अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था। उनके इस फैसले के चलते अमेरिका और कई अन्य देशों के रिश्तों में खटास भी आई है। नतीजा यह हुआ था कि कई देशों ने अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाला टैरिफ और बढ़ा दिया था। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को रोक दिया था। अब चीन के साथ एक बड़ा समझौता करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अमेरिका और भारत के बीच भी ऐसी ही डील हो सकती है। डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ही कहा है कि अमेरिका सभी देशों के साथ समझौता नहीं करेगा लेकिन आने वाले समय में भारत के साथ बड़ी डील हो सकती है। इस पर कांग्रेस पार्टी ने नरेंद्र मोदी सरकार से सवाल पूछा है कि क्या इसी डील की वजह से ऑपरेशन सिंदूर को रोक दिया गया था? कांग्रेस ने कहा है कि 10 मई से अब तक डोनाल्ड ट्रंप 16 बार यह कह चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के सीजफायर के लिए वह जिम्मेदार हैं और इसके लिए उन्होंने बिजनेस का इस्तेमाल किया है।
रोचक बात है कि जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान किया था, तब उन्होंने कहा था कि कारोबार को लेकर भी बातचीत हुई है। हालांकि, भारत सरकार ने इस तरह की बातों से साफ इनकार किया था। अब इसी को लेकर कांग्रेस पार्टी भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाली सरकार से सवाल पूछ रही हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूछा है कि क्या इसी बड़ी डील की वजह से ही ऑपरेशन सिंदूर को रोक दिया गया था? जयराम रमेश ने इस 'डील' पर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि प्रधानमंत्री आखिर संसद को अपने भरोसे में क्यों नहीं ले रहे हैं? डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उस वक्त आया है जब भारत के चीफ नेगोशिएटर राजेश अग्रवाल की टीम गुरुवार को अमेरिका पहुंच चुकी है और अमेरिका से व्यापार को लेकर चर्चा जारी है।
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ट्रंप के ऐलान पर कांग्रेस के सवाल
डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान पर मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा है, '10 मई से अब तक डोनाल्ड ट्रंप 16 बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया और इसके लिए व्यापार का इस्तेमाल किया। अब वह कह रहे हैं कि यह बहुत बड़ी डील है। क्या यह डील इतनी बड़ी है कि इसकी वजह से ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया गया?'
उन्होंने आगे पूछा, 'इसमें क्या बहुत बड़ा है? क्या हम अपने कृषि क्षेत्र, लघु और मध्यम उद्योंगो को अमेरिका के लिए खोल रहे हैं? क्या हम अमेरिका से आयात को लिबरलाइज कर रहे हैं? हम क्या कर रहे हैं? यह डील क्या है? हमें सीजफायर की खबर अमेरिका से क्यों सुननी पड़ रही है? हमें ट्रेड अग्रीमेंट अमेरिका से क्यों सुनना पड़ रहा है? प्रधानमंत्री संसद को भरोसे में क्यों नहीं ले रहे हैं? वह सर्वदलीय मीटिंग क्यों नहीं बुला रहे हैं? मेरा सवाल है कि क्या यह सब इतना बड़ा है कि इसके लिए ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया?'
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भारत से संबंधों पर ट्रंप का ऐलान
डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन पार्टी के टैक्स और खर्च कटौती विधेयक को पारित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘हमारे पास कुछ बेहतरीन समझौते हैं। हम एक और समझौता करने जा रहे हैं, संभवत: भारत के साथ। बहुत बड़ा।’ ट्रंप ने आगे कहा, ‘चीन समझौते में, हम चीन के लिए द्वार खोलने की शुरुआत कर रहे हैं। ऐसी चीजें जो वास्तव में कभी नहीं हुईं...सभी देशों के साथ संबंध बहुत अच्छे हैं।’ हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ हुए समझौते के विवरण के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने कहा कि हर देश समझौता करना चाहता है और इसका हिस्सा बनना चाहता है। उनके प्रशासन के अधिकारी देशों के साथ समझौते करने के लिए अतिरिक्त मेहनत कर रहे हैं।
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बाकी देशों के लिए क्या बोले ट्रंप?
टैरिफ पर अपनी बात रखते हुए ट्रंप ने कहा, 'याद कीजिए , कुछ महीने पहले मीडिया कह रहा था कि क्या वाकई कोई ऐसा (देश) है जो इसमें दिलचस्पी रखता हो? खैर, हमने कल ही चीन के साथ समझौता किया है। हम कुछ बेहतरीन समझौते कर रहे हैं। हम हर किसी के साथ समझौता नहीं करेंगे। कुछ लोगों को हम बस एक पत्र भेजकर कहेंगे कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आप 25, 35, 45 प्रतिशत का भुगतान करेंगे। यह एक आसान तरीका है लेकिन मेरे लोग इसे इस तरह से नहीं करना चाहते हैं। वे इसको लेकर कुछ करना चाहते हैं। समझौते करने की ललक उनमें मुझसे भी ज्यादा है।’
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है भारत की एक टीम अमेरिका में है और दोनों देश अंतरिम व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं और 9 जुलाई से पहले समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में हैं। अमेरिका ने अपनी ओर से 2 अप्रैल को लगाए गए हाई टैरिफ को 9 जुलाई तक के लिए ही निलंबित किया है। भारत के लिए कृषि और दुग्ध क्षेत्र अमेरिका को शुल्क रियायतें देने के लिए कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं। भारत ने अब तक हस्ताक्षरित किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में दुग्ध क्षेत्र को नहीं खोला है।
अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, मोटर वाहन विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोरसायन उत्पादों, दूध और कृषि उत्पादों जैसे सेब, वृक्ष गिरी और जेनेटिक मोडिफाइड फसलों पर शुल्क रियायत चाहता है। भारत प्रस्तावित व्यापार समझौते में कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क रियायत की मांग कर रहा है।