ़ें-- NEET पेपर लीक का आरोपी संजीव मुखिया गिरफ्तार, 11 महीने से था फरार

क्या बोले जस्टिस दत्ता?

सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने राहुल गांधी की तरफ से पेश हुए एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, 'क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गांधी ने भी वायसराय को संबोधित करते वक्त 'आपका वफादार सेवक' शब्द का इस्तेमाल किया था? क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी जब प्रधानमंत्री थीं तो उन्होंने स्वतंत्रता सेना सावरकर की तारीफ करते हुए एक चिट्ठी लिखी थी?'

 

यह भी पढ़ें-- 1 नहीं 7 बार, भारत के हर भरोसे पर पाकिस्तान ने दिया जख्म

'स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा नहीं कर सकते'

जस्टिस दत्ता ने आगे कहा, 'उन्हें (राहुल गांधी) स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए। जब आपको भारत के इतिहास या भूगोल के बारे में कुछ भी पता नहीं है।'


उन्होंने कहा, 'वह एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। वह एक राजनीतिक दल के राजनीतिक नेता हैं। आपको इस तरह नहीं कहना चाहिए? आप अकोला में जाकर यह बयान देते हैं। महाराष्ट्र में जहां उनकी (सावरकर की) पूजा की जाती है। ऐसा मत करिए। आप ऐसे बयान क्यों देते हैं?' 


उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश काल में कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी अंग्रेजों को 'आपका सेवक' कहकर संबोधित करते थे। कोई इस तरह से सेवक नहीं बन जाता है। अगली बार कोई कहेगा कि महात्मा गांधी अंग्रेजों के सेवक थे। आप इस तरह की बयानबाजी को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं?'

 

यह भी पढ़ें-- 3887 करोड़ का ट्रेड, अटारी बॉर्डर बंद होने से कारोबार पर कितना असर?

फटकार के साथ थोड़ी राहत भी

सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भले ही लगाई हो लेकिन उन्हें राहत भी मिल गई। कोर्ट ने कहा कि वह राहुल गांधी के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा देंगे, बशर्ते वह भविष्य में ऐसा बयान नहीं देंगे। कोर्ट ने कहा, 'हम आपके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाते हैं लेकिन आपको ऐसे गैर-जिम्मेदारा बयान देने से भी रोका जाता है। अगर भविष्य में ऐसा बयान देते हैं तो हम स्वतः संज्ञान लेंगे। हम आपको हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कुछ भी बोलने की अनुमति नहीं दे सकते। उन्होंने हमें आजादी दिलाई है।'


हालांकि, कोर्ट ने अपनी इस शर्त को अपने आदेश में नहीं लिखा है। राहुल की तरफ से पेश हुए सिंघवी ने वादा किया है कि आगे से ऐसा कोई बयान नहीं दिया जाएगा।

 

यह भी पढ़ें-- पाकिस्तान को मिलने वाला पानी तुरंत रुकेगा? सिंधु जल संधि की पूरी कहानी

क्या है पूरा मामला?

राहुल गांधी ने पिछले साल प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावरकर को अंग्रेजों का सेवक बताया था। राहुल ने कहा था कि सावरकर अंग्रेजों के सेवक थे और उन्हें उनसे पेंशन भी मिलती थी।


राहुल की इसी टिप्पणी को लेकर एडवोकेट नृपेंद्र पांडे ने लखनऊ की मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था और उनपर सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने के मकसद से ऐसा बयान देने का आरोप लगाया था। लखनऊ की कोर्ट में चल रही इस कार्यवाही पर रोक लगाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था। इसके बाद राहुल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।