कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी कुछ दिन पहले संसद परिसर में कुत्ता लेकर पहुंची थीं और उसे घुमा रही थीं। इस घटना के बाद विवाद खड़ा हो गया। कई नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। संसद भवन में कुत्ता लाने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि राज्यसभा में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव के पारित होने पर सांसद के खिलाफ क्या कार्रवाई या सजा हो सकती है, यह भी चर्चा का विषय है।
जब रेणुका चौधरी से इस मुद्दे पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने ‘भौं-भौं’ कर जवाब दिया और कहा कि अब इससे ज्यादा क्या बोल सकती हूं। विशेषाधिकार प्रस्ताव आने पर देखा जाएगा। आपको बता दें कि सांसद के खिलाफ संसद में सुरक्षा उल्लंघन के आधार पर राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सत्ता पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति जताई गई थी।
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विशेषाधिकार क्या हैं?
संसदीय विशेषाधिकार उन अधिकारों और उन्मुक्तियों का समूह है जो संविधान ने संसद के प्रत्येक सदन और उनके सदस्यों को दिया है। ये अधिकार उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्वतंत्र रूप से और प्रभावी ढंग से करने में सक्षम बनाते हैं। विशेषाधिकार मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित होते हैं-
सामूहिक विशेषाधिकार- ये अधिकार संसद के प्रत्येक सदन को सामूहिक रूप से प्राप्त होते हैं। जैसे सदन को अपनी कार्यवाही और कार्यप्रणाली को विनियमित करने का अधिकार, संसद को सदन की कार्यवाही को प्रकाशित करने या दूसरों को प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार है, किसी अजनबी को सदन की कार्यवाही से बाहर करने का अधिकार और विशेषाधिकार हनन के किसी भी मामले की जांच करने और दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को दंडित करने का अधिकार देता है।
व्यक्तिगत विशेषाधिकार- ये अधिकार प्रत्येक सांसद को व्यक्तिगत रूप से प्राप्त होते हैं जैसे संसद सत्र चलने के दौरान या सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और सत्र समाप्त होने के 40 दिन बाद तक किसी भी सांसद को किसी दीवानी मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, संसद सत्र के दौरान किसी सांसद को गवाह के रूप में अदालत में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, सदन में या उसकी किसी समिति में कही गई किसी भी बात या दिए गए वोट के लिए किसी भी सांसद के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।
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विशेषाधिकार हनन क्या होता है?
संविधान का अनुच्छेद 105, विशेषाधिकार हनन संसदीय कार्यवाही और भारतीय लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति या संस्था संसद या उसके सदस्यों को प्राप्त विशेष अधिकारों या उन्मुक्तियों का उल्लंघन करता है। यह संसद की गरिमा और कार्यक्षमता की रक्षा करने के लिए बनाया गया है।
विशेषाधिकार हनन कब होता है?
- कोई सांसद जानबूझकर सदन में झूठा बयान देता है, जिससे सदन या उसके सदस्यों को गुमराह किया जाता है।
- कोई बाहरी व्यक्ति या संस्था मीडिया के माध्यम से या किसी अन्य तरीके से सदन या उसके किसी सदस्य की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
- कोई व्यक्ति सांसद को उसके कर्तव्य निभाने से रोकता है या उसे धमकाता है।
- कोई अधिकारी किसी सांसद को सत्र के दौरान अवैध रूप से गिरफ्तार करता है।
विशेषाधिकार समिति क्या करती है?
- विशेषाधिकार हनन की शिकायत होने पर सदन के सभापति या अध्यक्ष इसे विशेषाधिकार समिति को भेजते हैं।
- यह समिति मामले की जांच करती है, गवाहों को बुलाती है और अपनी रिपोर्ट सदन को सौंपती है।
- सदन समिति की सिफारिशों के आधार पर दोषी व्यक्ति (सांसद या बाहरी व्यक्ति) को दंडित कर सकता है, जिसमें निष्कासन, निंदा, या जेल तक का प्रावधान है।
