मुंबई में हुए 26/11 के भीषण आतंकी हमले को हुए 16 साल से ज़्यादा हो चुके हैं, और अब आखिरकार इस हमले के एक अहम साज़िशकर्ता तहव्वुर राणा को भारत लाया जा चुका है। 64 वर्षीय राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद बुधवार देर रात भारत लाया गया। तहव्वुर ने भारत में लाए जाने से बचने के लिए हर संभव कोशिश की और दो-दो बार इसके लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी लगाई। हालांकि, यह सब काम नहीं आया और उसे एक विशेष विमान से कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली लाया गया।
तहव्वुर राणा को दिल्ली में लैंडिंग के बाद भारी सुरक्षा के बीच NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के कार्यालय ले जाया गया। उसके काफिले में बुलेटप्रूफ गाड़ी भी शामिल है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सुरक्षा के लिए SWAT टीम को तैनात किया था, ताकि उसे सुरक्षित रूप से NIA दफ्तर पहुंचाया जा सके।
राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि सरकार 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के सभी दोषियों को सजा देने के लिए तब से लेकर अब तक पूरी कोशिश कर रही है। यह हमला पाकिस्तान से आए दस आतंकियों ने किया था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। इस हमले में ताज होटल, CST स्टेशन जैसे बड़े और भीड़भाड़ वाले इलाके को निशाना बनाया गया था।
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कैसे लाया गया भारत
तहव्वुर राणा को गल्फस्ट्रीम G550 विमान से भारत लाया गया, जो एक लग्जरी, लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाला बिजनेस जेट है। यह विमान ऑस्ट्रिया के विएना में स्थित एक प्राइवेट चार्टर कंपनी से किराए पर लिया गया था।
इस विमान ने बुधवार तड़के 2:15 बजे (स्थानीय समय) मियामी, फ्लोरिडा (अमेरिका) से उड़ान भरा, जो भारतीय समयानुसार सुबह 11:45 बजे हुआ। उसी दिन यह विमान शाम 7:00 बजे (स्थानीय समय) रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट पहुंचा, जो भारतीय समय अनुसार रात 9:30 बजे था। इसके बाद विमान लगभग 11 घंटे तक बुखारेस्ट में ठहरा और फिर आख़िरी सफर के लिए रवाना हुआ।
पूरे प्रत्यर्पण (extradition) मिशन के दौरान 64 वर्षीय तहव्वुर राणा की सुरक्षा की जिम्मेदारी NSG, NIA और अमेरिकी स्काई मार्शल के हाथों में थी। इस पूरी प्रक्रिया में भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने अमेरिका की एजेंसियों के साथ मिलकर पूरा तालमेल बनाए रखा, जिससे यह ऑपरेशन सफलता से पूरा हो सका।
NIA ने किया गिरफ्तार
दिल्ली में पहुंचते ही तहव्वुर राणा को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने औपचारिक रूप से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया। राणा को NSG और NIA की टीमें अमेरिका के लॉस एंजेलिस से एक विशेष विमान में भारत लेकर आई हैं। विमान से उतरते ही, सभी जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद, NIA की जांच टीम ने उसे गिरफ़्तार कर लिया। राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है।
इस पूरे प्रत्यर्पण प्रक्रिया में विदेश मंत्रालय (MEA), गृह मंत्रालय (MHA) और अमेरिका की संबंधित एजेंसियों ने मिलकर भारत की अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ करीबी तालमेल में काम किया।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बयान में कहा कि उसने तहव्वुर राणा को भारत लाने का काम सालों की लगातार और मेहनतभरी कोशिशों के बाद सफलतापूर्वक पूरा किया है। उसने कहा, ‘राणा को अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था, जब भारत और अमेरिका के बीच की प्रत्यर्पण संधि के तहत कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई थी। NIA ने बताया कि राणा ने खुद को भारत भेजे जाने से रोकने के लिए सभी कानूनी रास्ते आज़मा लिए थे, लेकिन जब उसकी सारी अपीलें खारिज हो गईं, तब आखिरकार उसका प्रत्यर्पण संभव हो सका।’
लगाई थीं कई अर्जियां
तहव्वुर राणा को अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था, जो भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत NIA द्वारा शुरू की गई कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा था। राणा ने खुद को भारत भेजे जाने से रोकने के लिए अमेरिका की कई अदालतों में अपीलें और अर्ज़ियाँ दाखिल कीं, यहां तक कि उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में भी एक आपात याचिका दी, लेकिन उसकी सभी कोशिशें खारिज कर दी गईं। इस पूरे मामले में अमेरिका के कई विभागों ने भारत की मदद की, जिनमें अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का अंतरराष्ट्रीय मामलों का ऑफिस, कैलिफोर्निया की यूएस अटॉर्नी ऑफिस, यूएस मार्शल सर्विस, दिल्ली स्थित एफबीआई का लीगल ऑफिस और अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कानून प्रवर्तन विभाग शामिल हैं। इन सभी के सहयोग से राणा का प्रत्यर्पण संभव हो सका।
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चलाता था इमिग्रेशन फर्म
