भाषा और राज्य-केंद्र अधिकारों को लेकर जारी विवाद के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एक और कदम बढ़ा दिया है। स्टालिन ने मंगलवार को विधानसभा में ऐलान किया कि राज्य की स्वायत्ता के बारे में सुझाव देने के लिए एक पैनल बनाया जाएगा। इस पैनल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ, पूर्व IAS अधिकारी अशोक वरदान सेट्टी और एम नागराजन को शामिल किया गया है। कुरियन जोसेफ इस पैनल की अगुवाई करेंगे। यह सब उस वक्त किया जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और विधानसभा के विवाद में कहा था कि राज्यपाल लंबे समय तक किसी भी बिल को रोक नहीं सकते हैं।
ऐसे प्रयासों के जरिए एम के स्टालिन सरकार राज्य को ज्यादा शक्तियां देने की कोशिश कर रही है। तमिलनाडु सरकार की ओर से बनाए गए इस पैनल को जनवरी 2026 तक की डेडलाइन दी गई है। तब तक इस पैनल को अपनी अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी है। वहीं, पूरी रिपोर्ट 2028 तक आने की उम्मीद जताई जा रही है। तमिलनाडु में विधानसभा के चुनाव मार्च-अप्रैल 2025 में होने हैं।
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इस तरह कमेटी बनाए जाने के बाद तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम (AIADMK) ने विरोध जताया।
हम इसे कतई स्वीकार नहीं कर सकते हैं, इसका विरोध किया जाएगा। इसीलिए हमने विधानसभा से वॉकआउट किया- तमिलनाडु BJP अध्यक्ष नयनार नागेंद्रन
AIADMK के विधायक आरबी उदयकुमार ने इस बारे में कहा, 'रूल नंबर 110 के तहत मुख्यमंत्री ने बयान दिया फिर भी स्पीकर ने हमें बोलने नहीं दिया। यह कानून लोकतंत्र के खिलाफ है। रूल नंबर 110 के तहत दिए बयान के तहत ही स्टालिन के पिता दशकों पहले वापस आए थे। ये लोग तब शांत थे जब शिक्षा को राज्य से समवर्ती सूची में ट्रांसफर किया गया, सत्ता में रहने के बावजूद इन लोगों ने तब आवाज नहीं उठाई और अब आवाज उठा रहे हैं।'
क्या बोले CM स्टालिन?
रूल नंबर 110 के तहत सीएम स्टालिन ने विधानसभा में अपनी बात रखते हुए कहा, 'राज्य के हितों की रक्षा करने और केंद्र और राज्य के संबंधों को बेहतर करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी कानून के मुताबिक अध्ययन करेगी और यह बताएगी कि जो विषय राज्य सूची से समवर्ती सूची में गए हैं, उन्हें वापस राज्य सूची में कैसे लाया जा सकता है।'
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NEET और हिंदी के बहाने केंद्र पर बरसे स्टालिन
स्टालिन ने विधानसभा में NEET और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जिक्र करके भी केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा,'केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए तमिलनाडु में हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश कर रही है। हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को खारिज कर दिया, इसी वजह से राज्य का 2500 करोड़ का फंड रोक दिया गया।
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कमेटी में कौन-कौन है?
इस कमेटी का अगुवा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रहे कुरियन जोसेफ को बनाया गया है। उनके साथ पूर्व IAS अधिकारी अशोक वर्धन शेट्टी को भी सदस्य बनाया गया है। वह इंडियन मैरिटाइम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे हैं। उनके अलावा, प्रोफेसर एम. नागनाथन को भी शामिल किया गया है, वह तमिलनाडु राज्य योजना आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन रहे हैं।
स्टालिन सरकार vs राज्यपाल विवाद
दरअसल, जब से तमिलनाडु में स्टालिन की अगुवाई वाली सरकार बनी है तब से ही राज्यपाल से विवाद होते रहे हैं। राज्यपाल आरएन रवि को लेकर स्टालिन ने खुलेआम बयानबाजी भी की है। कई बिल ऐसे भी रहे जो विधानसभा से पास किए जाने के बावजूद राज्यपाल आरएन रवि ने रोक लिए। इसी को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया जिसने राज्य सरकार को और मजबूत कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यपाल के काम को अवैध करार दे दिया और कहा कि जिन 10 बिल को राज्यपाल आर एन रवि ने रोक रखा था, वे उसी दिन से पास माने जाएंगे जब से उन्हें दोबारा राज्यपाल के पास भेजा गया था।
तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया। इस फैसले ने एक नई बहस को भी जन्म दे दिया जिसमें राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों को लेकर नए सिरे से चर्चा भी हो रही है। वहीं, डीएमके के अलावा भी कई विपक्षी पार्टियों ने इस फैसले का स्वागत किया है।