सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में साफ किया कि किसी घर में सभी लोगों की सहमति के बिना CCTV कैमरा नहीं लगवाया जा सकता। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें अदालत ने कहा था कि सभी लोगों की सहमति के बगैर घर या घर के किसी हिस्से में CCTV लगवाना उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
यह विवाद दो भाइयों के बीच था। एक भाई ने दूसरे भाई की सहमति के बगैर उसके हिस्से में CCTV कैमरा लगवा दिया था। कैमरा कथित तौर पर इसलिए लगाया गया था, ताकि कीमती चीजों पर नजर रखी जा सके। इस पर दूसरे भाई ने आपत्ति जताई थी।
इसे लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने माना था कि सबकी समहति के बगैर CCTV लगवाना उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
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हाईकोर्ट की जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने कहा, 'निजता के अधिकार की गारंटी संविधान के अनुच्छेद 21 में मिली है। इसे संरक्षित किया गया है, क्योंकि यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है। किसी व्यक्ति की गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए और किसी भी स्थिति में इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए हमारा मानना है कि सबकी सहमति के बिना घर के अंदर CCTV कैमरे लगाना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।'
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने घर पर लगे 5 CCTV कैमरों को हटाने का निर्देश दिया था, क्योंकि यह व्यक्ति की संपत्ति और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन था।