तहव्वुर राणा पहले पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था और बाद में कनाडाई नागरिक बन गया। वह शिकागो में एक इमिग्रेशन फर्म चलाता था। आरोप है कि यह फर्म लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के लिए एक कवर के रूप में इस्तेमाल होती थी। राणा को अमेरिका में 2011 में आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, लेकिन मुंबई हमलों में सीधे शामिल होने के आरोप से मुक्त कर दिया गया, क्योंकि अमेरिकी अदालत के अधिकार क्षेत्र की सीमा तय थी। हालांकि भारत का मानना है कि राणा ने डेविड हेडली को मुंबई में रेकी (जासूसी) करने में मदद की थी, जिसमें ताज होटल और चबाड हाउस की जानकारी जुटाना शामिल था।
क्या रही कानूनी यात्रा
तहव्वुर राणा का मुकदमा अमेरिका में 2018 में शुरू हुआ था। इस केस का सबसे अहम मोड़ 16 मई 2023 को आया, जब एक मैजिस्ट्रेट जज ने फैसला सुनाया कि यह मामला डबल जुडिशियल प्रोसेस (यानि एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चल सकता) के दायरे में नहीं आता। भारत की ओर से वकील दयान कृष्णन ने यह सफलतापूर्वक साबित किया कि राणा के अपराध भारतीय कानून के तहत अलग और गंभीर हैं। उन्होंने राणा का बचाव कर रहे अनुभवी प्रत्यर्पण वकील पॉल गार्लिक की दलीलों को अपने तर्कों के सामने टिकने नहीं दिया।
इसके बाद, 10 अगस्त 2023 को अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज ने राणा की अपील खारिज कर दी। अगली अपील 15 अगस्त 2024 को अमेरिकी कोर्ट ऑफ अपील्स ने भी ठुकरा दी। अंत में राणा की सभी अर्जियां—जिनमें writ of certiorari, habeas corpus याचिकाएं और इमरजेंसी स्टे शामिल थे—अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए गए।
आखिरकार, 11 फरवरी 2025 को अमेरिकी विदेश मंत्री ने राणा के प्रत्यर्पण का वारंट साइन किया और इसके बाद राणा को भारत लाया गया।
दयान कृष्णन लड़ेंगे मुकदमा
भारत की ओर से अमेरिका की अदालत में बहस करने वाले वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन अब दिल्ली में तहव्वुर राणा के खिलाफ मुकदमा लड़ेंगे। दयान कृष्णन ने 1993 में बेंगलुरु के NLSIU से पढ़ाई की है। वह इससे पहले रवि शंकरन के प्रत्यर्पण में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और 2012 के दिल्ली गैंगरेप केस में भी स्पेशल प्रॉसीक्यूटर रहे हैं। उन्होंने शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली NIA टीम का नेतृत्व भी किया था।
उनके साथ अब स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नरेंद्र मान भी इस केस में शामिल होंगे, जिन्हें गृह मंत्रालय ने नियुक्त किया है। नरेंद्र मान एक अनुभवी क्रिमिनल वकील हैं और उन्होंने CBI के लिए कई बड़े मामलों जैसे जैन डायरी हवाला केस, कॉमनवेल्थ घोटाला और बोफोर्स केस में पैरवी की है। उनका कार्यकाल तीन साल या केस खत्म होने तक रहेगा। इसके अलावा वकील संजीवी शेषाद्रि और श्रीधर काले भी इस टीम में होंगे, साथ ही NIA के वकील भी इसमें शामिल होंगे। वहीं तहव्वुर राणा का बचाव दिल्ली लीगल सर्विसेस अथॉरिटी के वकील पीयूष सचदेवा द्वारा किया जाएगा।
पाकिस्तान ने किया किनारा
एक दिलचस्प बात यह है कि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया के दौरान, पाकिस्तान ने उससे किनारा कर लिया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि राणा ने दो दशकों से अधिक समय से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों को रिन्यू नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यह बात बिल्कुल साफ है कि राणा कनाडाई नागरिक है।
यह बयान तब आया है जब पाकिस्तान ने तहव्वुर को कनाडा के साथ दोहरी नागरिकता दे रखी है। दोहरी नागरिकता का अर्थ है कि एक व्यक्ति दो देशों की नागरिकता रख सकता है। लेकिन राणा के मामले में, पाकिस्तान ने कहा है कि वह अब पाकिस्तानी नागरिक नहीं है।
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क्या था मामला
तहव्वुर राणा पर यह गंभीर आरोप है कि उसने 2008 में मुंबई में हुए भयानक आतंकवादी हमलों की साज़िश रचने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उसने अमेरिका में रहकर डेविड कोलमैन हेडली, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (HUJI) जैसे आतंकी संगठनों के साथ मिलकर भारत पर यह हमला करवाने की योजना बनाई थी। ये सभी संगठन पाकिस्तान से संचालित होते हैं और इनके साथ मिलकर राणा ने भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची। इस हमले के दौरान 26 नवंबर 2008 को 10 आतंकियों ने मुंबई के कई प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया, जिनमें ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) शामिल थे।
इस भीषण हमले में 166 मासूम लोग मारे गए और 238 से अधिक लोग घायल हुए। यह हमला भारत के इतिहास में सबसे खतरनाक आतंकी हमलों में से एक माना जाता है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी कड़ी निंदा हुई थी।
भारत सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा और HUJI जैसे संगठनों को "गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम - 1967" यानी UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित किया है। इस अधिनियम के अंतर्गत इन संगठनों से जुड़े किसी भी व्यक्ति या समूह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। तहव्वुर राणा का नाम भी इन्हीं संगठनों के नेटवर्क से जुड़ा होने के कारण सामने आया और अब उसे भारत लाकर मुकदमा चलाया जाएगा।