तेलंगाना के नागरकुर्नूल में हुए टनल हादसे के 17 दिन बीत गए हैं। 22 फरवरी 2025 को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल में 8 मजदूर सुरंग का एक हिस्सा ढहने से फंस गए थे। रविवार को हादसे के 16वें दिन रेस्क्टू टीम को गुरप्रीत सिंह का शव मिला है। उनकी लाश 10 फीट मलबे के नीचे से निकाला गया है। मृतक का नाम गुरप्रीत सिंह है। टनल में पानी, कीचड़ और मलबे की वजह से रेस्क्यू अभियान मुश्किल होता जा रहा है।
रेसक्यू ऑपरेशन में सेना, NDRF, SDRF समेत 11 एजेंसियां तैनात हैं फिर भी 17 दिन हो गए और मजदूरों तक रेस्क्यू टीम नहीं पहुंच पाई। दो सप्ताह से ज्यादा बीत जाने के बाद भी आखिर क्यों मजदूरों के बारे में पता नहीं चल सका है, किन वजहों से बचाव अभियान लगातार मुश्किल होता जा रहा है, आइए विस्तार से समझते हैं।
हार मान गई है सरकार
SLBS में हालात ऐसे हैं कि वहां मौजूद मजदूरों के बचने की संभावना बेहद कम है। तेलंगाना सरकार ने कहा है कि मजदूरों के बचने की संभावना बहुत कम है लेकिन उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है।

7 मजदूर, अटकी हैं सांस
7 मजदूर सुरंग में हैं। वे किस हाल में हैं यह बताना मुश्किल है। उन तक पहुंचने में मुश्किलें सामने आ रही हैं। रोबोट्स और खोजी कुत्तों की मदद से उन्हें तलाशा जा रहा है। खोजी कुत्ते तलाश में जुटे हैं। कुल 7 मजदूरों की अब तलाश की जा रही है, जिनमें से 3 एक ही जगह पर हो सकते हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है।
525 बचाव कर्मी, रेस्क्यू ऑपरेशन मुश्किलें क्या हैं?
मजदूरों की तलाश में 525 से ज्यादा बचावकर्मी लगे हैं। हदासे के 17 दिन हो गए हैं। रेस्क्यू टीम सुरंग के अंदर 11 किलोमीटर तक पहुंची है। यह दूरी लोकोमोटिव पर तय की है। 2 किलोमीटर की दूरी कन्वेयर बेल्ट के सहारे टीम पहुंची है।
मजदूरों को बार-बार बुलाने की कोशिश की जा रही है लेकिन जवाब नहीं मिल रहा है। मजदूर कहां फंसे हैं इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। लोगों का सुरंग में दाखिल हो पाना अब भी बेहद मुश्किल बना हुआ है, वजह सुरंग के अंदर मलबे का अंबार है।
सुरंग में 200 मीटर से ज्यादा इलाके में मलबा भर गया है। सुरंग में मलबा और पानी का बहाव इतना ज्यादा है कि मशीनें काम नहीं कर पा रही हैं। पूरी तरह सुरंग का सूखना मुश्किल है, लगातार पानी टपक रहा है।
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बचाव टीम भी डरी हुई है, समझिए वजह क्या है
बचाव अभियान हर दिन मुश्किल होता जा रहा है। टनल में काम कर रहे कई मजदूर वहां से चले गए हैं। 800 लोग प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। झारखंड, ओडिशा और यूपी के 300 से ज्यादा मजदूर हैं। कंपनी ने मजदूरों के रहने के लिए कैंप बनाए हैं लेकिन लोग वापस जाना चाह रहे हैं।

उत्तराखंड में बच गए, यहां क्यों टूट रही उम्मीद?
सुरंग में मजदूरों का फंसना नई बात नहीं है। 12 नवंबर को उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में भूस्खलन होने से 41 श्रमिक अंदर फंस गए थे, जो 17 दिन तक वहीं कैद रहे। सभी सुरक्षित बाहर निकले थे। हादसे के यहां भी 17 दिन हो गए हैं लेकिन मुश्किलें जस की तस हैं। वजह यह है कि सिलक्यारा में चट्टानें चुनौतियों की तरह थीं लेकिन मलबा और पानी नहीं टपक रहा था।
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SLBS टनल में हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी आ रहा है। कई पर्यावरणविदों का कहना है कि इस टनल प्रोजेक्ट में नियमों को तोड़ा गया है। 44 किलोमीटर तक लंबी इस टनल में पानी का रिसाव बना है। इंजीनयर पानी के बहाव को रोकने में असफल रहे हैं।
यह टनल करीब 32 फीट ऊंची है, 20 से 30 फीट के बीच में कीचड़, मलबा और गाद भरा है। जो हिस्सा टूटा है, वह ऊपर से नीचे तक मलबे से भर गया है। पानी और मलबे की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन की जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं।